कब गीता ने ये कहा, बोली कहाँ कुरान
कब गीता ने ये कहा, बोली कहाँ कुरान ।
●●● जातिवाद और धर्म का, ये कैसा है दौर । जय भारत,जय हिन्द में, गूँज रहा कुछ और ।।
●●● कब गीता ने ये कहा, बोली कहाँ कुरान । करो धर्म के नाम पर, धरती लहूलुहान ।।
●●● गैया हिन्दू हो गई, औ' बकरा इस्लाम । पशुओं के भी हो गए, जाति-धर्म से नाम ।।
●●● जात-धर्म की फूट कर, बदल दिया परिवेश । नेता जी सब दोगले, बेचें, खायें देश ।।
●●● भक्ति ईश की है यही, और यही है धर्म । स्थान,जरूरत, काल के, करो अनुरूप कर्म ।।
●●● सब पाखंडी हो गए, जनता, राजा, संत । सौरभ रोये दखकर, धर्म-कर्म का अंत ।।
●●● पुण्य-धर्म को छोड़कर, करने लगे गुनाह । ‘सौरभ’ लगे कठिन मुझे, है आगे की राह ।।
--प्रियंका 'सौरभ'