Etah News : GST विभाग में ₹2.57 करोड़ का घोटाला, निलंबित अधिकारी और बाबू की मिलीभगत से बड़ा फर्जीवाड़ा
एटा GST विभाग में ₹2.57 करोड़ का घोटाला, निलंबित अधिकारी और बाबू की मिलीभगत से बड़ा फर्जीवाड़ा
एटा GST विभाग में ₹2.57 करोड़ का घोटाला, निलंबित अधिकारी और बाबू की मिलीभगत से बड़ा फर्जीवाड़ा
एटा (उत्तर प्रदेश) जीएसटी विभाग से जुड़ा एक **बड़ा भ्रष्टाचार** का मामला सामने आया है जिसने शासन से लेकर स्थानीय प्रशासन तक को हिलाकर रख दिया है। **₹2 करोड़ 57 लाख 21 हजार 297 रुपये** के इस फर्जीवाड़े में विभाग के ही अफसरों की संलिप्तता सामने आई है। मुख्य आरोपी राज्य कर अधिकारी प्रशांत कुमारी को तत्काल प्रभाव से **निलंबित कर दिया गया है**, जबकि आरोपी बाबू **दुष्यंत कुमार**, जो वर्तमान में **इटावा में कार्यरत हैं**, पर भी कार्रवाई की गई है। इस घोटाले में **जलेसर कस्बे में फर्जी दस्तावेजों पर बनाई गई 5 बोगस फर्मों** के जरिए अवैध इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) क्लेम किया गया।
★ STF की जांच में चौंकाने वाले खुलासे:
STF की प्राथमिक जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि जीएसटी अधिकारियों ने जानबूझकर दस्तावेजों की जांच नहीं की और **फर्जी फर्मों को वैध मानकर ITC क्लेम पास कर दिया।** इससे इनकी **मिलीभगत की पुष्टि हुई है**। अब तक की जांच में इन दोनों के खिलाफ **FIR दर्ज की जा चुकी है** और आगे की जांच में अन्य बड़े नाम सामने आने की आशंका है।
★ FIR का दायरा बढ़ा, अन्य एजेंसियां भी जांच में सक्रिय:
शासन के निर्देश पर एटा कोतवाली नगर में पांच फर्मों, दो अधिकारियों और एक बाबू पर FIR दर्ज की गई है। शासन स्तर पर **ED, DGGI, और STF जैसी एजेंसियां** भी इस मामले की परतें खोलने में जुटी हैं।
★ सूचना छुपाते हैं भ्रष्ट अफसर, शिकायतकर्ता को धमकाते हैं:
स्थानीय व्यापारियों और समाजसेवियों का आरोप है कि **एटा GST कार्यालय में सूचना का अधिकार (RTI) के तहत भी जानकारियाँ नहीं दी जातीं।** शिकायत करने वालों को **धमकाया जाता है**, और उच्च अधिकारी भी इस गोरखधंधे पर **चुप्पी साधे हुए हैं।** एक व्यापारी ने बताया कि विभाग में **"प्राइवेट पाल" (निजी गुर्गे)** रखे गए हैं जो व्यापारियों से **उगाही** करते हैं और शिकायत करने पर अंजाम भुगतने की धमकी दी जाती है।
★ "प्याज के छिलकों" जैसे खुलते घोटाले:
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि यदि इस विभाग की गहराई से निष्पक्ष जांच* करवाई जाए, तो यह घोटाले **प्याज की परतों* की तरह खुलते जाएंगे। यह सिर्फ शुरुआत है, पूरा सिस्टम भ्रष्टाचार की जड़ में जकड़ा है। अब सवाल यह है – क्या शासन इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करवा पाएगा? क्या दोषियों को वाकई सजा मिलेगी, या एक बार फिर शिकायतों को दबा दिया जाएगा?
◆ आपकी राय क्या है? क्या भ्रष्ट अफसरों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए?





