एनीमिया से बचाव के लिए गर्भवती रखें सेहत का खास ख्याल
स्पेशल स्टोरी एनीमिया से बचाव के लिए गर्भवती रखें सेहत का खास ख्याल
अच्छे खानपान के साथ समय से कराएं प्रसव पूर्व जाँच सेहत के लिए पौष्टिक आहार लेना बहुत जरूरी है
कासगंज, 18 जुलाई 2023। अशोकनगर निवासी 27 वर्षीया शालिनी बताती हैं कि उनकी शादी जनवरी 2021 में हुई थी। उनके पति स्कूल में अध्यापक हैं। वह छह माह की गर्भवती हैं और यह उनका पहला बच्चा है। फरवरी 2023 में उन्हें पता चला कि वह गर्भवती हैं। उनके गर्भवती होने के बाद से ही घर में फल, दूध, हरी सब्जी, जूस सभी चीज़े खाने के लिए लाकर रख दी गयी थीं,लेकिन गर्भवस्था के पंद्रह दिन बाद से ही वह कुछ खा नहीं पाती थीं, कुछ खाते ही उन्हें उल्टी होने लगती थी।
यहाँ तक की पानी पीने से भी उल्टी हो जाती थी। सास और घर की बुजुर्ग औरतों ने बताया कि गर्भवस्था के दौरान यह सब होता ही है। घबराने की ज़रूरत नहीं है। शालिनी ने एक चूक और की। छह माह तक प्रसव पूर्व कोई जांच नहीं कराया। वह बताती हैं कि आशा बहनजी कई बार घर आईं और प्रसव पूर्व जाँच करवाने के बारे में जानकारी भी दिया, ।
लेकिन आर्थिक स्थिति अच्छी होने के कारण सरकारी अस्पताल में नहीं ले गए, और निजी अस्पताल में ही अल्ट्रासाउंड करवाया। इस बीच तबीयत ज्यादा बिगड़ने लगी । वह बताती हैं कि ज़्यादा तबियत खराब होने पर मेरे उनके पति ने निजी चिकित्सक को दिखा कर दवा दिलवाया। फिर तीन माह बाद उल्टियां बंद हो गईं, लेकिन उसके बाद से लगातार चक्कर आने लगे और कमज़ोरी महसूस हुई। इसके बाद आशा बहनजी के समझाने पर सीएचसी अशोकनगर लेकर गए, तो वहाँ डॉक्टर ने उनकी सभी जाँच कराईं। जाँच में 6 पॉइंट ब्लड मिला और एनीमिया की पुष्टि हुई।
चिकित्सक के परामर्श पर अशोकनगर से सयुंक्त जिला अस्पताल रेफर किया गया। अस्पताल में जाते ही तीन दिन तक छह बोतल आयरन सुकरोज चढ़ाई गयी। उसके बाद थोड़ा अच्छा महसूस हुआ। डॉक्टर ने उन्हें प्रसव पूर्व चारों जाँच की महत्ता की जानकारी दी। उसके बाद टीडी का पहला टीका लगवाया गया व दूसरे माह में दूसरा टीका भी लगवा लिया। शालिनी ने बताया कि डॉक्टर ने उन्हें हरी सब्जी फल दूध आदि खान पान में शामिल करने की सलाह दी।
साथ ही बताया कि पानी पीने में कमी न करें, अच्छी मात्रा में पानी पिएं, जिससे पानी की कमी न हो। प्रसव पूर्व जांच से माँ स्वस्थ रहती है और इसी तरीके से गर्भ में पल रहा बच्चा भी स्वस्थ रहेगा। शालिनी ने कहा कि जबसे वे एनीमिक हुई हैं, और आयरन सुकरोज चढ़ा है,तबसे उनके पति व परिवार वाले उनके खान पान का और अधिक ख्याल रख रहें हैं। साथ ही समय से आयरन व कैल्शियम की दवा का सेवन भी कर रहीं हैं,और आगे की प्रसव पूर्व जांच समय से कराएंगी।
जिला अस्पताल की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. मर्यादा का कहना है कि गर्भावस्था के दौरान शिशुओं के विकास के लिए शरीर को खून का अधिक उत्पादन करने की जरूरत होती है। यदि गर्भवती पर्याप्त मात्रा में आयरन या अन्य पोषक तत्व न लें तो शरीर में आवश्यक लाल रक्त कोशिकाएं नहीं बन पाती हैं, इसलिए खून की कमी हो जाती है। इससे गर्भवती एनीमिक हो जाती है। खून की कमी से ज्यादा थकान और कमजोरी महसूस होने से गर्भवती में चिड़चिड़ापन भी बढ़ जाता है। इसलिए गर्भवस्था के दौरान सेहत का ख्याल रखना बहुत ज़रूरी है। गर्भवती को स्वस्थ रहने के लिए अच्छे खानपान हरी सब्जी फल दूध आदि का सेवन के साथ प्रसव पूर्व चार (एएनसी) की जाँच कराना ज़रूरी है। डॉ. मर्यादा ने बताया कि गर्भवती की सेहत का गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी प्रभाव पड़ता है, ज़ब माँ स्वस्थ रहेगी तभी बच्चा भी स्वस्थ रहेगा। उन्होंने कहा कि गर्भवती सर्दी में भी पानी का सेवन कम न करें और पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं।
शरीर मे पानी की कमी न होने दें। गर्म कपड़े पहनें, कानो व पैरों को ढक कर रखें। उन्होंने कहा कि गर्मी के मौसम में गर्भवती को पानी की मात्रा कम नहीं करनी चाहिए, ढीले ढाले सूती वस्त्र पहनने चाहिए, तरल पदार्थ व दूध दही का सेवन करना चाहिए। वहीं गर्मी व बरसात के मौसम मे संक्रमित बीमारियों से बचाव के लिए गर्भवती मच्छरों से बचाव करें। आस पास सफाई का ख्याल रखें। पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें और मच्छरदानी का प्रयोग करें। जिला अस्पताल स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. ऋचा ने बताया कि बदलते मौसम में संक्रामक बीमारी होने की आशंका भी बढ़ जाती है। ऐसे में गर्भवस्था में बिल्कुल भी लापरवाही नहीं बरतें, हल्का बुखार, ज़ुकाम, सिर दर्द, कमज़ोरी महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। चिकित्सक की सलाह के बिना किसी भी दवा का सेवन न करें। उन्होंने बताया कि प्रसव पूर्व प्रथम जांच 12 सप्ताह के भीतर और दूसरी जांच 14 से 26 सप्ताह व तीसरी जांच 28 से 34 सप्ताह और चौथी जांच 36 सप्ताह पर होती हैं। इनमें हीमोग्लोबिन, एचआईवी, सिफलिस, शुगर, बीपी, वजन, ब्लड, पेट की जाँच की जाती है, इसके साथ ही टीडी के दोनों टीके भी लगवाएं और साथ ही आयरन कैल्शियम की टेबलेट भी दी जाती है। आयरन कैल्शियम का सेवन अनिवार्य डॉ ऋचा ने बताया कि मातृ व शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए गर्भावस्था के छह माह यानि (180 ) दिन और प्रसव के बाद भी छह माह 180 दिनों तक महिलाओं को आयरन फोलिक व कैल्शियम की टैबलेट जरूर लेनी चाहिए। इन्हें खाने से जच्चा व बच्चा दोनों ही स्वस्थ रहते हैं।
आयरन के सेवन से गर्भवती का खून की कमी से बचाव होता है, कैल्शियम की टेबलेट लेने से हड्डियां मजबूत होती हैं। खाना खाने के एक घंटे बाद कैल्शियम का सेवन करें, फिर एक घंटे के अंतराल पर आयरन फोलिक टेबलेट का सेवन करें। शिशु के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए व गर्भवती को गर्भवस्था के पता चलने के चार या पांच माह बाद एलबेंडाजोल टेबलेट खिलाई जाती है। गर्भावस्था के प्रथम त्रैमास में फोलिक एसिड की गोली का सेवन करने से बच्चे में जन्मजात विकृतियों की आशंका कम हो जाती है।
जिले की स्थिति डीपीएम पवन कुमार ने बताया जिले में एक अप्रैल से अब तक 11183 गर्भवती की प्रसव पूर्व जाँच हुई है। इसमें से 10574 गर्भवती ने प्रसव पूर्व चारों जाँच कराई है। गर्भवती को टीडी टीके की 6348 प्रथम डोज़, 5136 दूसरी डोज़ व 4585 बूस्टर डोज़ गर्भवती को लगायी गयी हैं। उन्होंने बताया 13876 गर्भवती आयरन फोलिक व 13526 गर्भवती ने कैल्शियम टेबलेट के 180 दिन का पूरा कोर्स किया, जबकि 6215 गर्भवती को एल्बेंडाजोल टेबलेट भी दी गई | डीपीएम ने कहा बताया कि 10175 गर्भवती की हीमोग्लोबिन की जाँच की गयी। सात प्वाइंट से कम हीमोग्लोबिन वाली 652 महिलाओं को ट्रीटमेंट दिया। 3970 गर्भवती की शुगर जाँच , 9819 गर्भवती सिफलिस की जांच और 10742 गर्भवती की एचआईवी जाँच हुई है।