आगे दुकान, पीछे मकान तो कमर्शियल माना जाएगा, होगा संशोधन
उत्तर प्रदेश में संपत्ति की खरीद-फरोख्त से जुड़ी प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण बदलाव आ रहा है, खासकर गोरखपुर और अन्य शहरी क्षेत्रों में। प्रदेश सरकार ने हाल ही में रजिस्ट्री विभाग के दिशा-निर्देशों में बड़े पैमाने पर संशोधन किया है, जिसका सीधा असर आवासीय और व्यावसायिक संपत्तियों पर पड़ेगा। अब यदि किसी संपत्ति में आवासीय और व्यावसायिक क्षेत्र एक साथ होते हैं, तो उसकी रजिस्ट्री पर स्टांप ड्यूटी की दरें बदल जाएंगी। दुकान और मकान एक परिसर में अब यदि एक ही भवन में दुकान और आवासीय मकान दोनों हैं, तो इसे "कमर्शियल प्रॉपर्टी" माना जाएगा।
मतलब, इस तरह के भवन के बैनामे (रजिस्ट्री) के समय आवासीय संपत्ति की बजाय व्यावसायिक संपत्ति की दर पर स्टांप ड्यूटी ली जाएगी। इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य उन इमारतों पर नकेल कसना है, जिनमें आवासीय और व्यावसायिक दोनों तरह की गतिविधियाँ एक ही परिसर में हो रही हैं। सर्किल रेट (सरकारी मूल्यांकन दर) में कोई वृद्धि तो नहीं की गई है, लेकिन सरकारी निर्देशों में व्यापक परिवर्तन किए गए हैं। इसके तहत अब अगर किसी भवन में दुकानों और आवासीय फ्लैट्स का मिश्रण है, तो उसे व्यावसायिक संपत्ति माना जाएगा, भले ही भवन का मुख्य उद्देश्य आवासीय हो। इस बदलाव से शहरी क्षेत्रों में संपत्तियों के मूल्यांकन में बड़ा बदलाव आएगा। गोरखपुर और अन्य शहरी क्षेत्रों में यह बदलाव अधिक असर डालने वाला है, क्योंकि यहाँ पर व्यवसायिक और आवासीय संपत्तियाँ एक ही जगह पर आसानी से मिलती हैं।
ऐसे में अब उन लोगों को अतिरिक्त स्टांप ड्यूटी का भुगतान करना होगा, जो अपनी संपत्ति का हिस्सा दुकान के रूप में उपयोग करते हैं। यह नीति शहरी क्षेत्रों के कारोबारियों और आवासीय बिल्डरों के लिए एक चुनौती बन सकती है, क्योंकि इससे संपत्ति खरीदने के खर्च में वृद्धि होगी। इस नियम में व्यावसायिक और आवासीय संपत्तियों के बीच अंतर को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। यदि किसी इमारत में दुकान या कार्यालय है और उसका प्रवेश मार्ग मुख्य रूप से दुकानों की तरफ है, तो वह व्यावसायिक संपत्ति मानी जाएगी, भले ही उस इमारत के ऊपर आवासीय फ्लैट्स भी हों। इसके परिणामस्वरूप, जब लोग ऐसी संपत्ति खरीदेंगे, तो उन्हें अब पहले से अधिक स्टांप ड्यूटी का भुगतान करना होगा।