मनरेगा से तालाबों का विस्तारीकरण कराते हुए गहरा कराने के दिए निर्देश
मण्डलायुक्त ने भू-जल संरक्षण, प्रबंधन एवं संवर्धन के लिए की बैठक मनरेगा से तालाबों का विस्तारीकरण कराते हुए गहरा कराने के दिए निर्देश
अलीगढ़ । जिले में भू-जल संरक्षण, प्रबंधन एवं संवर्धन से संबंधित महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक मंडलायुक्त संगीता सिंह की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में सभी जल संरक्षण कार्यों की प्रगति की विस्तार से समीक्षा की गई और अधिकारियों को निर्धारित समयसीमा के भीतर गुणवत्तापूर्ण कार्य करने के निर्देश दिए गए। मंडलायुक्त ने कहा कि अलीगढ़ जिले में भू-जल स्तर लगातार नीचे गिरना चुनौती बना हुआ है, ऐसे में सक्रिय जनभागीदारी, जल स्रोतों का पुनर्जीवन, वर्षा जल संचयन और प्रभावी निगरानी अत्यंत आवश्यक है। यदि हम सभी समय रहते सचेत नहीं हुए तो भयंकर समस्या से जूझना पडे़गा। उन्होंने सभी विभागों को निर्देशित किया कि ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में जल संरक्षण संरचनाओं यथा- तालाबों, चेकडैम, सोख्ता गड्ढों के निर्माण और पुनर्भरण कार्यों में तेजी लाई जाए।
प्रत्येक विकासखंड में भू-जल संरक्षण की मासिक प्रगति रिपोर्ट अनिवार्य रूप से प्रस्तुत की जाए। स्कूल-कॉलेजों, ग्राम पंचायतों एवं नगरीय निकायों के माध्यम से जनजागरूकता अभियान को और प्रभावी बनाया जाए। जिन क्षेत्रों में भू-जल दोहन अधिक है, वहाँ नियामक कदम और सख्त निगरानी सुनिश्चित की जाए। मंडलायुक्त ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए कि भू-जल संरक्षण केवल सरकारी परियोजना नहीं, बल्कि भविष्य की सुरक्षा का सामूहिक मिशन है। सभी विभाग समन्वय के साथ कार्य करें और परिणाम धरातल पर दिखाई दें। कमिश्नर ने कहा कि हम सभी को जल उपयोग को लेकर अपने व्यवहार में परिवर्तन लाना होगा। मण्डलायुक्त ने जिलाधिकारी को निर्देशित किया कि जल संरक्षण के लिए जिला, नगरीय, ब्लॉक एवं ग्राम स्तर पर समितियों का गठन कर उन्हें क्रियाशील किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने मनरेगा से तालाबों का विस्तारीकरण कराते हुए गहरा कराने के भी निर्देश दिए। उन्होंने उपाध्यक्ष अलीगढ़ विकास प्राधिकरण की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर रेन वाटर हार्वेस्टिंग की क्रियाशीलता के जांच कराए जाने के भी निर्देश दिए। कमिश्नर ने सीडीओ की अध्यक्षता में स्टीयरिंग कमेटी का गठन करने एवं तलेसरा मॉडल ग्राम की तर्ज पर पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 02-03 ग्रामों के तालाबों पर जल संरक्षण के लिए प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए। बैठक में ग्रे वाटर ट्रीटमैंट एवं शहरी क्षेत्र में प्राकृतिक जल निकासी के स्रोतों के चिन्हीकरण के बारे में भी चर्चा हुई। इसके साथ विशेषज्ञों द्वारा कई अहम सुझाव भी प्रस्तुत किए गए। भूगर्भ जल विभाग द्वारा बताया गया कि सर्वाधिक जल कृषि और फिर घरेलू उपयोग में खर्च होता है। जिले के 06 विकासखण्ड चण्डौस, जवां, खैर, लोधा, गोंडा एवं गंगीरी सेमी क्रिटिकल और इगलास सहित शहरी क्षेत्र क्रिटिकल श्रेणी में पहुॅच गया है।
शहरी क्षेत्र में प्रतिवर्ष एक से सवा मीटर वहीं ग्रामीण क्षेत्र में 06-80 सेंटीमीटर भूगर्भ जल नीचे जा रहा है। बैठक में अपर आयुक्त अरूण कुमार, जेडीपी मंशाराम यादव, सीडीओ योगेंद्र कुमार, एडीएम सिटी किंशुक श्रीवास्तव, सहायक नगर आयुक्त राकेश कुमार, एसई पीडब्लूडी प्रशांत चारैधरी, अधीक्षण अभिंयता प्रभात कुमार, अधिशासी अभियंता राजेंद्र कुमार, सहायक भूगर्भ विज्ञानी श्यामवीर सिंह, एटीपी प्रीती सागर, प्रोजेक्ट मैनेजर सेतु निगम मोहित कुमार, एसोशिएट प्रोफेसर डा0 इसरार अहमद सहित जल निगम, वन, प्रदूषण, आवास विकास विभाग सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।