नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा की सच्चाई आयी सामने।

Jul 16, 2024 - 06:30
Jul 16, 2024 - 08:04
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नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा की सच्चाई आयी सामने।
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 हाथरस कांड के बाद लोगों ने सुनाई भोले बाबा की सच्चाई

नारायण साकार हरि उर्फ साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा लोगों को पढ़ाता था आध्यात्मिक ज्ञान। 

जनपद कासगंज की पटियाली तहसील में एक गांव पड़ता है बहादुर नगर जिसमें भोले बाबा का आश्रम बना हुआ है सन 1998 से बाबा के सत्संग में हजारों की संख्या में अनुयायी आते थे साकार विश्व हरि अपने भक्तों को आत्म ज्ञान कराते लोगों की श्रद्धा भोले बाबा में जागृति हुई तो लोगों के बिगड़े काम बनने लगे इस तरह से सत्संग का विस्तार होता गया जनपद कासगंज के भोले बाबा के अनुयायी सुनील कुमार ने बताया कि यहां एक खास बात यह थी कि लोगों से किसी प्रकार का चंदा चढ़ावा नहीं लिया जाता लोग आस्था श्र्द्धा लेकर आते और बाबा की जय जय कार करते जाते नारायण साकार हरि ने अपने को कभी परमात्मा नहीं कहा वह सीधा लोगों को नारायण साकार हरि के नाम का का सुमिरन कराते और उन्हीं के बताए हुए रास्ते पर लोग चलते धीरे धीरे भोले बाबा की अनुयायियों की संख्या बढ़ने लगी लोगों को भोले बाबा में अटूट श्रद्धा होने लगी जो भी व्यक्ति अपने भाव लेकर सत्संग में आता उसके इच्छा पूर्ण होती दुष्कर्मियों के दुष्कर्म छूट जाते व्यवसनो में फसे लोगों के व्यव्सन्न छूट गए लोगों की बुरे काम की लगी लत जैसे दारू पीना जुआ, सट्टा खेलना तरह तरह की बुराइयां छूट जाती  लोग आप बीती सुनाते भक्ति जयवीर सिंह व राजेंद्र सिंह ने बताया कि नारायण साकार हरि ने कभी वोट नोट का प्रचार प्रसार नहीं किया किसी धर्म जाति सम्प्रदाय पर भाषण नहीं दिया ।हरि की भक्ति लोगों से करवाई और कहते थे कि आप जमीन पर बैठने वाले जमीदार हो हम चौकी पर बैठे चौकीदार हैं जागो जागते रहो हमेशा लोगों को मानवता भाईचारे का पाठ पढ़ाया मानव धर्म सत्य था, हैं, और रहेगा का ज्ञान कराया मानव मानव को गले लगाने का पाठ पढ़ाया ,लोगों को ईमानदारी निष्ठा व सत्य की परिधि में रहकर बहिन,भाई व देवी देवता का दर्जा देकर आत्म कल्याण का ज्ञान कराया सत्संग में लोगों की आस्था बढ़ती गई ।भोले बाबा के अनुयायी राजकुमार अग्रवाल ने कहा कि नारायण साकार हरि के सत्य के साथ में ढोंग पाखण्ड आडंबर कही भो देखने को नहीं मिलता भोले बाबा जगह जगह जाकर सत्य का साथ किया करते थे उन्होंने कभी भी प्रशासन के नियमों को नहीं तोड़ा जहाँ भी महापुरुष नारायण साकार हरि का सत्य का साथ कराते थे तो भोले बाबा बिना परमिशन के किसी शहर ,जिला या राज्य में नहीं जाते थे भोले बाबा के अनुयायियों की संख्या लाखों लाखों मैं होने लगी तब भोले बाबा भीड़ एकत्रित न हो उसके लिए छुट पुट भी प्रवचन दिया करते थे जब सत्संग में लोगों का अटूट विश्वास होने लगा तब ,लोगों के व्यभचार छूट गए लोगों को जीने का सही तरीका आ गया बुरे कर्मों से लोगों को निजात मिल गई फिर तो लोगों का भोले बाबा में अटूट विश्वास आस्था श्रद्धा हो गई इसी के चलते हुए 02 जुलाई 2024 माह के प्रथम मंगलवार का आयोजन हाथरस जनपद के कस्बा सिकंदराराऊ के मुग़लगडी फुलरई के पास आयोजन होना सुनिश्चित हुआ जिसमें सिकंदराराऊ के महापुरुषों ने शासन प्रशासन की अनुमति लेकर भोले बाबा का आयोजन कराया जिसमें कुछ अराजकता फैलाने वालों ने भोले बाबा के जाने के बाद धक्का मुक्की शुरू कर दी जिससे भीड़ में भगदड़ मची और बाहरी लोगों ने नशीले पदार्थ का छिड़काव कर सत्संग के लोगों को भागने पर व दम घुटने व एक के ऊपर एक दबने से 121 लोगों की जान चली गयी तथा सैकड़ों की संख्या में लोगों घायल हो गए मृतकों व घायलों को नजदीकी अस्पताल में ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई असमय आयी इस आपदा से लोग नहीं बच पाए ऐसी स्थित में लोगों ने जमकर भोले बाबा को निशाना बनाया जबकि भोले बाबा बिना प्रशासनिक अधिकारियों की परमिशन के कही आयोजन करने नहीं जाते है । ऐसी स्थिति में विपक्षियों ने भोले बाबा पर तरह तरफ के इल्जाम लगाए जो मिथ्या हैं उनके अनुयायी आज भी भोले बाबा की भक्ति में मगन नजर आते हैं, लोगों का सत्संग में अटूट विश्वास है और हाथरस की घटना में नारायण साकार हरि का कोई दोष नहीं है लोगों का यह कहना गलत है कि भोले बाबा ने मंच से कहा था कि हमारे चरणों की रज ले जाओ कल्याण होना ऐसा कभी भी नारायण साकार हरि ने नहीं कहा न कोई ऐलान किया भोले बाबा ने आज तक किसी सत्संगी से पैर स्पर्श नहीं कराए । लोगों का यह भी कहना गलत है कि भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ सूरजपाल जाटव पर करोड़ों की संपत्ति है व भोले बाबा लड़कियां भी रखता हैं ठाकुर ओमपाल सिंह ने बताया कि आज तक जो सत्य उजागर हुआ है कि भोले बाबा का अपना कुछ भी नहीं है जो भी उनपर चल, अचल सम्पत्ति थी वह भी भोले बाबा ने ट्रष्ट के नाम कर दी थी इनके सत्संग में आत्म ज्ञान के लिए सभी लोग आते थे भोले बाबा किसी के साथ कोई अलग से नहीं मिलते थे जिसको जो भी पाठ पढ़ाया जाता मंचासीन होकर पढ़ाया जाता जो भी अफवाएं फैलाई गई हैं बो मिथ्या गलत है नारायण साकार हरि ने नारायण की ही लोगों को भक्ति करायी खुद के नाम का कभी जयकारा भी नहीं लगवाया अब लोग उन्हें क्या समझते थे वो उनकी मर्जी रही होगी

Sunil Kumar ब्यूरो चीफ ,कासगंज सुराग ब्यूरो