Farrukhabad News ; मेला रामनगरिया: गंगा तट पर बसने लगा तंबुओं का शहर
मेला रामनगरिया: गंगा तट पर बसने लगा तंबुओं का शहर
फर्रुखाबाद। प्रयागराज की तर्ज पर फर्रुखाबाद के गंगा तट स्थित पांचाल घाट (प्राचीन नाम घाटियाघाट) पर लगने वाले मेला रामनगरिया की तैयारियां तेज हो गई हैं। आगामी 3 जनवरी से शुरू होने वाले इस माघ मेले को लेकर मेला समिति ने भूमि के समतलीकरण का कार्य युद्धस्तर पर शुरू करा दिया है। मेला 3 फरवरी तक चलेगा| गंगा किनारे साधु-संत अपने-अपने क्षेत्र निर्धारित कराने के लिए पहुंचने लगे हैं। 10 दिसंबर के बाद संतों का आगमन शुरू हो जाएगा। मेला रामनगरिया को ‘मिनी कुंभ’ भी कहा जाता है। यह प्रदेश के प्रसिद्ध मेलों में शुमार है, जहां देश के विभिन्न शहरों से श्रद्धालु एक माह के कल्पवास के लिए पहुंचते हैं और गंगा तट पर तंबू गाड़कर निवास करते हैं।
मान्यता है कि कल्पवास से साधक का कायाकल्प हो जाता है। इसके लिए 21 कठोर नियमों का पालन आवश्यक बताया गया है, जिनमें सत्य बोलना, क्रोध व नशे से दूर रहना, दान करना, सूर्योदय से पूर्व उठना, नित्य प्रातः गंगा स्नान, एक समय भोजन और भूमि पर शयन प्रमुख हैं। हर वर्ष लगभग 20 हजार कल्पवासी मेले में आते हैं। बच्चों के मनोरंजन के लिए सर्कस, नौटंकी, मौत का कुआं जैसे आकर्षण रहते हैं। ग्रामीण बाजार में दैनिक उपयोग की सभी आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध होती हैं। रात्रि में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए मंच सजता है, जहां सरकारी व गैर-सरकारी संस्थाओं के कार्यक्रम, कवि सम्मेलन और मुशायरे आयोजित किए जाते हैं।
कुंभ की तरह यहां भी साधु-संत अपने अखाड़ों के साथ आते हैं। पंडालों में धार्मिक प्रवचन होते हैं, जिनमें श्रोता भाव-विभोर हो उठते हैं। मेले में निःशुल्क चिकित्सा सुविधा के साथ सरकारी राशन दुकानों से अनाज वितरण की भी समुचित व्यवस्था की जाती है। मेला रामनगरिया न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह फर्रुखाबाद जिले की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक भी है।