दर्पण छवि में हाथ से लिखी पुस्तकें

Aug 24, 2024 - 14:01
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दुनिया में एक से एक कलाकार मौजूद है जिनकी प्रतिभा देखकर लोग चमत्कार समझने लगते है। ऐसे ही एक कलाकार ने पांच तरह की पुस्तकों को लिखकर चौका दिया है। लेखक पीयूष गोयल ने उल्टे अक्षरों में गीता, सुई से मधुशाला, मेंहंदी से गीतांजलि, कार्बन पेपर से पंचतंत्र के साथ ही कील से पीयूष वाणी लिख डाली। पीयूष की इन किताबों को देखकर हर कोई हतप्रभ है।कला और दक्षता की कोई सीमा नहीं होती,रोज नई उपलब्‍धियां प्रकाश में आती रहती हैं, ऐसा ही दिलचस्‍प कारनामा किया है श्रीमती रविकांता एवं डॉ. दवेंद्र कुमार गोयल के बेटे पीयूष गोयल ने। उसने पंच प्रचलित पुस्‍तकें पंच तरीके से लिख डाली हैं। 

इनमें अध्‍यात्‍म दर्शन और कर्मफल संस्‍कृति को व्‍यापक और सहजता के साथ जनग्राही बनाने वाली भागवत गीता भी शामिल है।56 वर्षीय पीयूष गोयल अपने धुन में रमकर कुछ अलग करने में जुटे कि शब्दों को उल्टा लिखने में लग गए। इस धुन में ऐसे रमे कि कई अलग-अलग सामग्री से कई पुस्तकें लिख दीं।डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग का पढ़ाई करने वाले पीयूष गोयल का 2000 में एक्सीडेंट हो गया था। उन्हें इस हादसे से उबरने में करीब नौ माह लग गए। इस दौरान उन्होंने श्रीमद्भभगवद गीता को अपने जीवन में उतार लिया। जब वे ठीक हुए तो कुछ अलग करने की जिजीविषा पाले वे शब्दों को उल्टा (मिरर शैली) लिखने का प्रयास करने लगे। फिर अभ्यास ऐसा बना कि उन्होंने कई किताबें लिख दीं। गोयल की लिखीं पुस्तकें पढ़ने के लिए आपको दर्पण का सहारा लेना पड़ेगा। उल्टे लिखे अक्षर दर्पण में सीधे दिखाई देंगे और आप आसानी से उसे पढ़ लेंगे।पीयूष गोयल बताते हैं कि कुछ लोगों ने कहा कि आपकी लिखी किताबें पढ़ने के लिए शीशे की जरूरत होगी। कुछ ऐसा करें कि दर्पण की जरूरत न पड़े। इस पर पीयूष गोयल ने सुई से मधुशाला लिख दी। हरिवंश राय बच्चन की पुस्तक ‘मधुशाला’ को सुई से मिरर इमेज में लिखने में करीब ढाई माह का समय लगा। गोयल की मानें तो यह सुई से लिखी ‘मधुशाला’ दुनिया की अब तक की पहली ऐसी पुस्तक है जो मिरर इमेज व सुई से लिखी गई है।

उल्‍टे अक्षरों से लिख गई भागवत गीता ( Bhagwat Gita )

उल्‍टे अक्षरों से लिख गई भागवत गीता ( Bhagwat Gita )

आप इस भाषा को देखेंगे तो एकबारगी भौचक्के रह जायेंगे। आपको समझ में नहीं आयेगा कि यह किताब किस भाषा शैली में लिखी हुई है। पर आप जैसे ही दर्पण ( शीशे‌ ) के सामने पहुंचेंगे तो यह किताब खुद-ब-खुद बोलने लगेगी। सारे अक्षर सीधे नजर आयेंगे। इस मिरर इमेज किताब को पीयूष गोयल ने लिखा है। मिलनसार पीयूष गोयल मिरर इमेज की भाषा शैली में कई किताबें लिख चुके हैं।

सुई से लिखी मधुशाला( Madhu shala)

सुई से लिखी मधुशाला( Madhu shala)
पीयूष गोयल ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है कि देखने वालों आँखें खुली रह जाएगी और न देखने वालों के लिए एक स्पर्श मात्र ही बहुत है। पीयूष गोयल ने पूछने पर बताया कि सुई से पुस्तक लिखने का विचार क्यों आया ? अक्सर मुझ से ये पूछा जाता था कि आपकी पुस्तकों को पढ़ने के लिए शीशे की जरूरत पड़ती है। पढ़ना उसके साथ शीशा, आखिर बहुत सोच समझने के बाद एक विचार दिमाग में आया क्यों न सूई से कुछ लिखा जाये सो मैंने सूई से स्वर्गीय श्री हरिवंशराय बच्चन जी की विश्व प्रसिद्ध पुस्तक 'मधुशाला' को करीब 2 से ढाई महीने में पूरा किया। यह पुस्तक भी मिरर इमेज में लिखी गयी है और इसको पढ़ने लिए शीशे की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि रिवर्स में पेज पर शब्दों के इतने प्यारे मोतियों जैसे पृष्ठों को गुंथा गया है, जिसको पढ़ने में आसानी रहती हैं और यह सूई से लिखी 'मधुशाला' दुनिया की अब तक की पहली ऐसी पुस्तक है जो मिरर इमेज व सूई से लिखी गई है।

मेंहदी कोन से लिखी गई गीतांजलि ( Gitanjali )

मेंहदी कोन से लिखी गई गीतांजलि ( Gitanjali )

पीयूष गोयल ने एक और नया कारनामा कर दिखाया है उन्होंने 1913 के साहित्य के नोबेल पुरस्कार विजेता रविन्द्रनाथ टैगोर की विश्व प्रसिद्ध कृति 'गीतांजलि' को 'मेंहदी के कोन' से लिखा है। उन्होंने 8 जुलाई 2012 को मेंहदी से गीतांजलि लिखनी शुरू की और सभी 103 अध्याय 5 अगस्त 2012 को पूरे कर दिए।इसको लिखने में 17 कोन तथा दो नोट बुक प्रयोग में आई हैं। पीयूष ने श्री दुर्गा सप्त शती, अवधी में सुन्दरकांड, आरती संग्रह, हिंदी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में श्री साईं सत्चरित्र भी लिख चुके हैं। 'रामचरितमानस' ( दोहे, सोरठा और चौपाई ) को भी लिख चुके हैं।

कील से लिखी 'पीयूष वाणी'

कील से लिखी 'पीयूष वाणी'

अब पीयूष गोयल ने अपनी ही लिखी पुस्तक 'पीयूष वाणी' को कील से ए-फोर साइज की एल्युमिनियम शीट पर लिखा है। पीयूष ने पूछने पर बताया कि कील से क्यों लिखा है ? तो उन्होंने बताया कि वे इससे पहले दुनिया की पहली सुई से स्वर्गीय श्री हरिवंशराय बच्चन जी की विश्व प्रसिद्ध पुस्तक 'मधुशाला' को लिख चुके हैं। तो उन्हें विचार आया कि क्यों न कील से भी प्रयास किया जाये सो उन्होंने ए-फोर साइज के एल्युमिनियम शीट पर भी लिख डाला।

कार्बन पेपर की मदद से लिखी 'पंचतंत्र' ( Carbon paper written 'Panchatantra' )

कार्बन पेपर की मदद से लिखी 'पंचतंत्र' ( Carbon paper written 'Panchatantra' )

गहन अध्ययन के बाद पीयूष ने कार्बन पेपर की सहायता से आचार्य विष्णुशर्मा द्वारा लिखी 'पंचतंत्र' के सभी ( पाँच तंत्र, 41 कथा ) को लिखा है। पीयूष गोयल ने कार्बन पेपर को (जिस पर लिखना है) के नीचे उल्टा करके लिखा जिससे पेपर के दूसरी और शब्द सीधे दिखाई देंगे यानी पेज के एक तरफ शब्द मिरर इमेज में और दूसरी तरफ सीधे।

जीवन परिचय

पीयूष गोयल का जन्म 10 फ़रवरी 1967 को माता रविकांता एवं डॉ. दवेंद्र कुमार गोयल के घर हुआ। पीयूष 2003 से कुछ न कुछ लिखते आ रहे हैं 

श्रीमदभगवदगीता (हिन्दी व अंग्रेज़ी), श्री दुर्गा सप्त सत्ती (संस्कृत), श्रीसांई सतचरित्र (हिन्दी व अंग्रेज़ी), श्री सुंदरकांड, चालीसा संग्रह, सुईं से मधुशाला, मेहंदी से गीतांजलि (रबींद्रनाथ टैगोर कृत), कील से "पीयूष वाणी" एवं कार्बन पेपर से "पंचतंत्र" (विष्णु शर्मा कृत)।

नर न निराश करो मन को
नर न निराश करो मन को 
कुछ काम करो, कुछ काम करो
जग में रहकर कुछ नाम करो
इन लाइनों से प्रेरणा लेकर पले बढे है पीयूष गोयल पेशे से डिप्लोमा यांत्रिक इंजिनियर है और एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में कार्यरत हैं। इन सबके अलावा पीयूष गोयल दुनिया की पहली मिरर इमेज पुस्तक श्रीमदभागवत गीता के रचनाकार हैं। पीयूष गोयल ने सभी 18 अध्याय 700 श्लोक अनुवाद सहित हिंदी व अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में लिखा है। पीयूष गोयल ने इसके अलावा दुनिया की पहली सुई से मधुशाला भी लिखी है। पीयूष गोयल की 9 पुस्तकें प्रकशित हो चुकी हैं। पीयूष गोयल संग्रह के भी शौक़ीन हैं, उनके पास प्रथम दिवश आवरण, पेन संग्रह, विश्व प्रसिद्ध लोगो के ऑटोग्राफ़ संग्रह भी हैं। इस के आलावा संस्कृत में श्री दुर्गा सत्सती, अवधीमें सुन्दरकाण्ड, हिंदी व अंग्रेज़ी में श्रीसाईं चरित्र भी लिख चुके हैं
PiyushGoel पीयूष गोयल दर्पण छवि के लेखक,पीयूष गोयल 1७ पुस्तकें दर्पण छवि में लिख चुके हैं,सबसे पहली पुस्तक( ग्रन्थ) "श्री भगवद्गीता"के सभी 18 अध्याय 700 श्लोक हिंदी व् इंग्लिश दोनों भाषाओं में लिखा हैं इसके अलावा पीयूष ने हरिवंश राय बच्चन जी द्वारा लिखित पुस्तक "मधुशाला"को सुई से लिखा हैं ,और ये दुनिया की पहली पुस्तक हैं जो सुई से व् दर्पण छवि में लिखी गई हैं इसके बाद रबीन्द्रनाथ टैगोर जी की पुस्तक "गीतांजलि"( जिसके लिए रबीन्द्रनाथ टैगोर जी को सन 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला था) को मेहंदी कोन से लिखा हैं. पीयूष ने विष्णु शर्मा जी की पुस्तक "पंचतंत्र"को कार्बन पेपर से लिखा .अटल जी की पुस्तक "मेरी इक्यावन कवितायेँ"को मैजिक शीट पर लकड़ी के पैन से लिखा और अपनी लिखित पुस्तक "पीयूष वाणी" को फैब्रिक कोन लाइनर से लिखा हैं सं 2003 से 2022 तक 17 पुस्तके लिख चुके हैं.