काश ! ऐसी बारिश आए

Oct 31, 2023 - 19:43
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काश ! ऐसी बारिश आए
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काश ! ऐसी बारिश आए

हममें से कितनो को और किसान भाईयों को वर्षात बहुत अच्छी लगती है ताकि गर्मी का अहसास नहीं हो और उनके खेतों में फसल अच्छी हो । ENO दे झट से आराम और EGO झट से बिगाड़े काम । हमारे जीवन में अकेलापन सज़ा है और एकांत वरदान हैं ।

अगर हम समझे तो तेरा ही तेरा हैं मेरा नही हैं मम का अहं का विसर्जन यही हैं । इस अशांति के झँझावतों में मूल्यवान शब्द है शांति। वैसे ख़ामोशी अपने आप में बड़ी भाषा है तो शोर निराशा हैं । प्यार अपनापन ख़ास है तो नफ़रत नाश और ग़ुस्सा यादों का एक चुभता हिस्सा हैं।

 वही सहनशीलता सुकून का प्रकाश । जाने कौन सी शोहरत पर आदमी को नाज है जो आखरी सफर के लिए भी औरों का मोहताज है । फिर घमंड कैसा ? क्यों मद में चूर अपने समय वजूद और विरासत पर ! कब खत्म हो जाएगा पता ही नहीं चलेगा । सुख दुःख में सम रहे क्योंकि सुख की अति भी अंतत: दुःख में बदल जाती है ।अत: किसी बात में अति न करे ।

देखे हम इतिहास को अतिशय दानी होने के कारण । बलि को बंधना पडा और अतिशय गर्व से रावण का नाश हुआ। काश !ऐसी बारिश आए जिसमें अहम डूब जाए ।मतभेद के क़िले दह जाए ।घमंड चुर-चुर हो जाए ।ग़ुस्से का पहाड़ पिघल जाए । नफ़रत हमेशा के लिए दफ़न हो जाए और हम सब में से हम हो जाए ।

 समय रहते हम सम्भल जाए घोंसला बनाने में यूँ मशगूल ना हो की उड़ने को पंख है यह भी हम भूल जाए ।आचार्य भिक्षु ने भी कष्ट सहे थे तन के लेकिन मन में शांति धारी रही ।क्रांतिकारी वीर भिक्षु ने आगम वाणी खरी कही ।सुख-सुविधाएँ छोड़ सारी दुःख से नाता जोड़ लिया ।सत्य का दामन ना छोड़ा। हम भी इस तथ्य को समझ ले सही अर्थ को जान कृत्य बन जाए । प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड़)