गीत और बातों में सजी कहानी
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,गीत और बातों में सजी कहानी--
हर सूत्र में प्यार के मोतियों की अहम भूमिका होती है--
लक्ष्मी के संग सोना निखरा-- और बिखर गई नारी-- एसी सिमटी समझौतों संग-- बिन गहनों के सज गई नारी--
अंधियारों में एसी बिखरी-- मन सुलगाय सिमट गई नारी-- सम्मुख बैठ बक्त दर्पन के-- अम्बर ओढ़ि उतरि आई नारी
-- कहानी--
एक लड़की और यौवन के ख्वाब-- पलकें सोने की होती है जहां आसमानी ख्वाब हर रात उतर कर सोते हैं, कि उसके ख्वाबों का राजकुमार एक दिन आएगा बड़ी घोड़ी पर बैठकर और उसे दुल्हन बना कर लाल ओढ़नी सोने के जेवर तन पर सजा कर सुनहरे धागे में पुरोह कर काले मोतियों का मंगल सूत्र और भरे गले का हार और मांग में अपनी चुटकियों से भर कर सिंदूर माथे पर बिंदी लगाकर होंठों से नशीव को चूमेगा,गोरी पतली मुलायम कलाइयों में बाबुल के घर की हरी चूड़ियों मे जब अपने हाथों से बो लाल चूड़ियां पहनाएगा कांच का दर्पन हटा कर बो अपने मन दर्पन की निगाहों मे भरकर काली घनी जुल्फों में अपनी उंगलियों से बाबुल की उंगलियों की कंघी बदल कर मासूम और बेखौफ सी जिद की ऐंठन खोल कर गजरों के फूल सजाएगा।
कोमल पांव में पायल पहना कर बाबुल की दहलीज से पार कराएगा और बंद नयनों से बेखौफ तन मन उस पर छोड़ दूंगी, क्यों कि मां कहती थी बाबुल की दहलीज पार करने से पहले बहुत कुछ मन से उतारना पड़ता है-- साजन के घर--जैसे मैंने भी उतारा है तुम भी---और मैं तुम्हें दहेज में अपनी वसीयत नाम कर दूंगी जैसे कि मेरी मां और तुम्हारी नानी ने मेरे नाम की थी तब तुम्हें बाबुल और साजन के घर में बहुत सी बदली चीजें होंगी पहचाने में दिक्कत नहीं होगी-- मां अपने हाथों से गुड़िया बना कर खेलने को देती थी और घर बनाने को कुछ बिखरे हुए से सामान और कहती थी इन्हें जोड़कर घर बनाओ उसमें अपनी गुड़िया और गुड्डे को बिठाकर हमारी तरह अपना काम करो- पता नहीं गुड़ियों से खेलते खेलते कब यौवन ने दस्तक दे दी और पापा ने राज कुमार की तस्वीर हाथ में देकर कि ये तुमसे मिलने आएगा तुमसे बातें करेगा जैसे तुम मां के दिये हुए गुड्डे से करती थीं इसी तरह इससे भी-- पर इस बार गुड़िया पापा की बातों से सरमा कर अपने रूम में चली गई वहां बैठ कर उस तस्वीर को देखा और उसके बिन कहे बातों के जबाब मुस्कराते हुए अकेली दे रही थी मां रूम से बाहर छिपकर देख कर पता नहीं कब चली भी गई और पापा को जाकर बताने लगी कि लगता है।
हमारी गुड़िया को अपना राजकुमार पसंद आ गया पापा ने कहा कैसे पता है गुड़िया ने बता दिया है क्या-- मां नहीं आज हमने उसमें अपना बो यौवन देखा है जैसे पहली बार तुम्हारी तस्वीर से अकेली अनगिनत बातें की थी पापा मुस्कुरा कर बोले चलो अगले दिन बो लोग देखने आ रहे हैं तैयारी करनी होगी मां ने कहां जी---लड़का और उसका परिवार आ गये दोनों परिवार एक दूसरे से मिल कर खुश थे--- अब लड़का और लड़की दोनों अलग बैठकर एक दूसरे से बातों ही बातों में अपनी अपनी पसंद के--लड़का बोला हंसते हुए आज हम आपके घर ठहर जाएं क्या आप हमारे-- लड़की सरमा कर पलकें झुका कर बोली मां से पूछ कर-- लड़का मुस्कुराते हुए--नही मेरी चौयस इस बात में हमें आपके अंदर तक जाना था ।
और हम बड़ी आसानी से जाकर बाहर-- लड़की बो क्या जानना था-- लड़का हम अपने माता-पिता के संस्कार और तहजीब के कितने करीब है और तुम ने इस परिचय का पता बड़े आसानी से दे दिया हमने एक रात ठहरने के--और तुमने सरमा कर जब मां से बात करने को कहा-- यह बात हमें आपकी आपसे भी सुंदर लगी कि बक्त कभी एक जगह नहीं ठहरता कभी खुशी तो कभी गम उस बक्त हम दोनों तो साथ रहेंगे खैर-- इस बार पापा का नजरिया बिल्कुल बदला हुआ था गुड़िया की शादी को लेकर जैसे कि और बहनों की शादी और पसंद को देखते पापा ने बड़े बड़े घरानों में बेटियां देकर बो खुशी नहीं महसूस की जो होनी चाहिए थी, इस बार पापा ने सबसे पहले गुड़िया की पसंद और नेचर को मद्देनजर रखते हुए गांव नहीं शहर अमीर हो न हो पर शिक्षा और सभ्यता जरूर हो समाज में अच्छी पहचान-- शादी हो जाती है गुड़िया के ख्वाबों की पूर्ति के साथ, पर एक बात जो हर अमीर और गरीब की रश्मों रिवाजों में सबसे ज्यादा महत्व पूर्ण होती है ।
दुल्हन के गले में मंगलसूत्र बो नहीं था,पर गुड़िया पर इसका कोई असर नहीं था बो खुश थी अपनी चाहतों के अनुसार उसका राजकुमार-- खैर शादी संपन्न होने के बाद पहली रात में पति ने आंखों में आंशू भरकर अपना घर और बक्त शेयर कर दिया मां बचपन में छोड़कर-- पापा बड़ी पोस्ट पर सरकारी-- रिटायर्ड और दो साल पहले हार्ट अटैक से-- हम सब बच्चे छोटे छोटे थे पापा ही सारी पैसे और गहनों की देखभाल करते थे-- लेकिन अचानक मौत से बो हमें कुछ भी नहीं बता सके और तब तक हम अपने पर डिपेंड भी नहीं-- रात और दिन की तबाही-- और हमने किसी से मांगकर आपके वदन को सजाकर उतारना सबसे बड़ी गरीबी और लाचारी को-- गुड़िया ने हंसकर बोला आप को सच बताऊं हमें इस बात का जरा भी एहसास मात्र नहीं था आपने बताकर मंगल सूत्र का महत्व बताया खैर कोई बात नहीं आप हमारे लिए हर कमी की पूर्ति हो हमें वैसे भी ज्यादा गहने और सजने की आदत नहीं है बस कपड़ों से प्यार है पति बोले लगता है हमारी पत्नी-पत्नी कम और मां ज्यादा, पत्नी एसा क्यों पति आपने हमारी इतनी बड़ी दिमागी उलझन को हमारी पल भर में सुलझा कर आसान कर कि हर सूत्र मे प्यार के मोतियों की अहम भूमिका होती है-- दूसरा भाग आगे के पन्नों पर--
लेखिका-पत्रकार-दीप्ति चौहान।