दहेज मानव
कहानी - दहेज दानव
अक्टूबर का महीना था । नवमी के दिन जब घर घर पूजा अर्चना करके मैया दुर्गा जी को श्रद्धा भावसे भक्तगण विदा कर रहे थे। जगह जगह श्रद्धा भाव से देवी के भंडारे हो रहे थे ।भक्तजन श्रद्धा भाव से देवी जी का प्रसाद ग्रहण कर रहे थे ।उसी समय आकाश मैं बिन मौसम के बादल घिर आए और मूसलाधार वर्षा होने लगी। हो रहे भंडारे में व्यवधान आने लगे ।भक्तगण देवी मैया के हाथ जोड़कर वर्षा बंद करने के लिए तब प्रार्थना करने लगे ।
भक्ति जनों के बीच से जाती हुई देवी मैया ने भक्तों की प्रार्थना को स्वीकार किया। वर्षा होना बंद हो गई। लोग खुशी से सउछल पड़े फिर भंडारे से प्रसाद ग्रहण करने लगे और पूर्व की भांति भंडारे के कार्यक्रम चलने लगे। भंडारों से प्रसाद लेकर आने वाली 5 वर्षीय बालिका मनोरमा अपनी मां से बोली --मैया मुझे देवी मां ने बहुत सा प्रसाद दिया है । देख लेना मैया पिताजी को भी बहुत सा धन मिलेगा । अपनी अच्छी खेती होगी। देवी भैया हम लोगोंसे बहुत ही प्रसन्न होकर गई है । अपनी छोटी सी बेटी की बात सुनकर 35 बर्शीय सियादेवी बोली-- बेटी तू जानती नहीं है बिनमौसम वर्षा होने से खेती बाड़ी को बहुत नुकसान होगा और अपनी फसल अच्छी नहीं होगी.।
छोटी सी बच्ची तुनक कर बोली --देवी मैया ने हम लोगों के ऊपर पानी छिड़ककर हम लोगों शुद्ध कर दिया है । तू भी तो मेरे ऊपर जब कभी छिपकली गिर जाती है तो तू भी मेरे ऊपर पानी छडकती है । देवी मैया ने ऐसा ही किया है। देवी मैया बहुत दयालु है सब पर कृपा करती है। छोटी से बच्ची की बातों को सुनकर प्राइमरी की प्रधानाध्यापिका सियादेवी सोचने लगी -बच्ची ठीक कहती है- हम लोग आए दिन झूठ मक्कारी करके धन को कम आ रहे हैं। आज का इंसान बहुत गिर गया है । बेटा बाप की हत्या कर रहा है ।
भाई भाई का दुश्मन बन गया है ।आए दिन मासूम बच्चियों के साथ दुष्कर्म हो रहे हैं। आए दिन फलदार हरे-भरे वृक्षों को काटा जा रहा है । हरे भरे बागों को उजाड़ा जा रहा है। नदियों तालाबों में गंदगी डालकर उन्हें दूषित किया जा रहा है ।इन्हीं सभी कारणों के कारण बेमौसम की बरसात हो रही है ।इंसानों के इन पापों से क्रोधित होकर 9 दिन की दुर्गा मैया विदा लेते समय बता रही हैं बिन मौसम की वर्षा इंसानों को पापों से सुधारने का संकेत है ।भंडारे करने पूजा पाठ करने से कुछ नहीं होगा। जब तक मनुष्य अपनी आदतों आचरण में सुधार नहीं करेगा। कुछ नहीं होगा ।इसी तरह से विपत्तियां आती रहेगी ।
प्रधान अध्यापिका सियादेवी सोच में खोई हुई थी। तभी उनकी बच्ची मनोरमा ने मां को झकझोरते हुए बोली- मां तू किस सोच में खो गई । जो मै प्रसाद लाई हूं उस प्रसाद को देने के लिए बूढ़े अपाहिज ताऊ जी तथा 90 वर्ष बाबा को देने जाऊंगी। प्रसाद पाकर वह बहुत खुश होगे । पड़ोसन 80 बर्फीय काकी को भी देने जाऊंगी । वह भी बिचारी अपाहिज है ।प्रसाद पाकर वह भी खुश होंगी । इस प्रसाद को 5-6 जगह लगा दो ।मैं सबको प्रसाद देआऊ । छोटी बच्ची की बातों को सुनकर मां खुश हो गई ।मां ने 5--6 जगह प्रसाद लगा दिया और बच्ची प्रसाद देने के लिए ताऊ बाबा बूढ़ी काकी के घर पहुच गयी। प्रसाद पाकर सभी खुश हो गये और बच्ची को बहुत सी दुआएं दी । समय की गति भाग्य चक्र को बड़े-बड़े ज्योतिषी भी नहीं जानते हैं ।
राम सिया के भाग्य चक्र को मुनि वशिष्ट पंडित ज्ञानियों ने देखा था तो भी राम को बन जानापड़ा सिया को विपत्ति पड़ी। गरीब घर में पैदा होने वाली बातूनी चंचल मनोरमा जब 23 साल की हुई तो उसने लगन मेहनत से एमए. फर्स्ट डिवीजन से पास कर लिया।आईएस के सिलेक्शन में भी सातवें स्थान पर आ गई ।गांव पड़ोस में खुशी की लहर दौड़ गई। सभी प्रधान अध्यापिका सियादेवी और उनके पति वासुदेव के भाग्य सराहना करने लगे। अपनी सफलता पर मनोरमा मां से बोली यह सब दुर्गा मैया हनुमान की कृपा है । भैया मै तुझसे कहां करती थी की मैया दुर्गा देवी बहुत दयालु है ।मां सियादेवी बोली तू ठीक कहती है । मां दुर्गा देवी बजरंगबली बहुत दयालु है। भक्ति भावना से अगर उनकी पूजा-अर्चना की जाए वह सब कुछ दे देते हैं। लेकिन हम लोग पापी ह्रदय से उनकी पूजा अर्चना करते हैं ।इसीलिए हम लोगों को कुछ नहीं मिल पाता है।
मनोरमा मां से बोली -मैं अपनी सफलता की बधाई और मिठाईअपाहिज ताऊ बूढ़े बाबा तथा बूढ़ी काकी को जरूर देने जाओगी ।जिनकी दुआओं से मुझे सफलता मिलीहै। सियादेवी अपनी बेटी मनोरमा से बोली -तुम जरूर जाओ। दुआओं से ही तुम्हें इतनी बड़ी सफलता मिली है । दुआओं में बहुत बड़ी ताकत होती है ।अपनी पड़ोसन भाभी सुधा के घर जरूर जाना ।वह हमेशा तुम्हें याद करती रही है। मनोरमा बोली -कल सुबह पिताजी से 20 मिठाई के पैकेट मंगा कर सभी के घरों में जरूर जाऊंगी। दूसरे दिन मनोरमा मिठाई के पैकेट लेकर मां शीतला देवी व हनुमान जी के मंदिर पर पहुंची । पूजाअर्चना करके सब को प्रसाद वितरण किया ।
इस के बाद अपाहिज ताऊ बूढ़े बाबा बूढ़ी काकी के यहां पहुंची।उन्हें मिठाई के पैकेट दिए ।खुद हाथ से मिठाई उन्हें खिलाई ।सभी ने सिर पर हाथ फेर कर दुआएं दी ।जब मनोरमा अपनी भाभी सुधा के घर पर पहुंची तो सुधा के घर में कलेश फैला हुआ था। मनोरमा ने सुधा के ससुर सास से बात की तो कलह होने की बात को सब ने टाल दिया। मिठाई का पैकेट जरूर ले लिया है । मनोरमा जब सुधा के पास पहुंची तो देखा कमरे मे बैठी सुधा रो रही थी ।उस के मुंह हाथों पर पिटने के निशान पड़े हुए थे ।जब मनोरमा बहुत कुर्रेदेते हुए पूछा तो सुधा ने बताया -जब मेरी बड़ी नंद की शादी हुई थी तो हमारे सास ससुर ने हमको मार पीटकर इतना सताया कि मेरे पिताजी को मजबूरी में इन को ₹20 लाख रुपया खेती बेचकर देना पड़ा ।
अब छोटी नंद की शादी के लिए 30 लाख की और मांग हो रही है। ना देने पर मेरी पिटाई हो रही है और मुझ को घर से निकालने की बात हो रही है । पिता जी रिटायर हो चुके ।भैया बेकार है ।जो थोड़ी बहुत खेती मकान है उसके बेचने के लिए के लिए कहा जा रहा है ।बताओ दीदी मैं क्या करू? मनोरमा ने सुधा को समझाया सांत्वना दी । बाहर आकर सुधा के ससुर कैप्टन बलबीर सिंह और सुधा की सास रामवती बोलीतुम लोगों ने कलह की वजह नहीं बताई ।लेकिन मुझे पता चल गई है। सुधा के पिताजी से तुम्हें 20 लाख दिलवाऊ गी ।जब मैं इलाहाबाद पढ़ रही थी तो सुधा के पिता उन्होंने मेरी बहुत मदद की। वह मेरी बात मानें गे ।
रिटायरमेंट के बाद उन्हें बहुत से फंड मिले है।लड़की की भलाई के लिए तुम्हें पैसा जरूर देंगे ।मेरे परिचित हैं मैं उन्हें अब समझाऊंगी। अब सुधा के साथ मारपीट मत करना ।यह बात सुनकर सुधा के सास ससुर खुश हो गए और बोले -बेटी तुम जो कहोगी। वही करूंगा। मनोरमा चुपचाप सुधा के घर से चली आई । 2 दिन बाद मनोरमा घर में बिना बताए कुछ सरकारी कार्य की बात कह कर घर से अटैची उठा कर चली गई। ठीक5 दिन के बाद मनोरमा जब घर लौट के आई तो उसने घरवालों को बताया कि उसकी अब पोस्टिंग पड़ोसी जनपद कानपुर में हो गई है। पांच 6 दिन के बाद उसे ज्वाइन करने के लिए जाना पड़ेगा। दूसरे दिन मनोरमा सो कर भी नहीं उठ पाई थी कि सुधा के ससुर के घरसे आने का बुलावा आ गया ।सुधा तैयार होकर सुधा के घर पहुंची तो उसने देखा सुधा के पिता जी बैठे हुए हैं और सुधा के ससुर से बात कर रहे हैं ।
मनोरमा के पहुंचते ही सुधा के ससुर बोले -सुधा के पिता जी रुपया तो नहीं लाए हैं। सुधा को ले जाकर दूसरी जगह शादी करने की बात कह रहे हैं ।मनोरमा बोली- जब उनके पास पैसा नहीं है तो सी बात कर रहे होंगे ।मनोरमा सुधा के पिता से बोली- हिंदू धर्म में यह अच्छी बात नहीं है ।दूसरी जगह शादी करना ठीक नहीं है ।सुधा के पिता बोले लड़की के मां-बाप को परेशान करके दहेज लेना क्या हिंदू धर्म में सही बात है। मैं 20 लाख कहा से लाऊं? बिना दहेज लिए एक लड़का सुधा से शादी करने के लिए तैयार है। इसीलिए मैं सुधा को लेने आया हूं। सुधा के साथ ससुर पर दहेज का मुकदमा दायर करूंगा। इन को जेल भिजवाऊगा । दहेज का मुकदमा दायर करने पर ही सुधा को तलाक मिल मिल जाएगा।
सुधा के ससुर बलवीर सिंह के यह बात सुनकर तो होश उड़ गए । मनोरमा कुछ कहने जा रही थी तभी कैप्टन की बड़ी लड़की रोते हुए अटैची लिए हुए आ गई और कैप्टन पिता से बोली- पिताजी मुझे मारा पीटा है और घर से निकाल दिया है । दहेज की 25लाख की मांग की है । तभी घर में आने दिया जाएगा। बेटी की यह बात सुनकर कैप्टन बलबीर सिंह मनोरमा से बोले -बेटी तुम आईएस हो गई हो । तुम ही मेरी बेटी का निपटारा करो ।मैं कहां से इतना रुपया लाऊंगा । आईएस मनोरमा बोली -कल मैं कानपुर जा कर सत्य निष्ठा से कानून का पालन करने की शपथ लूंगी । दहेज कानून यही कहता है सुधा के पिता तुम पर मुकदमा दायर करेंगे और तुम्हें जेल जाना पड़ेगा। तुम भी अपने बेटी के ससुर दमाद पर दहेज का मुकदमा दायर करना।
उन्हें जेल जाना पड़ेगा ।दहेज मांगने वालों को कानून यही सबक सिखाता है। तुमने अपनी बहू के साथ जो किया है वही तुम्हारी बेटी के साथ हो रहा है। इस समस्या को तुम खुद ही सुलझा सकते हो। दहेज दानव आए दिन बहू बेटियों की जान ले रहा है ।इस समस्या से समझने के लिए हम सब को खुद ही कुछ करना होगा। दहेज दोनों घरों को बर्बाद करता है। आईएस मनोरमा की बात को सुनकर सुधा के ससुर बोले- मेरी आंखे खुल गई है। मैं सुधा के पिता से अब दहेज नहीं मांगूंगा। सुधा बहू को बेटी की तरह रखूंगा। जब सुधा के ससुर कैप्टन बलबीर सिंह यह सब बातें कह रहे थे तभी कैप्टन की लड़की बोली -पिता जी यह मेरा सब ड्रामा तुम्हारी आंख खोलने का था। जब मनोरमा दीदी ने मुझे यह सब बातें बताई थी ।
अपनी अच्छी भाभी की मदद करने के लिए मनोरमा दीदी के कहे अनुसार आ गई थी। अब आप भाभी को सुखी रखिए और मैं भी सुखी रहूंगी। एक घर की बेटी दूसरे घर की बहू होती है ।दूसरे घर की बहू किसी घर की बेटी भी होती है ।बहू बेटी में अंतर नहीं समझना चाहिए। दहेज दानव से समाज को अब बचना चाहिए। दहेज समाज की एक बहुत बड़ी कुरीति है ।इसे समाप्त करना होगा । बृज किशोर सक्सेना किशोर इटावी कचहरी रोड मैनपुरी