30 जनवरी महात्मा गांधी के महाप्रयाण दिवस पर मेरे भाव
30 जनवरी महात्मा गांधी के महाप्रयाण दिवस पर मेरे भाव
--- अहिंसा को हम जीवन में लाए । प्रभु को भीतर घट में बसा लें । मोक्ष की और कदम बढ़ाये । सद्ज्ञान की रोशनी जगा लें । आत्मा के अज्ञान को हटायें । क्रोध , मान , माया ,लोभ को छोड़े । सबसे मैत्री , प्रेमभाव जगा लें । जीवन की सौरभ को हम महकायें । होनी को कोई टाल नहीं सकता ।
क्यों व्यर्थ में सोंचे रोते - रोते । कर्मों का खेल बड़ा विचित्र हैं । इससे जीवन को सदा बचाना हैं । मोटी हैं हमारी नश्वर काया । दुनिया की हैं सब झूठी माया । ममता के जाल से सदा हमको बचना हैं । खुद में खुद जीकर जीवन को सँवारना हैं । जीवन रूपी बगिया में सदा फूल खिलाना हैं । बगिया में महकती खुशबू को सदा बाँटना हैं । जैसे पतझड़ में पान झरते नीचे गिरते । ठीक इसी तरह साँसो को कोई ना ठिकाना हैं । दुर्लभ होता मिलना मनुष्य का भव ।
सत्संगति का मिलना भी होता और दुर्लभ । आत्मा का “प्रदीप “ जला क्षण - क्षण सफल कर लें । मनुष्य भव से मोक्ष मिलता निश्चित यहाँ से जाना । प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड़ )