UP Police : स्मेक तस्करों को छोड़ने में 7 लाख की डील, CO के छापे में SHO दीवार फाँदकर भागा हुआ सस्पेंड
UP Police : स्मेक तस्करों को छोड़ने में 7 लाख की डील, CO के छापे में SHO दीवार फाँदकर भागा हुआ सस्पेंड
UP Police Bareilly: उत्तर प्रदेश के बरेली जनपद के फरीदपुर थाने में तैनात दारोगा द्वारा रिश्वत लेकर तस्करों को छोड़े जाने का मामला सामने आने के बाद एसएसपी के निर्देश पर सीओ ने वहां छापेमारी की।
बताया जा रहा है कि अधिकारी द्वारा थाने में छापेमारी की सूचना मिलने की जानकारी इंस्पेक्टर को पहले ही मिल गई थी। अधिकारी के गाड़ी के सायरन की आवाज सुनने के बाद इंस्पेक्टर तत्काल थाने की दीवार को फांदकर भाग निकला। इस मामले में तत्काल रूप से एक्शन लेते हुए इंस्पेक्टर को सस्पेंड कर दिया गया है। इसके अलावा सीओ गौरव सिंह द्वारा इंस्पेक्टर के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया है।
फरार इंस्पेक्टर की तलाश के लिए पुलिस की टीम लगा दी गई है। वहीं इस मामले की जानकारी होने के बाद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा सोशल साइट एक्स पर मैसेज पोस्ट करते हुए भारतीय जनता पार्टी को घेरने के साथ ही इसपर सवाल भी उठाए हैं। दरअसल, गुरुवार को एसएसपी बरेली अनुराग आर्य को जानकारी मिली थी कि फरीदपुर थाना प्रभारी रामसेवक द्वारा बुधवार की रात में तीन स्मैक तस्करों को पकड़ा गया था।
पकड़े जाने के बाद गुरुवार को इंस्पेक्टर में तस्करों से डील की। उसके बाद सात लाख रुपए मिलने के बाद इंस्पेक्टर द्वारा दो तस्करों को छोड़ दिया गया। मामले की जानकारी मिलने के बाद एसएसपी बरेली ने तत्काल एसपी दक्षिण मानुष परीख को थाने पर भेजा। इस दौरान उनके साथ सीओ फरीदपुर भी पहुंचे। उसके बाद थाने में अधिकारियों द्वारा छापा मारने की जानकारी इंस्पेक्टर को हो गई और अधिकारियों के पहुंचने से पहले ही इंस्पेक्टर वहां से फरार हो गया।
पुलिस अधिकारियों ने उसके कमरे में छापेमारी की तो उसके कमरे से नोटों की गड्डी बरामद की गई। इस मामले में अखिलेश यादव ने सोशल साइट एक्स पर लिखा है कि " अभी तो बस थाने की दीवार कूदी है, यदि भ्रष्टाचार का ओलंपिक होता तो भाजपा राज में ऐसी विशिष्ट योग्यता रखनेवाले कुछ कृपा प्राप्त पुलिसवाले 'हाई जंप' में प्लेटिनम मैडल ले आते। अब सवाल ये है कि उच्च पुलिस अधिकारियों ने छापा क्यों मारा, जबकि उन्होंने ही उस इंस्पेक्टर की पोस्टिंग की होगी।
क्या उस इंस्पेक्टर की भ्रष्ट कार्यप्रणाली के बारे में कोई रिपोर्ट पहले से उपलब्ध नहीं थी? यदि उत्तर 'हाँ' है तो फिर उसको पोस्टिंग कैसे मिली और अगर उत्तर 'नहीं' है तो फिर वो पुलिस क्या ख़ुफ़िया रिपोर्ट निकालेगी, जिसे अपनों के बारे में ही पता नहीं है। ऐसे में ये शासन-प्रशासन दोनों की नाकामी है। जनता कह रही है - कहीं इसके पीछे मूल कारण ये तो नहीं कि बेईमानी का तरबूज़ा तो कटा पर नीचे-से-ऊपर तक ईमानदारी से नहीं बँटा। भाजपा राज में क्या उप्र की जनता नशे के तस्करों से '9 लाख' लेनवाले ऐसे भ्रष्ट नौ रत्नों के भरोसे रहेगी?