हो मन में गहरा भरोसा तो सब संभव होगा

Sep 18, 2024 - 09:28
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हो मन में गहरा भरोसा तो सब संभव होगा
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हो मन में गहरा भरोसा तो सब संभव होगा

मन की गहराई में विश्वास से,ज्ञान रश्मियों के दर्शन होते हैं। इसके विपरीत अविश्वास रखने वाले,अज्ञान तिमिर के साये मे सोते हैं। केवल एक ढ़रे पर चलते रहने का नाम नहीं है जिन्दगी । कुछ नया वे ही कर पाते हैं, जो मन में गहरा भरोसा के साथ नये स्वप्न संजोते हैं। जहां ज्ञान का प्रकाश होता है , वहीं इस जीवन का विकास होता है। मन में गहरा भरोसा होगा तभी तो हम किसी काम को सीख सकते हैं या लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं।

हां, यह सच ही है कि सफलता के द्वार पर दस्तक देने के लिए उसके प्रति मन में गहरा भरोसा संजीवनी की तरह काम करता है। धर्म - ग्रंथों में भी यही बातें कही गई हैं कि केवल पढने से नहीं बल्कि उसके प्रति आस्था , मन में गहरा भरोसा के साथ पढने से ही बात बनती है। यानी कोशिश करो जगाओ और बूझो..फिर कोशिश करो जगाओ और फिर बूझो। दरअसल, हमारे भीतर का जो अनहद नाद है, उसे समझो और उसे समझने के लिए मन रूपी खिडकी को खोल कर रखना होगा। देखा जाए, तो इन्सान की दुनिया क्यों, कैसे, क्या, कब और कहां जैसे सवालों से भरी हुई है।

 दरअसल, किसी भी घटना के पीछे इन्हीं सवालों का जवाब होता है। इनके जवाब ढूंढने की प्रक्रिया को ही उत्सुकता का नाम दिया जाता है। यही उत्सुकता ज्ञान का रास्ता दिखाती है, जो आगे से आगे सफलता हासिल करने में सहायता करती है। यदि यह कहें कि ज्ञान , जिज्ञासा और मन में गहरा भरोसा सफलता के खजाने तक पहुंचने के मूल और महत्वपूर्ण रास्ते हैं तो शायद गलत नहीं होगा। वैसे, एक सर्वे में भी यह बात सामने आई है कि हर सफल व्यक्ति जिज्ञासु प्रवृत्ति का होता है और वह मन में गहरा भरोसा रखता है क्योंकि हर छोटी-बडी चीज को जानने, समझने और उस पर विचार करने की कोशिश आदि ही उन्हें सफलता के मायने समझाती है।

 वैसे यह भी एक सच्चाई है कि विचारों का यही मंथन इंसान को न केवल ज्ञान के नए-नए स्वरूप से परिचय कराता है, बल्कि कामयाबी की नई-नई राहें भी दिखलाता है। जैसे सर एडमंड हिलेरी ने प्रथम बार में की एवरेस्ट की चोटी फतह फिर एक अरुणिमा सिन्हा ने कटे पैर के साथ किया यही असंभव दिखने वाला काम और विश्व में उसका सदा-सदा के लिए नाम हो गया । इसलिए गर्व से कह सकते हैं कि काम कोई कितना भी हो असंभव हो अगर उस काम के प्रति मन में गहरा भरोसा है तो वह संभव हो ही जाएगा ।

प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड़ )