आवारा कुत्तों की होगी नसबंदी और रैबिज टीकाकरण राज्यों की जिम्मेदारी, आशा करेगी पहचान

Aug 25, 2025 - 09:01
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आवारा कुत्तों की होगी नसबंदी और रैबिज टीकाकरण राज्यों की जिम्मेदारी, आशा करेगी पहचान

आवारा कुत्तों की होगी नसबंदी और रैबिज टीकाकरण राज्यों की जिम्मेदारी, आशा करेगी पहचान

◆ सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने अपनाया सख्त रुख, हर राज्य को हर महीने भेजनी होगी प्रगति रिपोर्ट

नई दिल्ली। देशभर में बढ़ती आवारा कुत्तों की समस्या को लेकर अब केंद्र सरकार ने कमर कस ली है। सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद केंद्र ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सख्त निर्देश जारी किए हैं। इसके तहत अब प्रत्येक राज्य को अपने क्षेत्र के कम से कम **70% आवारा कुत्तों की नसबंदी और रैबिज टीकाकरण अनिवार्य रूप से करना होगा। पहले जहां केंद्र की भूमिका केवल सुझाव तक सीमित थी, अब इसे बाध्यकारी बना दिया गया है और राज्यों की जवाबदेही तय कर दी गई है। पशुपालन मंत्रालय ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर इस योजना के तत्काल क्रियान्वयन और प्रगति रिपोर्ट की माँग की है।

★ जवाबदेही तय, केवल योजनाओं तक सीमित नहीं रहेगी कार्रवाई** सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि नसबंदी और टीकाकरण के बाद कुत्तों को **उन्हीं की मूल जगह पर वापस छोड़ा जाए**, जिससे मानवीय दृष्टिकोण बना रहे। इसी निर्देश के अनुरूप केंद्र ने अपनी नीति में बदलाव किया है। अब राज्यों को हर महीने **पशु कल्याण बोर्ड को विस्तृत रिपोर्ट भेजनी होगी**, जिसमें नसबंदी, टीकाकरण और पुनःस्थापन की जानकारी होगी।

★ योजना को सफल बनाने के लिए केंद्र देगा आर्थिक मदद** केंद्र ने न केवल लक्ष्य निर्धारित किए हैं, बल्कि उन्हें पूरा करने के लिए आर्थिक सहायता भी मुहैया कराई है: 1- प्रति कुत्ता 800 रुपये** और **प्रति बिल्ली 600 रुपये** का अनुदान 2 - बड़े नगरों में फीडिंग जोन, रैबिज कंट्रोल यूनिट और आश्रय स्थल** के लिए विशेष फंड 3 - छोटे आश्रयों को 15 लाख और बड़े आश्रयों को 27 लाख रुपये** तक सहायता 4 - पशु अस्पतालों और आश्रयों के उन्नयन के लिए **2 करोड़ रुपये तक का एकमुश्त अनुदान**

★ स्थानीय स्तर पर भी होगी सशक्त भागीदारी** केंद्र ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस योजना को धरातल पर उतारने के लिए **स्थानीय NGOs और आशा कार्यकर्ताओं** की भागीदारी बेहद जरूरी है। मोहल्ला स्तर पर कुत्तों की पहचान, पकड़ने, उपचार, टीकाकरण और पुनःस्थापन का कार्य इन्हीं की मदद से होगा। इससे ना केवल काम की रफ्तार बढ़ेगी, बल्कि स्थानीय विवाद भी कम होंगे।

★ बीमारी से भी बचाएगी योजना** सरकार का मानना है कि केवल संख्या नियंत्रण ही नहीं, बल्कि **रैबिज जैसी जानलेवा बीमारियों से बचाव** भी इस अभियान का अहम उद्देश्य है। टीकाकरण से लोगों की जान बचाई जा सकेगी, और एक सुरक्षित सार्वजनिक जीवन सुनिश्चित किया जा सकेगा।

 ● निष्कर्ष:** केंद्र की इस सख्त और ठोस पहल से अब उम्मीद की जा सकती है कि देशभर में आवारा कुत्तों की समस्या पर प्रभावी नियंत्रण होगा। साथ ही, आम नागरिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य की दिशा में भी एक बड़ा कदम साबित होगा।