brain drain युवा पीढ़ी शिक्षा के निमित विदेश में जाकर वही बसना ......
 
                                brain drain युवा पीढ़ी शिक्षा के निमित विदेश में जाकर वही बसना .........
आज के वर्तमान चलन व काल - भाव से बच्चे पढ़ाई करने विदेश जाते हैं और पढ़ाई के साथ - साथ वहाँ जाकर मौज भी करते हैं और जीवन का सही से लुत्फ लेते हैं । इस तरह पढ़ाई के साथ - साथ वह वहाँ कुछ भी करते है तो कम से कम अभावों में तो नहीं जीते घर में छोटी छोटी सुविधाओं के लिए जैसे तरसना तो वैसे वहाँ तरसते नहीं हैं । दरवाजे के पर्दे पर जगह जगह पैबंद तो नहीं होना पड़ता हैं । शिक्षा पूरी हुई की वही विदेश में रहकर बस जाते हैं व जीवन यापन करते हैं । अगर सही समझ विवेक घर के बड़ो में हो तो वह भी यहाँ विदेश में शिक्षा ग्रहण के बाद अपने देश में रहते बसते व औरों के सुख से सुखी और दुःख से दुःखी होते ।अब प्रश्न आता है कि शिक्षा के निमित विदेश में जाकर वही बसना यह स्थिति बन क्यों रही है ?
इसके पीछे क्या कारण हैं ? आदि - आदि । आज के चकाचौंध भरे पाश्चात्य परिवेश में ढलते हमारे बच्चों को समझाने में हम काफी हद तक विफल हो रहे हैं क्योंकि हम सही तरीके से जो समझाने व समझने का होता हैं उसका खुद ही सही से अनुसरण नहीं कर पाते हैं तो हमारी बात का प्रभाव भी सही से सामने वाले पर नहीं पड़ता हैं । पत्थर तब तक सलामत है जब तक वो पर्वत से जुडा है । पत्ता तब तक सलामत है जब तक वो पेड से जुडा है ।इंसान तब तक सलामत है जब तक वो परिवार से जुडा है क्योंकि परिवार से अलग होकर आजादी तो मिलजाती है लेकिन अपने संस्कार चले जाते हैं |इसीलिए पाश्चात्य देशों का अंधानुकरण ही मर्यादाओँ का उल्लंघन है समय रहते चेतना जरुरी है।ऐसा नहीं हैं कि पाश्चात्य देशों में सही चीज कम है वहाँ सही बहुत है लेकिन हम अपने स्वार्थ हिसाब से इसको देखते समझते ग्रहण करते है । पाश्चात्य देशों में हर पीढ़ी को बचपन से ही अपना काम स्वयं करना, आत्मनिर्भर बनना सिखाया जाता है ।
इसलिए कूट-कूट कर वहाँ के छोटे-छोटे बच्चों में भी सही से मनोबल , आत्मनिर्भरता, स्वाभिमानिता आदि भरी रहती है । इसी कारण आगे चलकर उनको अकर्मण्यता छू भी नहीं सकती हैं । हम भारतीय गर्व करते हैं अपनी आध्यात्मिक संस्कृति पर मन में जमा रखा है कि पाश्चात्य संस्कृति के विचार तो एक प्रकार से इस पर शून्य हैं किन्तु कभी-कभी ऐसे उदाहरण इस धारणा के चाहे संयोग कहें या कहें कोई और कारण से एकदम विपरीत मिलते है । ऐसा ही है स्टीव जॉब का एक ज्वलंत उदाहरण जो मशहूर थे कि उनकी सोच सदा असाधारण रहती थी। कहीं पढ़ा था उन्होंने किसी समय में कि प्रियजन सोचो यदि हो आज आपका आख़िरी दिन तो आप कैसा आचरण करेंगे । यह बात जो हम समझते हैं भारतीय दर्शन की उनके मन में घर कर गई है और उनके जीवन की बुनियाद बन गई। सफलता का बसंत उसको मिल जाता है जिसके पास उम्मीद है वो लाख बार हार के भी नही हार सकता, आशावाद एक ऐसा विश्वास है जो हमें कई उपलब्धियों तक ले जाता हैं, उम्मीद और भरोसे के बिना कुछ भी हासिल नहीं किया जा सकता हैं । वर्तमान की समस्या से अधिक चिंतित है,आने वाले कल से।कमोबेश हर प्राणी की यही कहानी है,यही हकीकत है ।
हम सच्चाई को आत्मसात कर सकें इसकी बङी जरूरत है। कहने का तात्पर्य है कि जीवन केवल उम्र जीवन नहीं है । विश्वास, आशा, आत्म-आस्था, प्यार और सकारात्मक सोच आदि इन सब भावनाओं का अच्छा खासा मिश्रण व इन्हीं भावनाओं को अर्पण है । इससे हम युवा पीढ़ी को जीवन का सही मार्गदर्शन प्रेरणा दे सकते है जिससे उनका अपनों के प्रति प्रेम , लगाव , जुड़ाव आदि सदा रह सकते हैं । विषय आमंत्रित रचना -brain drain युवा पीढ़ी शिक्षा के निमित विदेश में जाकर वही बसना ......... राकेश महनोत - किशनगढ़ - जिला - अजमेर (राजस्थान ) । प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड़ )
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 







 
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                             
                                             
                                             
                                             
                                            