दो दर्जन के लगभग पुलिसकर्मियों ने तनाव व छुट्टियों के चलते छोड़ी नौकरी
दो दर्जन के लगभग पुलिसकर्मियों ने तनाव व छुट्टियों के चलते छोड़ी नौकरी
नौकरी शुरू की, मन नहीं लगा तो करने लगे तैयारी, मौका मिलते ही दिया इस्तीफा, इनमें महिला सिपाही भी शामिल, कुछ ने तो नौकरी करने से ही कर ली तौबा।
बरेली। लंबी ड्यूटी, छुट्टियों का संकट, तीज-त्योहारों और किसी खास मौके पर जिम्मेदारी और जवाबदेही का दबाव। पुलिस की नौकरी का यह सख्त शेड्यूल हर किसी को रास नहीं आता। यही वजह रही कि दो साल में बरेली में तैनात 21 लोगों ने पुलिस की नौकरी छोड़ दी। इनमें से कई तो नौकरी लगने के बाद भी दूसरी नौकरी की तैयारी करते रहे। कम तनाव वाले विभागों में मौका मिलते ही पुलिस विभाग से इस्तीफा देकर चले गए। कुछ तो ऐसे हैं, जो पुलिस की नौकरी छोड़ने के बाद घर के कामकाज में लगे हैं। पुलिस की नौकरी में घर-परिवार के लिए नहीं मिलता था समय बिजनौर निवासी सन्नी धनकड़ 2018 में सीधी भर्ती में चयनित होकर सिपाही बने और बरेली में तीन साल तक तैनात रहे। सन्नी बताते हैं कि पुलिस की नौकरी में घर-परिवार के लिए समय नहीं मिलता था। तनाव अलग से। इसलिए दूसरी नौकरी की तैयारी में जुट रहे। रक्षा मुख्यालय में सहायक अनुभाग अधिकारी के पद पर चयन होते ही सिपाही पद से इस्तीफा दे दिया। घर से दूरी, छुटिट्यों का संकट... रास नहीं आई पुलिस की नौकरी बरेली पुलिस की सिपाही रहीं रेखा संभल जिले की निवासी हैं।
उन्होंने पुलिस विभाग में तीन साल नौकरी की। रेखा बताती हैं कि घर से दूर रहना, छुट्टियों का संकट और लंबी ड्यूटी के चलते यह नौकरी उन्हें रास नहीं आती थी। इसके चलते वह दूसरी नौकरी की तलाश में थीं। जिला समाज कल्याण विभाग में कनिष्ठ सहायक पद पर तैनाती मिलने के बाद इस्तीफा दे दिया। घर-परिवार तो छोड़ो, अपने लिए भी समय निकालना मुश्किल था बरेली में ही सिपाही रहीं अर्चना कश्यप गाजियाबाद जिले की रहने वाली हैं। सात साल पुलिस की नौकरी करने के बाद भी अर्चना संतुष्ट नहीं रहीं। कहती हैं कि पुलिस की नौकरी के दौरान घर-परिवार तो छोड़ो, अपने लिए भी समय नहीं निकाल पातीं थीं। इसलिए दूसरी नौकरी के लिए तैयारी करती रहीं। उनका चयन माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से प्रवक्ता पद पर हो गया तो उन्होंने पुलिस की नौकरी छोड़ दी। लंबी ड्यूटी, तनाव अलग से... सिपाही की नौकरी छोड़ बने स्टेनो मुरादाबाद निवासी सिपाही निपेंद्र कुमार ने बरेली पुलिस में चार साल नौकरी की। वह भी पुलिस की नौकरी में काम के घंटों और तनाव के चलते दूसरी प्रतियोगी परीक्षाओं में दांव आजमाते रहे। उन्हें मौका मिला तो नौकरी छोड़ दी। फिलहाल वह जिला जज गोंडा के दफ्तर में स्टेनो हैं।
परिवार से दूर रहना खलता था... छुट्टी भी नहीं मिलती थी हरियाणा के पानीपत निवासी रवि मलिक ने बरेली में चार साल तक सिपाही पद पर नौकरी की। हरियाणा में रह रहे परिवार से दूरी उन्हें खलती थी। रवि बताते हैं कि आसानी से अवकाश भी नहीं मिल पाता था। नौकरी के दौरान उन्होंने पढ़ाई जारी रखी और अब हरियाणा शिक्षा निदेशालय में बाबू हैं। इन्होंने तो कोई नौकरी नहीं की, काउंसलिंग भी हुई पर नहीं माने कुछ ऐसे भी पुलिसकर्मी हैं, जिन्होंने नौकरी न करना ही उचित समझा। इनमें गाजियाबाद निवासी अग्निवेश व कासगंज निवासी दीपक शामिल हैं। दोनों ही बरेली जिले में आरक्षी रहे और फिर पारिवारिक कारणों से नौकरी छोड़ दी। अधिकारियों ने इनकी काउंसलिंग भी की लेकिन उन्होंने नौकरी करने से ही मना कर दिया। कहा कि उनके ऊपर घरेलू जिम्मेदारी ज्यादा है। पहले वह परिवार की अपेक्षा पूरी करेंगे, फिर किसी और काम के बारे में सोचेंगे। सेवा भाव से आएं तो लगेगा मन ज्यादातर पुलिसकर्मी तरक्की के लिए नौकरी छोड़ते हैं। कुछ लोग आरामदायक पेशा खोजते हैं तो कुछ की पारिवारिक मजबूरी होती है। वैसे यह हर समय सक्रिय रहने वाला रोमांचक कार्य है।
रोज नई चुनौती, सेवाभाव और देश व समाज के प्रति जिम्मेदारी समझने वालों को यह नौकरी कभी बोझ नहीं लगेगी। पुलिस विभाग ने अपने कर्मचारियों के अवकाश बढ़ाए हैं। पढ़ाई और खेलकूद में भी उन्हें आगे बढ़ने के मौके दिए जा रहे हैं। - अनुराग आर्य, एसएसपी