हीरोइन बनने की आप बीती

Oct 5, 2024 - 08:12
 0  183
हीरोइन बनने की आप बीती
Follow:

हीरोइन बनने की आप बीती 

मेरी बहुचर्चित कहानी शगुन के दीप आज देश धर्म के इतवार अंकके पृष्ठ दो पर प्रकाशित हुई थी। मैं अखबार खरीद कर लेकर जाने वाला था तभी किसी ने पीछे से मेरे कंधे परहाथ रख दिया । मैं मुड़कर कुछ कहने ही वाला था। तभी हाथ रखने वाली नौजवान युवती बोली-- दरबारी जी !क्या आप मुझे पहचानते हो या भूल गए हो⁷⁷?

बृज दरबारी ने लाल रंग की साड़ी पहने हुए कंधे पर शाल डाले हाथ में अटैची पकड़े हुए गोरे रंग की रूप की युवती को नीचे सेऊपर तक निहारा और फिर पहचानतेहुए बोले- तुम क्या वही कुसुम लता श्रीवास्तव हो जिन्होंने कॉलेजभाषणप्रतियोगिता में मेरे साथ कंपटीशन किया था? बृज दरबारी अपनी पूरीबात भी नहीं कह पाए थे कुसुम लता बोल उठी -तुमने सही पहचाना -मैं वही कुसुमलता हूछभाषणप्रतियोगिता मेंतुम प्रथम रहे थे और मैं द्वितीय रही थी ।

लेकिन जब तुम्हें प्रतीक चिन्ह पुरस्कार देकर माला पहनाई गई थी ।तो तुमने उस माला को अपने गले से उतारकर मेरे गलेगमे डालते हुए माइक पकड़कर तुमनेकहा था - हकीकत में कुसुम लता को प्रथम पुरस्कार मिलना चाहिए। नारी शक्ति पर जो कुसुम लता जी ने सत्य कहा है की नारी स्वयं नारी की शत्रु है। जब बहू होती है तो सास-ससुर को वृद्धा आश्रम भेजती है। उन्हें तरह-तरह की यातनाएं देती हैऔर उनका सम्मान नहीं करती है ।जब वही नारी वृद्ध होती है तो अपनी औलादको वृद्ध जनों का सम्मान करने की नसीहत देती है। कुसुमलता अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाई थीकी बृज दरबारी ने कुसुम लता का हाथ पकड़ कर कहा- तुम्हारी याददाश्त बहुत अच्छी है ।

चलो किसी होटल में बैठकर कॉफी पिएं गे।बहुत दिनों की बाद आज अचानक तुम मिली हो ।कॉलेज लाइफ की बातें वही करूंगा ।कुसुम लता का हाथ पकड़ कर अपनी अटैची लिए हुए बृज दरबारी एक होटल पर आकर होटल के मालिक से बोले- -नंदू ! बहुत दिनों के बाद तुम्हारेहोटल पर अपनी पुरानी सहपाठी के साथ कॉफी पीने आया हूं। अच्छी सी दो कप कॉफी और कुछ खाने को भिजवादेना ।ऑर्डर देने के बाद कुसुमलता का हाथ पकडे हुये एक मेज के पास आकर कुर्सियों पर कुसुम लता ब्रज दरबारी दोनों बैठ गए। कुसुम लता के मुंहकी ओर देखते हुए बृज दरबारी बोले -तुम तो फिल्मों में काम करने मुंबई गई थी । फिल्म जिंदगी में आजकल तुम बहुत खुश होगी क्या मुंबई से आ रही हो? ब्रज दरबारी केइस प्रश्न पर कुसुम लता का चेहरा उतर गया।

अतीत की यादों में खोई हुई उदास चेहरे से कुसुम लता बोली- मुंबई में फिल्म इंडस्ट्रीज में काम करने तो गई थी ।लेकिन उस माया नगरी की जिंदगीमुझे पसंद नहीं आई ।इसीलिए कानपुर लौट आई और ब्रज नंदन डिग्रीकॉलेज में प्राचार्य हो गई हूं । कॉलेज के काम से दिल्ली गई थी ।आज वहीं से लौट रही हूं ।आजकल कानपुर में अकेली ही रह रही हूं। बृज दरबारी ने बीच मैं कहा - फिल्मीलाइन में बहुत अच्छी कमाई है ।थोड़े दिनों में ही लोग लखपति करोड़पति हो जाते हैं । कुसुमलता उतरे चेहरे से बोली -यह सब बातें केवल सुनने की है। फिल्मी संस्कृतिफिल्मी जिंदगी पश्चात सभ्यता कीजिंदगी होती है । फिल्मी जिंदगी में पाप पुण्य कोई मायने नहीं रखते हैं ।

भारतीय संस्कृति सभ्यता मे रहने वाली लड़कियां पाश्चात्य सेक्सी सभ्यताकी फिल्मी लाइन में फिट नहींबैठ पातीहै। फिल्मी जिंदगी सेक्सी पश्चात सभ्यता की जिंदगी होती है। जहां संबंधों में पवित्रता का कोई स्थाननहीं होता है । जल्दी से कॉफी पी लो। मेरे घर चलो ।घर पर फुर्सत में पूरी अपनी बीतीराम कहानी बताऊंगी ।कल चले जाना। तुम्हें रोकूंगी नहीं। कुसुमलता की फिल्मी दुनिया कीकहानी सुनने के लिए बृज दरबारी में उत्सुकता बढ़ गई।ब्रज दरबारी कॉफी का प्याला मेज पर रखा । काउंटर पर जाकर भुगतान किया औरआकर कुसुम लता से बोले- तुम्हारे साथ तुम्हारे घर तो चल रहा हूं । लेकिन घर पर चल कर विवाह का प्रस्ताव मत करना ।

क्योंकि मेरी शादी हो गई है। ब्रज दरबारी की बातोंको सुनकर कुसुमलता बड़ी जोर से हंसी औरबोली -चलो इस उम्र में ऐसा प्रस्ताव नहीं करूंगी। कुसुमलता ब्रज दरबारी दोनों स्टेशन के बाहर आकर टैक्सी में बैठकर कुसुमलता के घर पहुंचगये। घर पहुंचकर कुसुमलता ने अपनी तथाब्रज दरबारीकी अटैची मेज पर एक तरफ रखते हुएकुसुम लता बृज दरबारी से बोली -तोलिया लेकर बाथरूम में जाइए ।नहा धोकर फ्रेश हो आइए । मैं भी बाथरूममें फ्रेश होने जा रही हूं ।नहा धोकर फ्रेशहोने के बाद आराम से मैं तुम्हें अपनी कहानी बताऊंगी ।जब तक हम लोगनहा धोकर फ्रेश होंगे तब तक मेरीनौकरनी भी आ जाएगी । नहा धोकर कपड़ा बदल कर जब दोनों बाथरूम से निकले तो एक दूसरे को देखने लगे ।कुसुम लता बृज दरबारी से बोली -तुम आज भी हैंडसम हो ।

बृज दरबारी ने भी मुस्कुरा कर जवाब दिया -तुम भी किसी परी से कम नहीं हो ।तुम्हारे रंग रूपसौंदर्य मे आज भी निखार है ।तुम्हारे यह गुलाबी होठ ,सेव जैसे गाल, खंजन पक्षी जैसी लुभानी यह आकर्षक आंखें, आज भी गजब ढा रही है। अपने रूप रंग की प्रशंसा सुनकर कुसुमलता उदास चेहरे से बोली- इनको देखने वाला कोई जब हो। मैं तो एकांत जिंदगी जी रही हूं। मैंने तो अभी तक शादी नहीं की है और ना शादी करने का कोई इरादा है ।कुसुम लता का हाथ पकड़कर पलंग पर बैठा कर ब्रज दरबारी बोले - छोड़ो इन बातों को -अपनी फिल्म इंडस्ट्रीज की राम कहानी बताइए। कुसुम लता नेब्रज दरबारी का हाथ पकड़ कर पास सरकते हुए कहा- तुम मेरी राम कहानी सुनकर मुझ से घृणा करने लगोगे। लेकिन फिर भी मैं तुम्हें अपनी राम कहानी सुनाऊ गी।

बृज दरबारी के जांघों पर हाथ धरकर कुसुम लता बोली -दरबारी जी तुमने तो बहुत मना किया था मुंबई जाने के लिए। लेकिन मैं नहीं मानी ।घर की तिजोरी से 3 लाख रुपए निकाल कर के बिना घर वालों को बताएं मैं मुंबई जा पहुंची। एक होटल में कमरा लेकर रहने लगी। होटल के मैनेजर से फिल्म इंडस्ट्री की जानकारी लेकरमै फिल्म के प्रड्यूसर तथा तथा फिल्म के निर्देशक के कार्यालय में जा पहुंची। जब मैं निर्देशक से मिली। मुझे देखकर निर्देशक बोला -तुम तो रूप रंग सौंदर्य मे बहुत सुंदर आकर्षक हो । तुम तो हीरोइन बनने लायक हो। निर्देशक की बातों को सुनकर मै मन ही मन में बहुत प्रसन्न हुई । वह मुझे शूटिंग रूम में ले गया। मेरे अनेक तरह-तरह के पोज लिए। लेकिन जब उसने कपड़े उतार कर नग्न होकर अश्लील पोज देने के लिए कहा तो मैंने मना कर दिया। मेरे मना करने पर निर्देशक बोला -फिर फिल्म में हीरोइन कैसे बनो गी ।

क्या तुमने कभी फिल्में देखी नहीं? जब तक फिल्मों में अश्लीलता नहीं झलकती है फिल्म में प्रोड्यूसर को जानबूझकर दर्शकों को आकर्षण देने के लिए अश्लीलता परोसने पड़ती है। ज्यादा तकदर्शक उसे देखना चाहता है। निर्देशक के बहुत समझानेपर हीरोइन बनने के लिए लालच में मैंने निर्देशक की बात मान ली और नग्नता अश्लीलता के अनेक पोज दिए ।निर्देशक ने मेरे नग्न शरीर पर हाथ फेरते हुए कहा -तुम मेरी इसी तरह बात मानती रहो। मैं तुम्हें 'आई सावन की बहार' पिक्चर में तुम्हें हीरोइन बनाकर तुम्हारी सोरत का डंका बजा दूंगा ।इस तरह प्रस्तुत करूंगा की पिक्चर को लोग देखकर दंग रह जाएंगे। दूसरे दिन उसने मुझे फिल्म हीरो से मिलाया और फिल्म की पूरी कहानी मुझे बताई।

फिल्म मे मुझे क्या-क्या करना है? 4 दिनों के बाद जब फिल्म की शूटिंग हुई तो निर्देशक मुझ से बोला हीरो के साथ अश्लील पोज देने में तुम्हें झिझक आतीहै । प्रेमके सीन सही नहीं बन रहे ।तुम्हें यह झिझक खत्म करने के लिए हीरो के साथ 2-3 रातें बिताने पड़ेगी। तब तुम्हारी झिझक खत्म हो जाएगी । मैंने ऐसाकरने से मना किया तो निर्देशकबोला -तो तुम हीरोइन नहीं बन सकतीहो ।तुमने जो पिक्चरें देखी है उसमें हीरो हीरोइन किस तरह से मिलते हैं। मुझे लाचारी में उसकी बात माननी पड़ी। फिर एक दिन निर्देशक ने मुझे अकेले में बुलाकर कहा जो व्यक्ति इस फिल्म बनवाने के लिए 2 करोड़ रुपया लगा रहा है उसको तुम्हें खुश करना पड़ेगा। मै होटल में आकर निर्देशक की बातों को रात भर सोचतीरही --मैं निर्देशक की कही बातों पर चलती रही और वही करती रही तो एक दिन हीरोइन की जगह पर वेश्या बन जाऊंगी ।

दूसरे दिन अपनी बीमारी का बहाना बनाकर मैं निर्देशक के पास नहीं गई।मुंबई के जाने-माने एक बुजुर्ग पत्रकार से जब मैंने संपर्क किया और फिल्म इंडस्ट्रीज के विषय में जानकारी ली तो मुझे फिल्मी दुनिया की बहुत सी ऐसी घिनौनी बातें सुनने को मिली। मैं दूसरे दिन होटलकापूरा भुगतान करके निर्देशक को बिना बताए चुपचाप मुंबई से अपने कानपुर में आगई ।हीरोइन बनने के लिए हर लड़की को शुरुआत मे आत्मा को मारकर तन मन दोनों गवाने पड़ते हैं। यह रही मेरी जिंदगी की घृणित कहानी। कुसुम लता के आंखों में आंसू बहने लगे । बृज दरबारी ने कुसुम लताके आंसू पोछते हुए कहा कि आज कितनी नौजवान लड़कियां फिल्मी दुनिया चकाचौंध मैं मुंबई पहुंच जाती है ।वहां रूप लुटेरों मगरमच्छो के दलदल में फंस कर सेक्स अड्डा पर पहुंचाजाती है ।

किसी तरह से उस दलदल से छूटने के बाद अगर लौटती भी है तो समाज घर वाले उन्हें स्वीकार नहीं करते है । परिवारजनों से दूर जाकर एकाकी जीवन जीना पड़ताहै। फिल्मी परिवार की संताने ही फिल्मी दुनिया में फिट बैठती है । वही सफलता प्राप्त करती हैं। फिल्मी दुनिया की सभ्यता पश्चात सभ्यता की देन है ।बृज दरबारी ने कुसुम लता को समझाते हुए कहा जो कुछ हुआ उसे भूल जाओ। मैं तुमसे तब भी प्यार करता था ।आज भी प्यार करता हूं ।जब चाहो मेरे पास आ जाना । मैंने झूठ कहा था कि मेरी शादी हो गई है । मेरी भी अभी शादी नहीं हुई ।

 बृज किशोर सक्सेना किशोर इटावी कचहरी रोड मैनपुरी