न हों बात- बात में परेशान
न हों बात- बात में परेशान
कभी-कभी जीवन में विपरीत परिस्थिति या कुछ ऐसे-वैसे लोगों की हरकतों से हम परेशान हो जाते हैं और मन ही मन बदला लेने की ठान लेते हैं । जरा सोचें ! ऐसा करके हम अपना ही नुकसान करते हैं ।
हमें यह समझना है कि क्या सही है या गलत है । Totally हमारें BELIEF SYSTEM पर हमारें विचार बने हैं और हमारें विचारों से ही हमारा जीवन बना है । यह बिलीफ सिस्टम किसी भी विचार का एक आधार (Base) है ।
हमें अपने बिलीफ सिस्टम को बदलना बहुत जरूरी है ,कुछ लोग बोलते हैं कि मेरी खुशी इस पर डिपेंड करती है, मेरी खुशी इस चीज पर डिपेंड करती है, कुछ लोग बोलते हैं मुझे आईफोन मिल जाएगा तो मैं खुश हो जाऊंगा कुछ लोग बोलते हैं ।
मुझे बंगला मिल जाएगा तो मैं खुश हो जाऊंगा यह सब गलत बात है, खुश होने के लिए किसी भी चीज की जरूरत नहीं है, Belief System, यह बिलीफ सिस्टम सबसे पहले हमारे परिवार (Family) से बनता है , उसके बाद हमारे Friend सर्कल से बनता है , उसके बाद हमारे टीचर से बनता है जो हमें सिखाते हैं यह तीनों हमारे बिलीफ सिस्टम पर सबसे ज्यादा प्रभाव डालते हैं तो जैसी फैमिली में हम जन्म लेते हैं हमारा बिलीफ सिस्टम उन पर ही निर्भर करता है ।
ज्यादातर लोग Dual Belief System पर विश्वास रखते हैं । अतः हम हमारा भविष्य नही बदल सकते लेकिन आदतें अवश्य बदल सकते हैं, हमारी आदतें हमारा भविष्य जरूर बदल देगी इसलिये कभी भी छोटी-छोटी बातों पर न दे ध्यान और न ही उनसे परेशान हों। प्रदीप छाजेड़