मैत्री महापर्व-

मैत्री महापर्व-
प्रश्न किया जा सकता हैं कि क्षमापना से जीव को क्या मिलता है? उतर यह दिया जा सकता हैं कि क्षमापना से जीव को आह्लाद भाव- प्रसन्नता प्रकट होती हैं । वह सब प्राण- भूत आदि जीवों के प्रति जीव मैत्री कर लेता हैं । हमारे द्वारा मैत्री भाव से भाव विशुद्धि हों जाती हैं । वह भाव शुद्ध कर हम प्राणी निर्भय बन जातें हैं । मैत्री क्षमापना और निर्भयता का आपस में संबंध हैं । वह संवत्सरी को हमारे द्वारा पिछला खाता बन्द होना चाहिए । हम पिछले सभी कलुष भावों को कागज की तरह फाड़ दें ।
वह क्षमापना दिवस पर हमारे द्वारा मैत्री दिवस भी ह्रदय की अंतरंग गहराई से संसार के सभी जीवों के प्रति मनाया जाए । वह प्रतिक्रमण में भी 84 लाख जीव योनियों में सही से खमतखावणा की विधि हैं । हमारे जहाँ भी गांठें है वहाँ पर बन्धन हैं । वह जहाँ गांठें खुली वहाँ पर भक्ति हैं । हमारे द्वारा आज गाँठो को बाँधने का नहीं खोलने का दिन हैं । हम अपना अंत निरीक्षण करके जिस किसी के साथ में हमारी गाँठ बन गईं हैं उसको खोलने को तत्पर हों वह कर्मों के भार को हल्का हम करतें रहें । इन्ही शुभ भावो से मैत्री महापर्व पर मैं सभी से ह्रदय की अंतरंग गहराई से सरल ह्रदय से बारम्बार खमतखावणा करता हूँ | प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड़ )