ढोंगी जोगी बाबा
ढोंगी जोगी बाबा
पंडित रामस्वरूप के दो लड़के और एक लड़की थी। बड़े लड़के का नाम नरेंद्र जिसकी उम्र 25 साल कीथी। जो एक कॉलेज में नौकरी करता था ।छोटा लड़का सुरेंद्र जिसकी उम्र 23 साल थी वह खेती बाड़ी घर पर देखता था।बड़े पुत्र नरेंद्र के एक लड़का श्याम किशोर 2 वर्ष का एक लड़की लाजवंती 1 साल की थी ।पंडित जी की लड़की कल्पना जिसकी उम्र 20 साल की थी। पंडित जी ने उसकी शादी धूमधाम गढ़िया के मोहन से कर दी थी। पंडित जी की लड़की कल्पना के भी 1 साल की पुत्री चंचल थी ।जब छोटी बहू के रूपबती के कोई संतान नहीं हुई। तोरिश्तेदार घर भैया मोहल्ला पड़ोस के लोग छोटी बहू रूप बती पर तरह तरह की टिप्पणी करने लगे।
मित्र मंडली छोटे लड़के सुरेंद्र पर भी टीका टिप्पणी और उससे बच्चे ना होने की मजाक करने लगे ।छोटा लड़का सुरेंद्र तथा उसकी बहू रूपवती दोनों प्राणी काफी उदास रहने लगे ।सुरेंद्र खुद को तथा अपनी बहू को डॉक्टरों को दिखाया। डॉक्टर ने सुरेंद्र को सही तथा बहू मैं कुछ कमी बताई। बहू का इलाज भी चल चलने लगा लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ पड़ोस में रहने वाली एक विधवा चंद्र वती ने 1 दिन एकांत में छोटी बहू को पाकर उससे कहा अगर तू मेरी बात माने। तो 1 दिन तू मेरे साथ चल के जोगी बाबा को अपना हाथ दिखाएं। वह तेरे हाथ को देखकर सब बता देंगे। पडोसिन विधवा के कहने पर छोटी बहू पड़ोसन विधवा के साथ जोगी बाबा के पास पहुंच गई। जोगी बाबा ने जब रूप वती को देखा तो उसकी चढ़ती जवानी रूप सुंदर पर मोहित हो गया। रूपवती का का हाथ देखकर जोगी बाबा बोले -तेरे भाग्य में कोई संतान नहीं लिखी है। तेरे इस तन से कोई संतान नहीं हो सकती है। रूपवती बहुत उदास हो गई आंखों में आंसू भर लिए। जोगी बाबा ने जब युवती के आंखों में आंसू देखे तो बोला तू अगर मेरी बात माने तो कोई उपाय बता सकता हूं।
रूपवती को डूबते का सहारा मिला वह आंसू पहुंछते हुए बोली- बाबा आप जो कहेंगे मैं वही अब मैं करूंगी मुझे बस संतान चाहिए। जोगी बाबा ने जब देखा रूप बत्ती से जो वह कहेंगे वह मान जाएगी । मेंजोगी बाबा बोले- तू अपने तन को किसी दूसरे को दान कर दे । तब दान लेने वाली से तेरी औलाद हो सकती है । रूपवती जोगी बाबा की बातों में आकर बोली- मैं अपने तन को दान देने के लिए तैयार हूं । जोगी बाबा बोला- तेरे घर में कोई ऐसा है जो तेरे तन का दान ले सके। जो दान लेगा उसके कभी कोई संतान नहीं फिर होगी । ऐसी कोई कुर्बानी देने को तैयार हो तो उसका मुझे नाम बताओ । रूपवती बोली- ऐसा करने को कोई तैयार नहीं होगा। जोगी बाबा बहुत देर तक चुप रहे फिर बोले- अगर चाहे तो मैं दान लेने के लिए तैयार हूं ।मुझे अपने लिए कोई संतान नहीं चाहिए । रूपवती बोली ठीक है बाबा । जो आप कहेंगे मैं वही करूंगी । पास बठीविधवा की ओर देखते हुए जोगी बाबा बोले- अब तुम मंदिर के अंदर चल करअपने तन का दान देने का संकल्प करो । जोगी बाबा के साथ मंदिर के लिए रूप बत्ती और पड़ोसन विधवा चुपचाप चलदी ।मंदिर के अंदर जाकर जोगी बाबा ने गंगाजल देआकर रूपवती से 3 तीन बार त्रिबाचा करा के बचन लिया।
जोगी बाबा ने जैसा कहा रूपवती ने वैसा ही किया ।जोगी बाबा ने रूप बत्ती के तनपर गंगा जल छिडकते हुए रूपवती के गोरे गोरे बदन पर हाथ फेरते हुए बाबा ने कल अकेली 12 बजे रात को मंदिर पर बिना किसी को बताए चुपचाप चली आना। मैं तुझे संतान दूंगा ।बाबा की बातों को सुनकर रूपवती खुश हो गई ।दूसरे दिन 12 बजे रात को आने के लिए बाबा सेकहकर चली गई ।दूसरे दिन ठीक 12: बजे रात को घर से बिना किसी के कहे मंदिर में चली आई और मंदिर में आकर बाबा से बोली -आप जो कहेंगे मैं वैसा ही करती रहूंगी। बाबा ने उसके गोरे गोरे बदन पर हाथ फेरते हुए कहा -अब तो सब वस्त्र उतार दे और नग्न अवस्था में आ जा । रूप बत्ती बोली -बाबा मुझे शर्म आएगी । मैं वस्त्र नहीं उतारूंगी। यह गलत काम होगा जोगी बाबा क्रोधित होकर बोला- जब तू अपना तन दान दे चुकी है। तो तू इस तन की अधिकारी नहीं रही है ।अब मैं जैसा कहूं तू पैसा करती जा ।अगर संतान चाहना है तो ।रूप बत्ती ने संतान की चाह में अपने सभी वस्त्र उतार दिए। नग्न अवस्था में आ गई ।बाबा ने आधा घंटे रूपवती के तन को अपने बाहुपास में लेकर रूपवती के तन का भरपूर स्वाद लिया और बोला- प्रतिदिन इसी टाइम पर आती रहना । रूप बत्ती ने कपड़े पहने और चुपचाप घर के लिए चलदी। यह क्रम 6 महीना तक बराबर चलता रहा ।
रूप बत्ती का इधर इलाज होता रहा उधर जोगी बाबा के पास मंदिर में जाती रही और अपने तन का दान देती रही। ठीक 6 महीना के बाद जब घर वालों को पता चला कि रूप बत्ती गर्भवती हो गई । तो घर वालों को खुशी का ठिकाना नहीं रहा । रूप बत्ती ने जब यह बात जोगी बाबा को बताई तो जोगी बाबा बोला अब तो 9 महीने तक मंदिर मत आना संतान पैदा होने के 2 महीने बादतू मेरे पास फिर आना ।अगर संतान की भलाई चाहती हो तो पति से अब हमेशा दूर रहना । अब9 महीने के बाद रूपवती को संतान का मुंह देखने की खुशी मिल गई । घरवाले इस बात से खुशी थे कि उसने रूप बस्ती के इलाज पर लाखों रुपया खर्च कर दिया। तब उ उसकी रूप वती को संतान मिली है। पैसा हाथ का मैल होता है। संतान के पैदा होने के बाद 1 साल तक रूपवती पति से दूर दूर रहने लगी। तब पति ने एक दिन उससे जब कड़ाई से पूछा -तब उसने अपने ऊपर संतान के लिए वीते राज को बता दिया ।तो घर वाले बोले यह तेरी संतान ढोंगी बाबा के द्वारा नहीं इलाज के द्वारा हुई है तेरे अंदर कोई कमी न होकर मेरे अंदर कमी थी मैंने अपना लक्कड़ इलाज कराया।आज के बाद तू जोगी बाबा के पास नहीं जाएगी। वह तो ढोंगी बाबा है। घर की बदनामी के डर के कारण कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई गई । मोहल्ला वालों के समर्थन के द्वारा ढोंगीजोगी बाबा को मारपीट कर मंदिर से भगा दिया गया ।
बृज किशोर सक्सेना किशोर इटावी कचहरी रोड मैनपुरी ।।