भारत है महान देश

Dec 5, 2024 - 19:03
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कहानी 

भारत है महान देश 

 रामगढ़ में 35 वर्षीय ठाकुर विष्णु देव और 30 वर्षीय ठाकुर ब्रह्मदेव दोनों की घनिष्ट मित्रता की चर्चा के किस्से गांव में ही नहीं दूसरे गांव में भी होते थे। गांव में दोनों की आलीशान कोठी आमने सामने होने तथा दोनों धनाढ्य कृषक परिवार होने के कारण दोनों का गांव मेंकाफी प्रतिष्ठा सम्मान था । ब्रह्मदेव कोई भी कार्य या निर्णय बिना विष्णु देव के पूछे नहीं लेतेथे । ब्रह्म देव के कारण ही विष्णु देव हर बार प्रधान चुन लिए जाते थे। दोनों के नेक कार्य प्रेम व्यवहार से गांव के लोग दोनों को अपना सर्वे सर्वा मानते थे ।गांव की पंचायत भी दोनों मिलकर की ही किया करते थे ।यह सब सम्मान प्रतिष्ठा होने के बाद भी दोनों के कोई पुत्र ना होने के कारण दोनों परिवार दुखी रहा करतेथे । पुत्र प्राप्ति के लिए दोनों आए दिन धार्मिक अनुष्ठान भागवत कथाआदि धार्मिक कार्य भी करते रहते थे। एक दिन जब विष्णु देव कोठी केबाहर चबूतरे पर अकेले बैठे हुए गरम-गरम धूप का मजा ले रहे थे ।

उस समय ब्रह्मदेव ने मिठाई का पैकेट खोलते हुए विष्णु देव से कहा- मैं चाचा बन गया हूं और आप मेरी पुत्री के ताऊ बन गए हैं । ईश्वर ने हम दोनों की प्रार्थना को स्वीकार कर लिया है और हम दोनों को संताने दे दी है। यह अंदर की सूचना पाकर विष्णु देव बहुत खुश हुए । दोनों ने मुंह मीठा किया ।विष्णु देव ने बर्फी का टुकड़ा डब्बे से उठाते हुए ब्रह्मदेव के मुंह में रख दिया ।ब्रह्मदेव ने बर्फी का टुकड़ा अपने बड़े भाई मित्र विष्णु देव के मुंह में रख दिया ।विष्णु देव के पास बैठते हुए ब्रह्मदेव ने कहा-- बड़े भाई मेरी इच्छा हैकी आपसी धनिष्ठा रखने के लिए अभी से दोनों की शादी तय कर दी जाए ।मेरी लड़की से आपके लड़के की शादी होने की बात तय हो जाए ।विष्णु देव मुस्काते हुए बोले --छोटे भाई की बात कौन टाल सकता है । समय आने पर दोनों की शादी बड़े धूमधाम से की जाएगी-।विष्णु देव ने अपने पुत्र का नाम कृष्ण देव रखा और ब्रह्मदेव ने अपनी पुत्री का नाम राधिका रखा। कृष्ण और राधिका की जोड़ी धीरे-धीरे बड़ी हुई। दोनों साथ साथ पढ़ने जाने लगे। जैसे ही कृष्ण देव और राधा इंटर की. पढ़ाई पूरी की ।दोनों को एक ही डिग्री कॉलेज मेंभर्तीकरा दियेगये। विष्णु देव ने लड़के को मोटरसाइकिल लेकर दे दी । मोटर साइकिल पर बैठकर राधा कृष्ण के साथ प्रतिदिन स्कूल जाने लगी और दोनों की मेलजोल से पढ़ाई होने लगी। राधा जितनी सुंदर थी कृष्ण भी भी उतना ही सुंदर था। दोनों के अंदर दिन पर दिन प्रेम का अंकुर पनपता गया और प्रेम बढ़ता गया। कृष्ण और राधा ने जब एमएससी फर्स्ट डिवीजन से पास की तो दोनों की पढ़ाई के लिए आगे की पढ़ाई के संबंध में विष्णु देव और ब्रह्मदेव बीच चर्चा होने लगी ।

एक दिन विश्व देव के साले ठाकुर जय देव का अमेरिका से फोन आया और उन्होंने सुझाव दिया की कृष्णा देव को आगे की पढ़ाई करने के लिए अमेरिका भेज दिया जाए और उसे डॉक्टर की पढ़ाई करना चाहिए। विष्णु देव और ब्रह्मदेव की आपस में चर्चा हुई और यह निर्णय लिया गया कृष्ण देव और राधिका को डॉक्टरी की पढ़ाई करने के लिए अमेरिका भेज दिया जाए ।विश्व देव अपने साले को पूरी बात बताते हुए कहा --अमेरिका मे डॉक्टरी पढ़ाई करने के लिए कृष्ण देव के साथ मेरे मित्रकीपुत्रीराधिका भी आएगी। दोनों की एक जगह व्यवस्था कर दे और इस संबंध में सूचना दे । विष्णु देव के साले ने कहा --मेरी बहुत बड़ी कोठी है। दोनों का इंतजाम एक जगह हो जाएगा ।मैं भी अमेरिका में डॉक्टर हूं और इन दोनों की पढ़ाई में सहयोग करता रहूंगा । कृष्ण देव और राधिका की अमेरिका जाने की तैयारी होने लगी ।राधिका की माता श्री कमला देवी ने कृष्ण देव को बुलाकर एकांत में कहा- बेटा मैं तुम्हें राधिका को सौंप रही हू । इसकी देखरेख का सभी दायित्व तुम्हारे ऊपर होगा । दोनों मेल जोल से रहना जब अमेरिका से डॉक्टर की पढ़ाई करके लौटेगे तुम दोनों की शादी धूमधाम से कर दी जाएगी। यह राधिका तुम्हारी है। जाते समय इससे तुम्हें सौप रही हूं। इसका ख्याल रखना। कृष्ण देव राधिका की ओर देखते हुए मुस्काए और बोले --राधिका का पूरा ख्याल रखूंगा। विष्णु देव ब्रह्मदेव ने मिलकर राधिका और कृष्ण देव को अमेरिका जाने के लिए पूरा प्रबंध कर दिया और दोनों ही एक दिन अमेरिका जा पहुंच गये। विष्णु देव के साले ने जब कृष्ण देव राधिका अमेरिका पहुंची तो दोनों का अपनी कोठी में एक जगह इंतजाम कर दिया और दोनों का एडमिशनअमेरिका के एक चिकित्सकविश्वविद्यालय में करा दिया गया ।

राधिका और कृष्ण साथ पढ़ने जाते साथ साथ ही पढ़ने के बाद लौटते। राधिका और कृष्ण कॉलेज के किसी लड़के लड़कियों से संबंध नहीं रखतेथे।अपनी पढ़ाई से केवल संबंध रखतेथे। चार साल की चिकित्सा पढ़ाई करने के बाद जब दोनों को डिग्री मिली तो राधिका ने कृष्ण देव से कहा - अब हमें तुम्हें चिकित्सा की डिग्री मिल चुकी है और हम लोगों को अब भारत लौट जानाचाहिए ।भारत मेंपहुंचकर हम लोगों को भारत की जनता की चिकित्सक सेवाअब करना चाहिए ।राधा की बात पर कृष्ण देव बड़ी जोर से हंसेऔर बोले- -इतनी सब पढ़ाई करने के बाद भारत में जाकरअब क्या करूंगा ? मामा के सहयोग से यहां पर एक बहुत बड़ा अस्पताल पिताजी से पैसा मंगाकर खोलूंगा और पैसा कमाऊगा ।भारत बहुत गरीब देश है वहां मजदूर किसान ज्यादा रहते हैं। उनके पास पैसे का हमेशा अभाव रहता है। कृष्णा देव पूरी बात भी नहीं कह पाया राधिका गुस्से में बोली --तुम भारत को गरीब देश कहते हो और भारत से ही पैसा की आशा रखते हो -धिक्कार है तुम्हारी सोच को । भारतमहान देश है ।जहां ऋषि मुनि देवताओं का वास है ।भारत की संस्कृति सभ्यता विश्व विख्यात है। मैं अपने भारत देश से प्यार करती हूं और भारत जा रही हूं ।बचपन की सगाई की रस्में तोड़ रही हूं ।क्रोधित राधिका के जब यह शब्द कृष्ण देव ने सुने त कृष्ण देव बोला- क्या तुम मुझे भूल जाओगी ? राधिका बोली- देश प्रेम के लिए मैं तुम्हें भूल जाऊं गीऔर आज सुबह की फ्लाइंग से भारत चली जाऊंगी। रात के 1:बजा था राधिका ने ताऊ विष्णु देव को मोबाइल मिलाया और कहा- मैं सुबह की फ्लाइंग से भारत आ रही हूं।

कृष्णा देव बहुत समझाने के बाद भीअमेरिका में रहना चाहता है। भारत नहीं आना चाहता है। भारत को गरीब देश कहता है। विष्णु देव ने मोबाइल से कृष्णदेव से बातचीत की और कहा तुम्हें भारत देश गरीब देश लगता है जिस देश ने तुम्हारा खर्च उठाय उसे देश को तुम गरीब कहते हो मुझे तुम पर शर्म आती है तुम अमेरिका में ही रहो। देश के सम्मान के लिए मैं तुम्हें भूल जाऊंगा कि तुम मेरे लड़केहो ।राधा ही भारत आकर हम दोनों मित्रों की बेटा के समान होगी। उसके लिए यहां बहुत बड़ा अस्पताल खोला जाएगा।राधिका अमेरिका से भारत आ गई और भारत की जनता की सेवा के लिए जो अस्पताल खोला गया था उसमे कार्य करने लगी। एक बरस बाद जब अमेरिका में भयंकर रूप से कोरोना फैला। कृष्णदेव उस से ग्रसित हो गए । कृष्ण देव के मामा ने उन्हें अस्पताल में भर्ती करा दिया। बीमारी हालत में . कृष्ण देव को 15 दिन तक कोई देखने नहींगया। तब एक दिन रात में कृष्ण देव सोचने लगा भारत कितना अच्छा देश है। जब उसे चेचक मलेरिया हैजा जैसी बीमारी हो गई थी। छूत की बीमारी होने पर भी लोग उसके पास हमेशा रहे थे और उसकी अच्छी देखभाल की थी ।यही सब सोचकर कृष्ण देव ने अपने पिताजी को मोबाइल से बात की और कहा पिताजी! मैअपने किए पर पश्चाताप कर रहा हूं। भारत महान सहानुभूति का देश है। जहां की सभ्यता संस्कृति इतनी मजबूत है लोग आप उसमें आज भी प्रेम एक दूसरे से करते हैं। वास्तव में सहानुभूति संवेदना रखने वाला महान देश है ।अब मैं जल्दी से जल्दी भारत आ रहा हूं ।मुझे क्षमा करना। विष्णु देव अपने पुत्र कृष्ण देव से बोले --भारत आने की स्वीकृति तुम्हें अब राधिका से लेने पड़ेगी ।मैं कुछ नहीं कह सकता हूं ।राधिका से बात करो और विष्णु देव ने पुत्र काफोन काट दिया ।कृष्णदेव ने रात को रात मेसोती राधिका से फोन मिलाया और बोला -मैं अपनी सोच पर बहुत शर्मिंदा हूं ।भारत वास्तव में महान देश है ।मैं अब भारत आना चाहता हूं ।पिताजी ने साफ कह दिया है कि अगर राधिका चाहेगी तो तुम भारत आना ।मैं तुम्हें भारत आने के लिए कुछ नहीं कह सकता हूं। इसीलिए राधिका मैं तुमसे प्रायश्चित करते हुए स्वीकृति चाहता हूं।

राधिका बड़ी जोर से हंसी और बोली-- भारत भू महान देश है जो प्रायश्चित करने पर दुश्मन को भी क्षमा कर देता है। तुम तो अपने हो ।मैं तुम्हें अब भी नहीं भूली हूं ।भारत की नारी का यही धर्म है की जिसको चुन लेती है जिंदगी भर उसे निभाती है। तुम फौरन ही भारत चले आओ। ताऊजी द्वारा बनाया गया अस्पताल बहुत बड़ा अस्पताल है ।अब तुम्हारी देखरेख में ही अस्पताल चलेगा। कृष्णा देव बोला --मैं जानता था मेरी राधा फौरन मुझे क्षमता करेगी बचपन की प्रीत निभैगी। दूसरे दिन कृष्णदेव भारत आ गया। धूमधाम से कृष्ण देव का स्वागत किया गया। बाद में विष्णु देव और ब्रह्मदेव की स्वीकृति से दोनों राधिका कृष्ण देव की शादी भीधूमधाम से हुई। बृज किशोर सक्सेना किशोर इटावी कचहरी रोड मैनपुरी