कुछ जानी-अनजानी, कुछ कही-अनकही किस्से-कहानियां स्वतंत्रता दिवस के मौके पर शेयर की जाती हैं

Jul 29, 2025 - 10:52
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कुछ जानी-अनजानी, कुछ कही-अनकही किस्से-कहानियां स्वतंत्रता दिवस के मौके पर शेयर की जाती हैं

कुछ जानी-अनजानी, कुछ कही-अनकही किस्से-कहानियां स्वतंत्रता दिवस के मौके पर शेयर की जाती हैं

 स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अनेक किस्से-कहानियां हम आपस में शेयर करते हैं। कुछ जानी-अनजानी, कुछ कही-अनकही। इस देश में अनेक रणबांकुरे हुए हैं जिन्होंने मातृभूमि पर अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। इसी देश में साधारण लोग भी ऐसे हुए हैं जिन्होंने देश के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। किसी ने तन से किसी ने मन और किसी ने धन से, जब भी जरूरत हुई अपनी सामर्थ्य के अनुसार देश के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ दिया। आज हम एक किले की बात करते हैं। जिस किले की रक्षा के लिए वहां की प्रजा ने अपने चांदी के गहने राजा को समर्पित कर दिए थे, ताकि लोहे की कमी झेल रहा राज्य चांदी के गोले बनाकर दुश्मन पर दाग सके। आज वही किला अपने अस्तित्व को बचाने के लिए प्रशासन की बाट जोह रहा है। असल में हम बात कर रहे हैं चुरु के किले की। वर्तमान में यह किला राजस्थान सरकार के स्वामित्व में है और किले के भीतर कोतवाली, अस्पताल व विद्यालय संचालित हैं। अपनी स्वतंत्रता को बचाए रखने के लिए दुश्मन पर चांदी के गोले दागने के लिए प्रसिद्ध यह किला अवैध कब्जों व सरकारी उदासीनता का शिकार है और जीर्णोद्धार के अभाव में किले का परकोटा जगह जगह से क्षतिग्रस्त है। सबसे बड़ी बात कोतवाली से महज कुछ मीटर दूर इस किले के मुख्य द्वार एक किंवाड़ तक चोरी हो गया, आपको बता दें किले का यह किंवाड़ इतना भारी था कि इसे बिना क्रेन नहीं उठाया जा सकता।

जाहिर है चोर दरवाजा ले जाने के लिए अपने साथ क्रेन मशीन व ट्रेक्टर जरूर लाये होंगे। किले की इस अवस्था व प्रशासन की उदासीनता को लेकर चुरु के नागरिक उद्वेलित हैं। यहां के जुनूनी युवा और बच्चे इस किले की ऐतिहासिक कहानी को शान से शेयर करते हैं। वे अपने यहां आने वाले मेहमानों को भी बताते हैं कि कैसे किले की कहानी सबको आकर्षित करती है। लेकिन इस घटना-दुर्घटना के कारण लोगों का मन खिन्न हुआ है। यहां के युवा, बच्चे और बुजुर्ग सभी इस प्रकरण से नाराज हैं। हैरिटेज व ऐतिहासिक धरोहरों की महत्ता समझने वाले युवाओं से अपील है कि चुरु की इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिए आगे आयें। चुरु के युवा स्थानीय प्रशासन व राजनेताओं पर दबाव बनायें ताकि वे जागे और इस ऐतिहासिक धरोहर का संरक्षण करने हेतु जीर्णोद्धार करावें। असल में बताया जाता है कि जब किले की आन-बान पर बात बनी तो यहां के लोगों ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। विजय गर्ग सेवानिवृत्त प्रिंसिपल, शैक्षिक स्तंभकार, प्रख्यात शिक्षाविद्, गली कौर चंद एमएचआर मलोट पंजाब