एटा का डॉक्टर हाथरस में सरकारी, आगरा में हॉस्पिटल खोल के खुलेआम गुंडागर्दी
एटा का डॉक्टर हाथरस में सरकारी, आगरा में हॉस्पिटल खोल के खुलेआम गुंडागर्दी
आगरा । आगरा रामबाग पर गोपाल हॉस्पिटल में में नौकरी करने वाले दो दोस्तों ने वहां से नौकरी छोड़कर पास में ही दोनों ने मिलकर सदाशिव एन्ड ट्रामा सेंटर खोला। दोनो लिखापढ़ी में पार्टनर बने, घनी मित्रता होने पर एक दूसरे पर अधिक विश्वास करते थे। इसी विश्वास के चलते एक दूसरे के फर्जी हस्ताक्षर करने की तक छूट थी। ये दोनों दोस्त डॉ दीपक वार्ष्णेय और डॉ सुनील वर्मा थे। हास्पिटल अच्छी स्थिति में चलने लगा और आमदनी भी होने लगी, सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था। इसी बीच डॉ सुनील वर्मा की सरकारी नौकरी लग गई।
उसके बाद डॉ सुनील वर्मा के दिमाग मे बेईमानी का कीड़ा दिमाग मे घुस गया। थाना जगदीशपुरा में हुई एफआईआर के मुताबिक डॉ सुनील वर्मा जो सरकारी डॉ हाथरस के चंदप्पा स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात है। डॉ वर्मा ने अपनी पत्नी चन्द्रकान्ता वर्मा और डॉ दीपक वार्ष्णेय के नाम सदाशिव हास्पिटल को सीएमओ कार्यालय में एग्रीमेंट करा दिया, क्योकि डॉ वर्मा सरकारी डॉ हो गए थे। हास्पिटल डॉ दीपक वार्ष्णेय और चन्द्रकान्ता की देख रेख में चलने लगा।
समय बीतने लगा और हास्पिटल अच्छी आमदनी देने लगा तो डॉ सुनील वर्मा हाथरस से मौका मिलने पर और कभी छुट्टी मिलने पर आगरा स्तिथ हॉस्पिटल सदाशिव में अपनी सेवाएं देने लगे जो कानून के खिलाफ है। मरीजो को देखना ओटीपी में बैठना सब रोजमर्रा की कहानी हो गई। डॉ सुनील वर्मा अपनी ड्यूटी से हटकर आगरा हास्पिटल में सेवाएं ज्यादा देने लगे। जिसका खामियाजा डॉ दीपक वार्ष्णेय को भुगतना पड़ा।
क्योंकि अंध विश्वास के चलते ही डॉ सुनील वर्मा ने डॉ दीपक वार्ष्णेय से स्टाम्प और अन्य कोरे कागजों पर गुमराह करके हस्ताक्षर करा लिए थे। बैंक आदि से भी फर्जी हस्ताक्षरों से पेमेंट तक भी होने लगे थे, इसी का फायदा उठाकर डॉ सुनील वर्मा ने गोपनीय और षड्यन्त्र के तहत सदाशिव हास्पिटल सीएमओ कार्यालय में अपनी साठगांठ के चलते अपनी पत्नी चन्द्रकान्ता के नाम हास्पिटल दर्ज करा दिया। और इस काम को गोपनीय ही रहने दिया। कुछ समय बाद डॉ दीपक वार्ष्णेय से डॉ वर्मा ने लाखों रुपये उधार लिए, जिन्हें फर्जी चेक के माध्यम से दिया गया और उनका भुगतान नही हुआ।
इस बात को लेकर कुछ कहा सुनी भी हुई। कहा सुनी होने पर वहाँ मौजूद स्टाफ आदि जिसे डॉ दीपक ने रखा उनकी सैलरी बढ़ाकर वर्मा ने अपनी तरफ कर लिया । मेडिकल भी छीन लिया और डॉ दीपक को हास्पिटल से कब्जाकर बाहर निकाल दिया और फर्जी कागज दिखाते हुए कहा ये हास्पिटल मेरा है? आपको बता दे कि हास्पिटल में आयुष्मान कार्ड धारकों का खुले आम दुर्पयोग किया जा रहा क्योंकि गरीब एक बार हास्पिटल से उस कार्ड से दवा ले आया दोबारा नहीं जाता है के नम्बर का दुपयोग करके अपनी जेब भरते हैं।
डॉ दीपक ने अपने और डॉ सुनील वर्मा के मिलने वालों से सम्पर्क कर गलत काम के बारे में बताया कि लाखों रुपयों की दवा एम्बुलेंस आदि हड़प ली गई , जो षणयंत्र के तहत किया गया, पंचायत हुई झगड़ा हो गया। जिसमें डॉ दीपक वार्ष्णेय ने आगरा के थाना जगदीशपुरा में चन्द्रकान्ता वर्मा, डॉ सुनील वर्मा, समर सिंह सोलंकी, वीरेंद्र सिंह यादव, सन्तोष राजपूत, शिवकुमार, नारायण, राजकुमार वर्मा, रामबाबू शाक्य, जितेंद्र शर्मा एवं सात-आठ अज्ञात के खिलाफ संगीन धाराओं में मुकदमा पंजिकृत कराया गया है।