प्रेम के परदे में हत्या - देशभर में विवाहिता पत्नियों द्वारा पतियों की योजनाबद्ध हत्याएं"

प्रेम के परदे में हत्या - देशभर में विवाहिता पत्नियों द्वारा पतियों की योजनाबद्ध हत्याएं"

Jun 24, 2025 - 09:21
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प्रेम के परदे में हत्या -  देशभर में विवाहिता पत्नियों द्वारा पतियों की योजनाबद्ध हत्याएं"

प्रेम के परदे में हत्या - देशभर में विवाहिता पत्नियों द्वारा पतियों की योजनाबद्ध हत्याएं"

राम प्रसाद माथुर

भारत आज एक नई और भयावह सामाजिक प्रवृत्ति से जूझ रहा है। देश के अलग-अलग हिस्सों में एक के बाद एक ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, जहाँ विवाहिता पत्नियाँ अपने प्रेमियों के साथ मिलकर अपने पतियों की हत्या कर रही हैं। ये घटनाएं महज घरेलू कलह या भावनात्मक उथल-पुथल का परिणाम नहीं हैं, बल्कि एक सुव्यवस्थित साजिश और लालच की मानसिकता को दर्शाती हैं। जहाँ कभी शादी को एक पवित्र संस्था माना जाता था, आज वही विवाह संबंध संदेह, छल और अपराध की आंधी में डगमगाने लगा है। बीमा की मोटी रकम, संपत्ति पर अधिकार, प्रेमी के साथ स्वतंत्र जीवन की चाह और पुराने संबंधों से पीछा छुड़ाने की लालसा इन हत्याओं के पीछे छिपे प्रमुख कारणों में से हैं। उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव में ऐसी ही एक घटना ने पूरे इलाके को हिला दिया। रेखा नाम की महिला ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने पति को मौत के घाट उतार दिया।

हत्या को आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की गई। लेकिन पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट ने हत्या की पुष्टि की और मोबाइल लोकेशन डेटा ने रेखा के प्रेमी को घटना स्थल के करीब पाया गया। पुलिस की पूछताछ में यह सामने आया कि रेखा और उसके प्रेमी ने मिलकर बीमा की 15 लाख रुपये की पॉलिसी के लिए यह पूरी योजना रची थी। महाराष्ट्र में एक मामला और भी चौंकाने वाला था। मुंबई के वडाला इलाके में विजय तांबे की मौत को उनकी पत्नी श्रेया ने आत्महत्या बताया, लेकिन सीसीटीवी फुटेज और पड़ोसियों की गवाही ने इसे हत्या सिद्ध किया। श्रेया के प्रेमी, जो कि एक बिल्डर था, को पुलिस ने शक के आधार पर हिरासत में लिया और पूछताछ के बाद उसने कबूल किया कि उसने श्रेया के साथ मिलकर हत्या की योजना बनाई थी। विजय की संपत्ति और शेयर होल्डिंग के लाभ के लिए दोनों ने यह साजिश रची थी। बिहार की राजधानी पटना से भी एक ऐसा ही मामला सामने आया जिसमें एक सरकारी कर्मचारी को उसकी पत्नी ने ज़हर देकर मार डाला। पत्नी ने दावा किया कि पति की मृत्यु हार्ट अटैक से हुई है। लेकिन पोस्टमॉर्टेम और मेडिकल जांच से पता चला कि शरीर में एक दुर्लभ जहर मौजूद था जिसे सामान्य रिपोर्ट्स में नहीं पकड़ा जा सकता। जांच में पता चला कि पत्नी का संबंध एक अस्पताल कर्मचारी से था जिसने उसे यह विष दिया और योजना में मदद की।

तमिलनाडु के कोयम्बटूर में एक हाई-टेक हत्या ने पूरे देश को चौंका दिया। एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर को उसकी पत्नी ने ड्रोन के ज़रिए ज़हरीला पैकेज भिजवाकर मार डाला। हत्या इतनी सफाई से की गई थी कि शुरुआत में किसी को शक नहीं हुआ। लेकिन टेक्नोलॉजिकल फॉरेंसिक जांच में पता चला कि ड्रोन की लोकेशन, मोबाइल ऐप्स की ट्रैकिंग और मेल्स ने इस साजिश को उजागर कर दिया। पत्नी के प्रेमी की टेक कंपनी से जुड़ाव था, जिसने यह साजिश तैयार की थी। दिल्ली जैसे शहर में, जहाँ हर कोने में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, वहाँ भी ऐसी साजिशें पकड़ी नहीं जातीं अगर पुलिस सतर्क न हो।

नई दिल्ली में एक वकील की मौत के पीछे उसकी पत्नी और एक ड्राइवर का नाम सामने आया। पत्नी ने दावा किया कि पति फिसल कर गिरा और उसकी मौत हो गई, लेकिन पुलिस को शव के आसपास खून और संघर्ष के निशान मिले। पूछताछ में सामने आया कि पत्नी का ड्राइवर से संबंध था और दोनों ने मिलकर पति को रास्ते से हटाने की योजना बनाई थी। इन घटनाओं की एक समानता है—हर एक में महिला ने एक नए जीवन की चाह में अपने पति की बलि दी। कहीं प्रेमी को पाने की लालसा, कहीं पैसे और संपत्ति पर अधिकार की चाह, और कहीं पति की क्रूरता या संदेह के डर ने इन पत्नियों को अपराध के रास्ते पर ले गया। इन मामलों में केवल महिलाओं की संलिप्तता नहीं है, उनके प्रेमी भी बराबर के दोषी हैं। कई बार प्रेमी ही हत्या की पूरी योजना तैयार करते हैं, हत्या में उपकरण मुहैया कराते हैं, और बाद में अदालत में खुद को निर्दोष साबित करने की कोशिश करते हैं। पुलिस और जांच एजेंसियों के लिए इन मामलों की जाँच आसान नहीं होती। कई बार पत्नी हत्या को आत्महत्या का रूप देने की कोशिश करती है। वे घटनास्थल को साफ करती हैं, मोबाइल डेटा मिटा देती हैं, और अलिबाई तैयार कर लेती हैं। लेकिन अब डिजिटल साक्ष्य और फॉरेंसिक साइंस के सहारे सच्चाई बाहर आने लगी है। इन घटनाओं से समाज में दोहरी बहस शुरू हो गई है। एक वर्ग का कहना है कि ये घटनाएं महिलाओं की बढ़ती स्वतंत्रता और गलत इस्तेमाल का उदाहरण हैं। वहीं, दूसरा वर्ग मानता है कि घरेलू हिंसा, पति का अत्याचार और महिलाओं की आवाज़ न सुने जाने के कारण वे ऐसे कदम उठाने को मजबूर हो रही हैं। 

मनोवैज्ञानिक इन घटनाओं को महिलाओं के दबे हुए क्रोध, असंतोष और बदलाव की चाह से जोड़ते हैं। उनका कहना है कि जब महिला अपनी पहचान को लेकर असुरक्षित महसूस करती है और सामाजिक रूप से फंसी होती है, तब वह कानून का सहारा लेने की बजाय शॉर्टकट यानी हत्या का रास्ता अपनाती है। वहीं, कानून विशेषज्ञ मानते हैं कि चाहे वजह कोई भी हो, हत्या की कोई माफी नहीं हो सकती। यदि महिला को अत्याचार का शिकार बनाया गया था, तो उसके पास कानून का रास्ता था, शिकायत कर सकती थी, तलाक ले सकती थी, लेकिन हत्या करना अपराध है और उसे सख्त सजा मिलनी ही चाहिए। भारत में विवाह संस्था एक सामाजिक ढांचा है जिसमें दोनों पक्षों की जिम्मेदारी होती है। जब यह ढांचा टूटता है, तो सिर्फ दो लोगों की ज़िंदगी नहीं, बल्कि पूरा परिवार और समाज प्रभावित होता है। ऐसे अपराधों का बढ़ना इस बात का संकेत है कि रिश्तों में संवाद की कमी, विश्वास का टूटना, और भावनात्मक दूरी खतरनाक मोड़ ले सकती है।

 सरकार को इन घटनाओं को केवल पुलिसिया मामला समझने की बजाय सामाजिक समस्या के रूप में देखना होगा। स्कूलों, कॉलेजों और समाज में विवाहपूर्व काउंसलिंग, भावनात्मक शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य पर काम करना होगा। साथ ही महिलाओं को यह सिखाना जरूरी है कि उनके अधिकार हैं, लेकिन उन अधिकारों का इस्तेमाल जिम्मेदारी से करें। मीडिया की भूमिका भी यहाँ महत्वपूर्ण बनती है। जब ऐसे अपराधों को सनसनीखेज बनाकर परोसा जाता है, तो यह समाज में गलत संदेश देता है। जरूरत है संतुलित रिपोर्टिंग की, जहाँ न तो महिलाओं को पूरी तरह दोषी ठहराया जाए, और न ही उन्हें पूरी तरह मासूम दिखाया जाए। सच्चाई को सामने लाना ही पत्रकारिता की असली परीक्षा है।

अंततः, विवाह एक समझौता है, एक साझेदारी है। अगर उस साझेदारी में प्यार, संवाद और सम्मान खत्म हो जाए तो वहाँ केवल दुख, संदेह और अंततः अपराध ही बचता है। इन घटनाओं से हम सबको सीखने की जरूरत है—कि रिश्ते कमजोर हों तो उन्हें सुधारा जाए या सम्मानपूर्वक समाप्त किया जाए, न कि धोखे, हत्या और साजिश के रास्ते पर चलकर।