सावधान एटा - क्या आपकी मिठाई में फफूंदी है? देशी के नाम पर लूट मची है
सावधान एटा - क्या आपकी मिठाई में फफूंदी है? देशी के नाम पर लूट मची है
एटा शहर में अनगिनत देशी घी के नाम पर प्रतिष्ठान खुल रहे है। हमारे यहां शुद्व देशी घी की मिठाईयां एवं नमकीन मिलती है। लेकिन आपको बता दें और खाने वाले भी जानते है कि छेना में कितना घी लगता है और गुलाब जामुन में कितना घी रहता है। वर्फी में घी टपकता है और भी कई मिठाईयां ऐसी है जिनमें घी न की मात्रा में होता है।
आपको बता दें कि पिछले वर्ष 2022 की दीपावली पर एटा की प्रतिष्ठित देशी घी की सुभाष मिष्ठान भण्डार की दुकान से लोगों ने डब्बे पैक मिठाईयां खरीदी थी जिन्हें दूसरे दिन खोलने पर मिठाई के 25 डिब्वों में फफूंदी युक्त मिठाई निकली, जिसका वीडियों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था और फिर स्थानीय प्रशासन सक्रिय हुआ और सुभष मिष्ठान भण्डार पर जा कर कई मिठाईयों के सेम्पल भरे गए।
जिसमें से कुछ सेम्पल फेल भी हुए थे। जिन पर आज भी कोर्ट में कार्यवाही जारी है। आपको बता दें कि एक मुकदमा हाईकोर्ट में भी चल रहा है! क्या आपको पता है त्यौहारी सीजन पर खुले आम देशी घी के नाम पर डकैती डाली जा रही है। 400 रूपये से लेकर 1000 रूपये तक मिठाई बेची जा रही है।
नाम बड़े और दर्शन छोटे? बाटमाप विभाग ने जनता की शिकायत पर शहर की स्वीट की दुकानों पर कम तौल को लेकर छापा मारा गया था जिसमें रेलवे रोड स्थिति गंगा मिष्ठान भण्डार पर 17 अगस्त 2023 को डब्बा सहित 100 ग्राम मिठाई तौल में कम पाई गई, यानी कि 100 ग्राम का डब्बा, और 100 ग्राम मिठाई तौल में कम कुल मिलाकर जनता को एक किलो मिठाई में 800 ग्राम मिल रही है जिसे वह ऊॅची कीमत पर खरीद कर लाता है।
सरकार कहती है जागो ग्राहम जागो! और एटा के ये लोग कहते है कि आॅख बन्द करो और हमारे झांसे में आओ, हम जो बेच रहे है उसे ले जाओ। खाद्य सुरक्षा विभाग इन मिलावट खोरों के यहां समय समय पर सैम्पल भरते रहते है और कार्यवाही करते रहते है उसके बावजूद भी अपनी सांठगाठ के चलते बचे रहते है।
सुभाष मिष्ठान भण्डार पर भी 17 अगस्त 2023 को बाटमाप निरीक्षक ने अपने छापे में डब्बा सहित 47 ग्राम मिठाई कम पाई गई थी जिस पर विभागीय कार्यवाही जारी है जिसे लखनऊ मुख्याल भेजा गया। एटा में मिठाई की दुकान पर भेड़ चाल है मिठाई वाला उन्हें चाहे रिफाइंड की बनी मिठाईयां बेच रह है उन पर घी के छींटें मारकर खुशबू आनी चाहिए लेकर आ रहे है।
आपको बता दें कि सुभाष मिष्ठान भण्डार फर्म लाला उलफतराय जैन की दुकान पर कुछ वर्ष पहले कई सीर्शक देशी घी की मिठाई में कीड़े है नामक से समाचार छप चुके है। ऊॅची दुकानों पर जब भी सैम्पल भरे जाते है हमेशा फेल ही आते है। क्या कारण है कि हम लोग शु़़द्वता की बजाय मिलावट की चीजें खा रहे है। सरकार संक्रामक बीमारियों के लेकर हमेशा सर्तक रहती है और अभियान चलाकर खत्म करती है और ये लोग मिेलावट करके खुलेआम बीमारियां फैला रहे है।
मजे की बात यह है कि हमें देशी घी की मिठाई के साथ 10 रूपये किलो बिकने वाला गत्ता डब्बे के रूप में हम 500 या 800 रूपये में खरीद कर आते है। जो खुलेआम सरकार के मानकों को ताक पर रखकर सब को उल्लू बनाया जा रहा है। त्योहारों पर लोग/फर्म आदि वाले अपने वर्करों को दीपावली आदि पर्व पर मिठाईयां आदि देते है जिन्हें खरीदकर देते है।
वे लोग अपने घरों पर ले जाते है तब तक उस मिठाई में संक्रामक बीमारियां फैलाने वाले कीटाणू पनप जाते है। जो बीमारियों का मुख्य कारण बन जाते है। ये मिठाई वाले जहां से जो देशी घी खरीदते है वह कम्पनी बन्द और कवाड का रूप ले चुकी है। गुणवत्ता कहां कैसे मिले। त्यौहारी सीजन है सब चलता है सब आंख बन्द करके ले जायेगें। सुभाष मिष्ठान भण्डार नाम ही काभी है। मिठाई खाने वाले मिठाई देखकर खरीदें। कहीं उसमें लार्वा न बना हो फफूंदी न हो ज्यादा दिन पुरानी मिठाई न हो। मिठाई अच्छी हो जरूरी नहीं कि वह ऊॅची दुकान की हो।