अल्लाह हू अकबर हे राम की तरह स्वाभाविक प्रक्रिया .... लेकिन मेरा एक एतराज भी है....

अल्लाह हू अकबर हे राम की तरह स्वाभाविक प्रक्रिया .... लेकिन मेरा एक एतराज भी है....
PDP प्रवक्ता मोहम्मद इक़बाल ट्रंबू का कहना है कि ये लोग हमारी संस्कृति के बारे में कुछ भी नहीं जानते, जब आपदा आती है तो हर कश्मीरी अल्लाह हू अकबर बोलता है, लेकिन सच तो ये है कि प्रवक्ता महोदय मोहम्मद इकबाल को देश के बारे में कुछ नहीं पता, उन्हें ये भी नहीं पता कि इनसे ज्यादा हम कश्मीर और दूसरी संस्कृतियों से परिचित हैं| तुम्ही इतने साल कट कर रहे, फिर भी हमने तुम्हे बहुत जाना और अपनाया| हालांकि जिस वक्त पर्यटक ऋषि ने कहा कि उसे जिप लाइन ओपरेटर मुज्जम्मिल पर शक है कि उसने “अल्लाह हू अकबर” का नारा लगाया, इसके बाद कई जगह रिपोर्ट आई कि मुजम्मिल ने "आपत्तिजनक नारा" लगाया| लेकिन मेरा इस बात से सख्त एतराज था क्योंकि "अल्लाह हू अकबर' भी हे राम या ओम नम: शिवाय कि तरह स्वभाविक प्रक्रिया है।
मुजम्मिल ने नारा लगाया या चांट किया, केवल इस आधार पर उस पर शक नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि उसके अगले पिछले रिकोर्ड और हरकत की व्यापक जांच होनी चाहिए| जो कि NIA ने की और कहा कि उसका हमले में सीधा कोई भी इन्वॉलमेंट नहीं लग रहा है| लेकिन बड़ा सवाल ये है जिसका वो बार बार अलग जवाब दे रहा है कि उसने ऋषि को जिप लाइन पर छोड़ क्यों दिया? वो हडबडाहट का नतीजा भी हो सकता है| लेकिन असल हमलावर तो छुप चुके हैं, उन्हें छुपाने वालों की पहचान करना उतना ही कठिन है जितना 100 कोकरोच में से किसी एक खास कोकरोच को पहचानना| अब एक ही ऑप्शन है आतंक के खिलाफ व्यापक अभियान, कश्मीर आल टाइम सेना की निगरानी में| लेकिन साथ ही मीडिया को भी अपनी भाषा पर काम करना चाहिये – “आतंकियों ने दहशत फैलाई”, “बदहवास भागने लगे पर्यटक”, “दहशत के वो 25 सेकेण्ड”, “दहशत का नया विडिओ” फिर उसी जगह जाकर सीन को रिक्रिएट करना जैसे कि हमला लगातार हो रहा है| इस रिपोर्टिंग से तो “कायर हमलावरों” को हर बार मजा ही आ रहा होगा| ये हमला 22 तारीख को नहीं हुआ बल्कि लगातार हो रहा है| टीवी चैनलों की भाषा में| उनकी सीन रिक्रिएशन में।
लेखिका- दिल्ली से वरिष्ठ पत्रकार हैं