अद्भुत औषधि
अद्भुत औषधि
औषधि तो बहुत होती है लेकिन हैं ऐसी औषधि जो दे और किसी को वह ज़ख्म हमारे भरती है ।
वह औषधि है सरल हृदय से क्षमा देना ।मानव का स्वभाव है सरल हृदय । मंझिल है मुसाफ़िर है मैत्री की बहे धारा जिससे सरलता-प्रोत्साहन-उर्वरा सोच का हमको दिखे नज़ारा।
आज सफलता के शिखर पर है तो सरल रहे धैर्य रखे मिलनसारिता रखे क्योंकि आसमान में बैठने की जगह नही होती आना तो धरती पर हैं पर हम इंसान ऐसे है जब कुर्सी मिलती है सत्ता मिलती है राज-पाट मिलता है ,ख़ुद के सामने किसी को कुछ नही समझते ,तानाशाही बरतते हैं, पर कहते है ना कि- हर पूनम बाद अमावस है -हर उजाले बाद अंधेरा ।
इसलिए ज़िंदगी कुछ यूँ भी जी कर देखिये बुझते दीयों में रोशनी कर देखिये , है समंदर बनने की ख़्वाहिश अगर पहले ख़ुद को तो नदी बन कर देखिये । बन खुदा जीना बहुत आसान हैं इंसां बन कर बंदगी देखिये । माफीमांगना और देना हमारी सरल हृदयता का प्रतीक है। गम खाना-हमारी कमजोरी नहीं,हमारी सहिष्णुता की परिचायक है।
हम कभी अपने गुनाह को कबूल करने में शर्म न करें,सरल हृदय से उसे मानकर निशल्य हो जाएं, गलती सबसे हो सकती हँसमझ आने पर उसे मानकर ,उसकी आलोचना लेकर शुद्ध हो जाएं और दोबारा करने से बचें जितना हम कतराएंगे ,उसे मानने से,उतना वो हमें अशांत बनाती रहेगी गलती,हमें अंदर से कचोटती रहेगी,हम शांतचित्त नहीं रह पाएँगेऔर विराधक पद को भी पा सकते हैं,बिना उसे स्वीकारें, हमारा खत्म हो गया तो,इसलिए जहां उलझो,वहीं सुलझो।
कभी बात को लम्बाओं नहीं हमेशा सकारात्मक और जिंदादिली से उत्साहित होकर प्रसन्नचित रहें,तभी हमारी विवेकशक्ति सब काम करने में हमें सहायक होगी। अनेक ऐसे आत्मीय गुण ईमानदारी, सौहार्दता,सामंजस्यपूर्ण व्यवहार हमारे शांत व समन्वय पूर्ण हमारे सम्यकरत्नत्रयी की आराधना हमारे आत्मकल्याण के पूरक गुण है।
हम इन सबको अपनाकर, गुणग्राही बनकर आराधक पद को प्राप्त करें ।इसलिये कहा है कि सरल हृदय से क्षमा देना ऐसी अद्भुत रामबाण औषधि हैं जो न किसी दवाखानें में मिलती हैं और न ही है इसकी कोई घर में बनाने की विधि है , बस यह सरल हृदय की उत्पत्ति हैं । प्रदीप छाजेड़