हिंदी तो मेरी आत्मा है _अशोक अनुरागी
हिंदी तो मेरी आत्मा है _अशोक अनुरागी
यह कहना है राजकीय हाई स्कूल बसई मुहम्मदपुर के प्रधानाचार्य अशोक अनुरागी का।विश्व की अनेक भाषाएं हैं जिनके द्वारा व्यक्ति अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करता है परंतु हमारी हिंदी की बात ही अलग है ।
हिंदी एक भाषा का कार्य तो करती ही है साथ ही साथ यह मन से मन को जोड़ने वाले एक सेतु का भी कार्य करती है ।हिंदी प्रेम है,करुणा है,वात्सल्य है,श्रद्धा है,भक्ति है,हिंदी सहज , सरल और श्रेष्ठ अभिवक्ति है।हिंदी में अपनत्व है,हिंदी में समत्व है,हिंदी में ममता है और सभी को एकता के सूत्र में पिरोने की छमता है। जब भी मैं अपनी भावनाओं को आमजन या खासजन के मध्य रखना चाहता हूं तो हिंदी के अतिरिक्त अन्य कोई माध्यम श्रेष्ठ एवं उपयुक्त लगता ही नहीं है ।
परास्नातक रसायन विज्ञान में होने के बावजूद भी मेरी पहचान हिंदी से है।यह मेरी सरस भाषा हिंदी का ही मुझ पर उपकार है कि विगत डेढ़ दशक से भी अधिक समय से मैं अपनी सेवाएं विविध रूपों में दे पा रहा हूं। शिक्षा विभाग के अतिरिक्त विभिन्न विभागों से समन्वय स्थापित भी हिंदी से ही संभव हो सका।