आचार्य श्री कालूगणी का 89 वां प्रयाण दिवस पर मेरे भाव -
आचार्य श्री कालूगणी का 89 वां प्रयाण दिवस पर मेरे भाव -
आज से 88 वर्ष पूर्व तेरापंथ धर्मसंघ के अष्टम आचार्य श्री कालूगणी का महाप्रयाण हुआ था इस अवसर पर मेरा भावों से शत - शत वन्दन व मेरे भाव - सद्गुणों का जीवन में आचरण होता , कम भव में मोक्ष की मंजिल पाता ।
जीवन में परिस्थिति कैसी भी हो , समता रस का जो पान करता वह पार होता । निर्लिप्त भाव हो हमारे , जैसे जल में ज्यों हों कमल । काजल से घिरने पर भी , जैसे रहती ज्यौं लौ विमल । कैसी भी परिस्थिति से घिरकर भी , मन बनता निर्विकार हों ।। निर्वर भावना रहे सदैव बनती , जो जीवन को बदल देती ।
सब मित्र हो हमारे यहाँ पर , आगे गति बनती रहे प्रबल । हर एक साँस का यहाँ , रहे समता का आधार हों ।। अवगुण देखे अपने , ध्यान स्वयं का स्वयं पर हों । गुण देखे दुसरों के , औरो को मान दे । शुद्ध जीवन जीने का , ऐसा सही उन्नत प्रकार हो ।
प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड़)