जानसठ एसडीएम पर 3 करोड़ की रिश्वत लेकर जमीन हस्तांतरित करने का आरोप

जानसठ एसडीएम पर 3 करोड़ की रिश्वत लेकर जमीन हस्तांतरित करने का आरोप
जानसठ तहसील के उप जिलाधिकारी (एसडीएम) जयेंद्र सिंह पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप सामने आए हैं। आरोप है कि उन्होंने करीब तीन करोड़ रुपये की रिश्वत लेकर 750 बीघा जमीन एक भूमाफिया के नाम कर दी। यह जमीन इसहाकवाला गांव स्थित डेरावाल कोऑपरेटिव फार्मिंग सोसायटी की बताई जा रही है। जानकारी के अनुसार, यह सोसायटी वर्ष 1962 में गठित हुई थी और इसका कुल क्षेत्रफल 743 हेक्टेयर है। वर्ष 1972 में सोसायटी के एक सदस्य हरबंस ने 23 एकड़ जमीन अपने हिस्से के रूप में अलग कर ली थी। वर्तमान में हरबंस के पोते और जीवन दास के बेटे गुलशन के बीच इस जमीन को लेकर विवाद चल रहा था, जो एसडीएम कोर्ट में विचाराधीन था।
आरोप है कि 19 जुलाई 2025 को सुनवाई के बाद एसडीएम ने सोसायटी की 600 बीघा से अधिक और लगभग 150 बीघा सरकारी जमीन अमृतपाल नामक व्यक्ति के नाम कर दी। जबकि 2018 में तहसील प्रशासन ने उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि हरबंस का इस सोसायटी की जमीन में कोई अधिकार नहीं है। गुलशन को जब आदेश की जानकारी मिली, तो उन्होंने 29 जुलाई को अपने बेटे ईशान अंदवानी के साथ जिलाधिकारी उमेश मिश्रा से मुलाकात की और शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के तुरंत बाद एसडीएम जयेंद्र सिंह ने रातों-रात अपने ही आदेश को निरस्त कर दिया। जिलाधिकारी उमेश मिश्रा ने मामले को गंभीर मानते हुए तीन एडीएम की एक जांच समिति गठित की है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह पहला अवसर नहीं है जब एसडीएम जयेंद्र सिंह पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। पूर्व में भी उन पर पूर्व विधायक विक्रम सैनी के करीबी लोगों से दस लाख रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगा था। उस समय मामला सामने आने पर उन्होंने वह राशि लौटा दी थी, इसके बावजूद वे अभी भी जानसठ में पदस्थ हैं। जिस जमीन का मामला है, उसके सामने से हाईवे गुजरता है और पूर्व में सोसायटी व अमृतपाल इस जमीन के लिए मुआवजे की मांग कर चुके हैं।
परंतु हाईकोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा था कि यह सरकारी जमीन है और इस पर किसी प्रकार का मुआवजा नहीं दिया जाएगा। इसके बावजूद अब उसी जमीन को एक भूमाफिया के नाम कर देने से पूरे मामले की गंभीरता और बढ़ गई है।