लगातार फोन देखने से कमजोर हो रही आंखें
लगातार फोन देखने से कमजोर हो रही आंखें
वर्तमान में बच्चों और युवा पीढ़ी में कमजोर नजर एक नई महामारी बनकर उभर रही है। निकट दृष्टि दोष की समस्या बढ़ रही है और ऐसा अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2050 तक दुनिया की लगभग आधी आबादी इससे ग्रस्त हो जाएगी। हालांकि ऐसा ज्यादातर आनुवंशिक कारणों से होता है, लेकिन बहुत ज्यादा मोबाइल देखने और लगातार कंप्यूटर पर काम करने से निकट दृष्टि दोष का खतरा बढ़ सकता है। एक नए अध्ययन से पता चलता है कि टैबलेट या स्मार्टफोन जैसी डिजिटल स्क्रीन पर हर दिन एक घंटा से चार घंटे तक का समय बिताने से निकट दृष्टि दोष का खतरा 21 फीसद बढ़ सकता है। शोध में बच्चों से लेकर वयस्कों तक के 3,35,000 से अधिक प्रतिभागी शामिल थे।
जामा नेटवर्क ओपन नामक पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, एक से चार घंटे तक स्क्रीन देखने से निकट दृष्टि दोष का खतरा काफी बढ़ जाता है। शोध में कहा गया है कि स्क्रीन पर अधिक समय बिताने से ध्यान अवधि कम होने के कारण मस्तिष्क के संज्ञानात्मक कार्यों पर असर पड़ सकता है। लंबे समय तक स्क्रीन के इस्तेमाल में अक्सर बिस्तर या सोफे पर असहज मुद्रा में बैठना शामिल होता है। स्क्रीन के लंबे समय तक संपर्क में रहने से मोटापा, शरीर में दर्द, रीढ़ की हड्डी में दिक्कत और पीठ दर्द सहित कई अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं। यह अध्ययन डिजिटल युग में निकट दृष्टि दोष की बढ़ती चिंता को दूर करने के लिए काम कर रहे स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और शोधकताओं के लिए अहम जानकारी प्रदान करता है। अध्ययन में कहा गया है कि स्क्रीन से आंखों पर पड़ने वाले खतरनाक असर को रोकने के लिए 20-20-20 नियम का इस्तेमाल करना चाहिए। यानी आंखों पर पड़ने वाले तनाव को कम करने के लिए हर 20 मिनट में 20 सेकंड तक दूर रहें और किसी भी चीज को 20 फीट की दूरी से देखें। अध्ययन के मुताबिक, हर दिन कम से कम दो घंटे बाहर बिताकर आंखों की थकान कम की जा सकती है और निकट दृष्टि दोष को बढ़ने से रोका जा सकता है।
स्क्रीन सेटिंग में बदलाव करने से तनाव को कम किया जा सकता है। इसमें नीली रोशनी वाले फिल्टर का उपयोग किया जा सकता है। नियमित आंखों के परीक्षण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। ये निकट दृष्टि दोष के शुरुआती लक्षणों की पहचान करने व नजरों के कमजोर होने को रोकने में मदद कर सकते हैं। नए अध्ययन में पूर्व के अध्ययनों का भी जिक्र किया गया है। कुछ अध्ययनों में निकट दृष्टि दोष का आकलन करने के लिए वस्तुनिष्ठ उपायों का उपयोग नहीं किया गया।
विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल मलोट पंजाब