फर्रुखाबाद नहर विभाग की सैकड़ों एकड़ परती जमीन पर हो रहा अवैध कब्जा
फर्रुखाबाद नहर विभाग की सैकड़ों एकड़ परती जमीन पर हो रहा अवैध कब्जा
-कब्जा रोकने के लिए लाखों रुपए प्रतिमाह वेतन तथा सुविधाओं के रूप में लेने वाले अधिकारी नहीं कर रहे कोई प्रयास
-अवैध कब्जा तथा भू माफियाओं के विरुद्ध गरजने वाला बुलडोजर भी यहां अब तक आखिर शांत क्यों ?
-इस अवैध कब्जे वाले भू -भाग पर कभी लहलाते थे विशालकाय वृक्ष – आज नहर की दोनों पटरियों का भू-भाग हो चुका है वीरान
कायमगंज / फर्रुखाबाद । जनपद फर्रुखाबाद में सिंचाई के लिए सबसे उपयुक्त और प्रमुख साधन नहर तथा उससे संबद्ध राजवाह तथा माइनर ही हैं । यह नहर वैसे तो बुलंदशहर के नरौरा से लेकर लेकर जनपद फर्रुखाबाद तक एक ही डिविजन में हुआ करती थी । लेकिन समय-समय पर हुए परिवर्तन से अब जिला फर्रुखाबाद में पड़ने वाले नहर का भाग फर्रुखाबाद डिविजन अलग से बनाया गया ।
यह डिविजन जनपद एटा के सीमावर्ती गांव विजयपुर से शुरू होकर फर्रुखाबाद के गांव खिनमिनी तक लगभग 65 किलोमीटर लंबाई वाला भाग है । यह नहर निचली गंगा नहर शाखा फर्रुखाबाद ( फतेहगढ़ ) नाम से सरकारी अभिलेखों में दर्ज है । दुर्दशा के चलते इस नहर का पानी कभी भी टेल तक पहुंच ही नहीं पता है ।
खैर जो भी हो इस पूरे 65 किलोमीटर नहर के भाग की दोनों पटरियों के बाद में लगभग 15 मी चौड़ाई तथा 65 किलोमीटर लंबा दो हिस्सों का भाग मतलब कि इससे दो गुना हिस्सा की जमीन ब्रिटिश काल से ही नहर के लिए सुरक्षित कर दी गई थी । इसका भी एक खास मायने था । खांदी के समय इसी भाग से मिट्टी उठाकर नहर की खंदी को बंद कर दिया जाता था ।
लेकिन आज 15 मी x65 किलोमीटर वाले दोनों भागों की परती जमीन पर अवैध कब्जा किया जा चुकाहै – और अवैध कब्जे का यह सिलसिला लगातार जारी है । कुछ एक छोटे-मोटे दो – चार – छः बिस्वा के भाग को छोड़कर सैंकड़ों एकड़ नहर विभाग की इस परती जमीन को अवैध रूप से कब्जा करके कब्जेदारों ने कहीं-कहीं निर्माण कार्य तक कर लिया तो अधिकांश स्थानों पर इसकी हद तोड़कर अपने खेतों में मिला लिया है ।
इससे पहले नहर की इस परती जमीन की हदबंदी थी । जगह-जगह पत्थर की सिलाएं लगाकर चिन्हित कर दिया गया था । इसी के साथ दोनों भागों पर हदबंदी को पुख्ता करने के लिए खाई डाल दी गई थी । लेकिन आज लाखों रुपए महीने की वेतन तथा अन्य सुविधा के रूप में शासन से पगार पाने वाले अधिकारियों की लापरवाही तथा अनदेखी या स्पष्ट शब्दों में कहा जाए तो अपने कर्तव्य का सही से पालन न करने के कारण नहर विभाग की सैकड़ो एकड़ इस परती जमीन पर पूरी तरह अवैध कब्जा किया जा चुका है ।
अब ऐसे में प्रश्न अनुत्तरित होता है कि जब अवैध कब्जा पर बुलडोजर चल ही रहा है तो फिर इस सरकारी जमीन को कब्जा मुक्त क्यों नहीं कराया जा रहा है? लोगों का कहना है कि इसके लिए पूरी तरह नहर विभाग के अधिकारी ही जिम्मेदार हैं ।इसलिए पहले उनके विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई की जाए और इसी के साथ सैकड़ों एकड़ परती जमीन के भूभाग पर किए गए अवैध कब्जे को भी जनहित में शीघ्र समय रहते कब्जा मुक्त कराया जाना चाहिए । *ब्रिटिश शासन काल से हीआरक्षित इस भाग पर खडे रहे पेड़ अब हो चुके वीरान=* निचली गंगा नहर शाखा फर्रुखाबाद की दोनों पटरियों के पास वाली नहर पट्टी की इस सैकड़ों एकड़ जमीन पर ब्रिटिश काल से लेकर देश आजाद होने तक के बाद काफी समय तक विशालकाय हरे भरे करोड़ों पेड़ पौधे लहलाते हुए खड़े रहे ।
जो पर्यावरण के लिए अत्यंत लाभकारी साबित हो रहे थे । लेकिन किए जा रहे हैं अवैध कब्जे के साथ ही अब उन करोड़ों पेड़ों में से कुछ चंद उंगलियों पर गिनने लायक ही पेड़ दुर्दशाग्रस्त स्थिति में कहीं-कहीं खड़े रह गए हैं । बाकी करोड़ों पेड़ जो कई हजार करोड़ कीमत के बताए जा रहे थे ‘ धरती से ही गायब हो चुके हैं । ऐसी स्थिति में यह इतनी लंबी नहर की उपयोगी पट्टी वाला भूभाग पूरी तरह वीरान नजर आ रहा है । अवैध कब्जाधारक उजाड़ देते हैं रोपे गए पेड़ निचली गंगा नहर शाखा फर्रुखाबाद ( फतेहगढ़ ) के इतने बडे भू -भाग पर हर साल वृक्षारोपण के नाम पर भारी भरकम धनराशि व्यय दिखाकर पौधारोपण की औपचारिकता तो पूरी की जाती है ।
किंतु वन विभाग की घोर लापरवाही के चलते प्रति वर्ष रोपे गए पौधों में से कोई भी पौधा सुरक्षित नहीं रह पाता है । कुछ ही समय के बाद धीरे-धीरे यह सभी पेड़ पौधे समाप्त हो जाते हैं । जिसका मुख्य कारण देखरेख का अभाव वहीं पड़ोसी खतों के अबैध कब्जा धारक जमीन मालिक अपनी पुरानी आदत के मुताबिक इन पेड़ों को काटकर या उखाड़ कर अथवा जानवरों से चरवाकर खत्म कर देते हैं । ऐसी स्थिति में जो भूभाग कभी हरियाली के लिए पहचाना जाता था ।
आज पूरी तरह वीरान स्थिति में बिना वृक्ष की धारा का उदाहरण पेश करता हुआ दिखाई दे रहा है l सरकारी जमीन को कब्जा मुक्त कराने के जिम्मेदार ही सो रहे गहरी नींद में कितना बड़ा भूभाग – इतना बड़ा नहर विभाग का सरकारी जमीन वाला हिस्सा अवैध कब्जे में चला गया । लेकिन सुविधा भोगी लाखों रुपए प्रतिमाह वेतन भुगतान लेने वाला अधिकारी वर्ग आज तक कुंभकर्ण की निद्रा में सोया हुआ है । आखिर इसकी नींद कब तक खुलेगी – कुछ कहा नहीं जा सकता । पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि अवैध कब्जे वाली जमीन को मुक्त कराते हुए पूरी सजकता तथा निगरानी के साथ वृक्षारोपण कराया जाए । जिससे कि पर्यावरण की शुद्धता बनाए रखने में सहायता मिल सके ।
आखिर कब तक हो पायेगी कब्जा मुक्त यह हरित पट्टी वाली परती भूमि नहर विभाग के सैकड़ो एकड़ भूभाग पर अवैध कब्जा कोई एक दिन में नहीं हुआ। अवैध कब्जे की प्रक्रिया कानून व्यवस्था को तोड़ने वालों ने बहुत पहले से ही शुरू कर दी थी । चाहे प्रदेश में सरकार किसी की भी रही हो । यह अवैध कब्जे का सिलसिला पिछले 20 से 25 सालों से लगातार चला आ रहा है । आज स्थिति ऐसी बन गई है कि अब तो बिना किसी रोकटोक के ही सैकड़ों एकड़ सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा किया जा चुका है।
जो थोड़ी बहुत बच्ची है उस पर भी कब्जा करने का प्रयास अवैध कब्जेदार कर रहे हैं । ऐसे में उत्तर प्रदेश की सरकार जो भूमाफियाओं तथा अवैध कब्जेदारों के विरुद्ध सीधे-सीधे बुलडोजर की कार्रवाई जैसा कार्य करके तुरंत अवैध कब्जे से मुक्ति दिला रही है । तो फिर इस सरकारी जमीन को अवैध कब्जेदारों से सरकार का बुलडोजर कब तक कब्जा मुक्त करने की कार्यवाही शुरू करेगा ।
फिलहाल कुछ भी कहना संभव नहीं है । किंतु फिर भी जन सामान्य को प्रदेश की वर्तमान सरकार से आशा है कि पर्यावरण की शुद्धता, जंगली जंतुओं की सुरक्षा तथा शरण स्थली को फिर एक बार अवैध कब्जे से यह सरकार मुक्ति अवश्य दिलाएगी । क्या लोगों की यह आशाएं पूरी हो पाएंगी – यह यक्ष प्रश्न फिलहाल तो अनुत्वरित ही बना हुआ है । खैर फिर भी धैर्य रखते हुए प्रतीक्षा तो कर नहीं होगी l