कायमगंज क्षेत्र में नहीं थम रहा अवैध लकड़ी का कटान
कायमगंज क्षेत्र में नहीं थम रहा अवैध लकड़ी का कटान जितने पेड़ तैयार नहीं हो पाते हैं, उससे कहीं ज्यादा प्रतिबंधित हरे पेड़ वन विभाग तथा पुलिस की मिली भगत के कारण लकड़ी माफिया काटकर उजाड़ रहे हैं धरा की हरियाली
कायमगंज / फर्रुखाबाद । धरती हरी भरी रहे पर्यावरण प्रदूषण बढ़ाने न पाएl मानव जीवन सुखी रहे ।शायद इसीलिए हर साल करोड़ों का बजट व्यय करके सरकार पौधारोपण का कार्य बड़े स्तर पर कराती है । लेकिन विडंबना है कि रोपे गए पौधों में से देखरेख तथा पानी के अभाव में एक सामान्य अनुमान के तौर पर लगभग 80 से 90% पौधे पनपने से पहले ही सूख कर समाप्त हो जाते हैं ।
यदि ऐशा न हो तो एक बार में ही रोपे गए पौधों से सड़क के दोनों किनारो बंजर जमीन तथा निजी एवं सरकारी भूमि पर हरियाली की कमी दिखाई ना दे । लेकिन ऐसा नहीं होता ।केवल पौधारोपण करने के बाद आंकड़े भेज दिए जाते हैं और फिर पौधे अपनी दशा पर खड़े रहकर समाप्त होने को मजबूर होते हैं । ऐसा हर साल होता है । लेकिन आगे की कोई कार्यवाही सही से अमल में लाई ही नहीं जाती । खैर जो भी हो ।
अगर नए रोपे गए पौधों की देखभाल नहीं कर पाई जाती है । जिसके कारण वह नहीं पनप सकते तो फिर पहले से ही खड़े विशालकाय हरे वृक्षों को तो बचा लीजिए । लेकिन यहां तो इन विशालकाय प्रतिबंध हरे पेड़ों पर भी लकड़ी माफिया चाहे रात का अंधेरा हो या फिर दिन का उजाला हर समय कुल्हाड़ी तथा इलेक्ट्रॉनिक आरे वेखौफ होकर चलाते ही रहते हैं । इस तरह लकड़ी माफियाओं द्वारा पूरे क्षेत्र में बड़े पैमाने पर काटे जा रहे , हरे पेड़ों के उजड़ने से धरा सूनी होती जा रही है । वहीं पर्यावरण प्रदूषण भी लगातार बढ़ता जा रहा है ।
यदि देखा जाए तो सही मायने में लकड़ी माफिया इतने निडर होकर लकड़ी कटान का काम अपने दम पर नहीं कर पाएंगे । इसके पीछे की हकीकत तो वास्तव में यही है कि धनलोलुप्ता के चक्कर में संबंधित थाने की पुलिस और खास कर जिम्मेदार वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों का इन लकड़ी माफिया को अभयदान प्राप्त रहता है । इसीलिए वे धरती के श्रृंगार को उजाड़ने में कोई संकोच नहीं कर रहे हैं । उदाहरण के लिए जैसा आप समाचार के साथ प्रकाशित फोटो देख रहे हैं ।
यह फोटो जिसमें एक ट्रैक्टर – ट्रॉली द्वारा काटी हुई प्रतिबन्धित लकड़ी बाकायदा लोड कर कायमगंज के लाल कुआं रोड पर स्थित एक आरा मशीन पर दिन के उजाले में ले जायी जा रही है । क्या यह बात पुलिस और वन विभाग से छुपी है? इस पर विश्वास इसलिए नहीं होता , क्योंकि बगैर मिले अगर कोई एक ट्राली लकड़ी भी आरा मशीन की तरफ लेकर जाता है , तो पुलिस और वन विभाग के गुर्गे या फिर खुद इन विभागों के अधिकारी और कर्मचारी उसे दबोच लेते हैं ।
ऐसी स्थिति में लकडी माफियाओं द्वारा खुलेआम प्रतिबंधित हरी लकड़ी को ले जाते हुए वन विभाग और पुलिस आखिर क्यों और कैसे नहीं देख पाता? शायद यही कारण है कि लकड़ी माफिया हरे प्रतिबंधित पेड़ों को लगातार काट रहे हैं और पुलिस तथा वन विभाग मूकदर्शक बना रहता है l