अपने पराए की है हीन भावना
अपने पराए की है हीन भावना
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जनवरी महीने की आखिरी तारीखों की शीत ऋतु की हाड़ कपा देने वाली भयंकर रात थी ।रह रह कर बिजली आकाश में कौंध रही थी। ठंडी हवाओं के साथ ओले की बरसात हो रही थी । वृद्ध आश्रम में चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ था। वृद्ध आश्रम के सभी स्त्री पुरुष अपनी रजाई में दुबके पड़े हुए गहरी नींद में सो रहे थे। 80 वर्षीय के मुछाड़ी कैप्टन बलबीर सिंह रजाई से मुंह निकाले हुए जाग रहे थे और वृद्ध आश्रम की दूधिया बल्बों को निहार रहे थे ।
अतीत की खोई हुई स्मृतियों पर सोच रहे थे। जब मेरा पहला पुत्र अनिल पैदा हुआ था तो हमारी खुशियों का कोई ठिकाना नहीं रहा था। कितने कारतूस फूंक कर मोहल्ले वालों को यह बता दिया था कि कि मेरे घर पुत्र रत्न पैदा हुआ है । सुबह के समय बधाई देने वालों का तांता जब लगा था तो जाने कितने मिठाई के पैकट लोगों के मुंह मीठा करने के लिए बांट दिए गए थे। इस पुत्र को पाने के लिए जाने कितने देवी देवताओं की मनौती की गई थी ।
तब कहीं जाकर कुंवर साहब पैदा हुए थे। सुंदर पुत्र को देखकर ही सोचा करता था बड़े होने पर यह मेरे बुढ़ापे की एक छड़ी बनेगा। जिस को पकडकर में अपना पूरा बुढ़ापा सुखचैन से काट लूंगा। इसी आशा को लेकर उस के पालन-पोषण करने तथा पढ़ाई लिखाई कराने के लिए 30 बीघा जमीन भी बेच दी थी। लेकिन उसे किसी तरह का कष्ट नहीं होने दिया था। डॉक्टर बनने पर उसकी बड़े घराने की बिना दहेज लिए हुए एक सुंदर कन्या से उसकी शादी भी रचाई थी ।
लेकिन मुझे क्या पता था कुलवधू के घर में आते ही मेरा लड़का मुझसे पराया हो जाएगा । हुआ भी यही इस बड़े घर की लड़की को मुझे साथ रखने मे उसको अपनी स्वतंत्रता में बाधा आने लगी थी। मुझे और मेरी पत्नी को ले कर अनिल और उसकी पत्नी रूपवती में आए दिन झगड़ा होने लगा था। रूपवती पति डॉक्टर अनिल से यही कहा करती थी तेरी मां जब मेरी कोई सहेली आती है तो उसके बीच में आकर बैठ जाती है और अपनी राम कहानी कहने लगती है।
जिस से मेरी सहेली मेरा मजाक बनाती है। जब कोई भी पुरुष मुझसे मिलने आता है तो वह मेरे चरित्र पर संदेह करके मुझे शिक्षा देने लगती है । मुझे यह सब बातें बहुत बुरी लगती है। इनको वृद्ध आश्रम में भेज दो तभी मुझे चैन मिलेगी। रात के सन्नाटे में वृद्धा आश्रम के दूधिया बल्ब की ओर निगाह गड़ाए कैप्टन बलवीर सिंह इनअतीत की बातों को सोच रहे थे। तभी बुखार से तड़पते हुए कैप्टन की पत्नी कलावती ने रजाई से मुंह खोल कर देखा--- कैप्टन साहब रजाई से मुंह खोले हुए किसी सोच में पड़े हुए जाग रहे हैं ।
कलावती ने पलंग से उठकर कैप्टन साहब के पास जाकर धीरे से कहा--- तुम अभी जाग रहे हो ? किस सोच में पड़े हुए हो? मेरा बुखार काफी बढ़चुका है। अगर मुझे कुछ हो भी जाए तो ऐसे कपूत पुत्रअनिल को खबर मत करना । जिसने वृद्ध आश्रम में भेजने के बाद आज तक मेरी तुम्हारी खबर नहीं ली है। मेरी बीमारी की खबर पाकर आज तक देखने नहीं आया है। अगर मैं मर जाऊं तो तुम मेरा दाह संस्कार वृद्धा आश्रम के लोगों के सहयोग से कर लेना ।
तुम मिलिट्र में रहे हो हिम्मत से काम लेना । कैप्टन साहब उठकर कलावती के माथे पर हाथ रख कर कहा --इतना बुखार होने पर भी तुमने मुझे क्यों नहीं जगाया ? कैप्टन साहब उठे एक कटोरा में पानी लाकर अपना रुमाल उसमें भिगोकर कलावती के माथे पर रखकर बोले-- -अभी बुखार उतर जाएगा । मुझे तुम धैर्य दे रही थी खुद धैर्य खोकर मरने की बातें कर रही हो। मैं घबरा जागूंगा। अब तुम ही मेरे एक सहारा हो। तुम चली जाओगी तो मेरा कौन रहेगा । मैं भी आत्महत्या कर लूंगा ।
जब कैप्टन बलवीर सिंह और उनकी पत्नी कलावती में धीरे-धीरे आपस मे जब बातें हो रही थी तभी पास के कुछ वृद्धजन जाग गए और जाकर डॉक्टर को बुला लाए ।डॉक्टर ने आकर कलावती को देखा और बुखार उतारने का इंजेक्शन लगा दिया ।डॉक्टर कैप्टन से बोले -इतना बुखार होने पर भी आपने मुझे जगा कर बताया क्यों नहीं ? डॉक्टर की बात सुनकर पास खड़े एक वृद्ध सज्जन बोले-- -इनका लड़का स्वयं एक बहुत बड़ा डॉक्टर है और इसी शहर में रह रहा है।।
कैप्टन साहब के बार-बार बुलाने के बाद भी देखने नहीं आया है । विदेशी सभ्यता में पली हुई उसकी पत्नी नही आने दे रही है। कैप्टन साहब से सब कुछ बिकवा कर कैप्टन साहब को वृद्धा आश्रम में छोड़ कर यह कह कर चले गये थे कि मैं शहर में बड़ा मकान ले लूगा तब तुम्हें ले जाऊंगा।।कैप्टन साहब खबर करते रहते हैं बुलाते रहते हैं ।लेकिन कोई जवाब नहींआता हैं ।
पुराना मकान भी बदल दिया है नए मकान का कोई पता नहीं है ।कैप्टन साहब इसीलिए परेशान रहते हैं। वृद्धा आश्रम के एक बुजुर्ग सज्जन से जब वृद्ध आश्रम के डॉक्टर साहब ने यह सब बातें बताई तो वृद्ध आश्रम के डॉक्टर ने अफसोस जाहिर करते हुए यही बोले---अगर आज की पीढ़ी अपने वृद्धजनों की इसी प्रकार से तिरस्कार अनदेखी करेगी । तू उनके सामने भी यही सब मुसीबतें आएगी। उनकी संतान भी उनके साथ यही करेगी जो वह कर रहे हैं ।
हर माई बाप सब दुखों को झेल कर संतान का पालन पोषण करती है कि भविष्य में उसका सहारा बनेगा। कैप्टन की ओर देखते हुए डॉक्टर सब बोले --बाबा आप मुझे अपना बेटा मानले ।मैं अच्छा से अच्छा इलाज करूंगा। इतना कहकर डॉक्टर साहब चले गए। प्रातः काल का अरुणोदय का बाल्य सूर्य अपनी लालमा विखेरता हुआ निकल रहा था। कैप्टन साहब की पत्नी का बुखार उतर चुका था।
वृद्धा आश्रम के सभी वृद्ध जन सुबह का नाश्ता प्रेम से कर रहे थे।तभी वृद्धा आश्रम का नौकर कैप्टन साहब से आकर बोला- कोई डॉक्टर अपनी पत्नी के साथ आपसे मिलने के लिए आया हुआ है । कैप्टन खुश होकर बोले--- उसे बुलाकर जल्दी लाओ। मेरा बेटा अनिल मुझे लेने के लिए आया है।
वृद्धा आश्रम का नौकर बाहर जाकर उनको लेकर आ गया ।अनिल को ना देख कर कैप्टन साहब और उनकी पत्नी आने वाले को घूर घूर कर देख कर पहचान करने के लिए बोले --डॉक्टर साहब मैं आपको पहचान नहीं पा रहा हू ।आने वाले डॉक्टर और उसकी पत्नी ने कैप्टन साहब और उनकी पत्नी के पैर छुए और मुस्काते हुए डॉक्टर बोला-- मैं तुम्हारे नौकर गोधन का बेटा राजकिशोर हूं ।
मैं अमेरिका से डॉक्टर की पढ़ाईकरके गांव लौट आयाहूं। मैं विदेश की सेवा करने के लिए पढ़ाई करनेनही गया था ।आपने अपनी 6 बीघा खेती बेचकर जो मेरी उस समय आर्थिक सहायता की थी। उसको मैं अभी तक नहीं भूला हूं । आपने गांव की जर जमीन कोठी भले ही बेचे दी है। लेकिन वह जमीन कोठी मैंने आपकेनाम से खरीद ली है अब आप इस कोठी में रहेंगे । मैं गांव में बहुत बड़ा अस्पताल बनवा लिया है ।जब गांव के लोगों ने आपके विषय में बताया तो आपको लेने आ गया हूं आपके आशीर्वाद से गांव बहुत बड़ा अस्पताल आपका नाम पर खोलने जा रहा हूं ।
इसके लिए आर्थिक सहायता देने के लिए देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी तथा लोकप्रिय मुख्यमंत्री योगी ने मेरी देश सेवा करनेकीभावनाओं को देखते हुए मुझे आर्थिक सहयोग देने का आश्वासन दिया । मैं इंपाला गाड़ी लेकर आपको लेने आया हूं । कैप्टन बलबीर सिंह अपने नौकर गोधनकेबेटा डॉक्टर राजकिशोर की उच्च महान भावनाओं की बातों को सुनकर गदगद हो गये।
डॉ राजकिशोर तथा उसकी पत्नी के बार-बार अनुरोध करने के बाद चलने के लिए तैयार भी हो गए। कैप्टन साहब मन ही मन यह सोचने लगे कौन अपना कौन पराया की भावना जिंदगी भर सोचता रहा। अपने पराए की यह व्यर्थ की हीनभावना है ।हम लोग अपना पराया की हीन भावना रखने लगे हैं इसीलिए हम सब दुखी हैं। सारा संसार अपना है।यहां कोई नहीं पराया है।
डॉ राजकिशोर और उनकी पत्नी जब कैप्टन बलवीर सिंह और उनकी पत्नी को लेकर जब गांव में पहुंचे तोगांव के लोगों ने कैप्टन बलबीर सिंह और उनकी पत्नी का भव्य स्वागत किया। गांव तथा क्षेत्रीयजनता ने डॉक्टर राज किशोरकीभावनाओं को देखते हुए आर्थिक सहायता करके गांव में बहुत बड़ा अस्पताल कैप्टन बलबीर सिंह के नाम पर बनवा दिया ।
बृज किशोर सक्सेना किशोर इटावी कचहरी रोड मैनपुरी