कितने संयमी हैं ये पक्षी
कितने संयमी हैं ये पक्षी
पक्षी की दैनिक दिनचर्या कितनी संयमित है जो हम सबके लिये प्रेरणास्पद हैं । दुनियां में हर अस्तित्ववान वस्तु हमें दिशाबोध देती है, हमारे सही दृष्टिकोण होने से हमें ये समझ आता है,हम देखकर अनदेखी करके अपने जीवन में ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाते यह सच है।
पक्षी की दैनिक दिनचर्या समय से सोना, ऊषाकाल में जागना- उठना, उठ कर अपनी भाषा में हरि भजन करनानफिर खान-पान की व्यवस्था करना। दिन भर कभी इधर, कभी उधर कही भी उड़ना, चहकना, फुदकना यों शारिरिक श्रम उनका नियमित आयाम है ।दिन में तो सोना मानो हराम है ।
रात्रि भोजन करते नहीं, सूर्यास्त पश्चात इधर-उधर विचरते नहीं। रात होने से पहले घर आ जाना,जल्दी सो जाना। खाने का भी पूरा संयम। क्षुधा शान्त के लिए ही यह आहार करते हैं ।अति भोजन का परिहार है अस्वस्थता में यह निराहार रहते हैं । प्रकृति का दोहन नहीं करते हैं । इस तरह पक्षी अपनी संयमित, नियमित दिनचर्या से सदा प्रसन्न रहते हैं । ठीक इसी तरह हमारी दैनिक दिनचर्या का सीधा असर हमारे तन व मन पर पड़ता है।
यदि हमें अपने दूषित विचारों का परिँष्कार करना है तो ध्यान, प्राणायाम, सद्साहित्य पठन, साधु संतों का मिलन आदि कारगर हो सकते हैं ।हम यह नोट करें कि हमारे चिन्तन की स्वच्छता ही हमारे पवित्र जीवन की प्रथम आवश्यकता है । मनुष्य ने अपनी तार्किकबुद्धि का विकास बहुत कर लिया है लेकिन भावनात्मक विकास में उतना ही पिछड़ा है ,जो कुछ हुआ वो सब पहले से मनुष्य जानता था की कभीतो इस अति का दुष्परिणाम सामने आएगा ही,लेकिन कब का नहीं ।
मनुष्य सन्तुलन बनाकर चले, प्रकृति के साथ छेद छाड़ न करें ,अपनी सीमाओं का उल्लंघन न करें ये जरूरी होता है,लेकिन मनुष्य ऐसा जीव है जो जब तक परिस्थितयां सामने न आये ,अपनी मनमानी करने से डरता नहीं।यही हमारे दैनिक जीवन की दिनचर्या से भी सम्बंधित है ,हममें से बहुत कम अपने विवेक की छलनी से अपनी बुद्धि और भावों का सन्तुलन बिठा पाते हैं।बहुत जरूरी है हम अपने बुद्धि का सही से सदुपयोग करें न कि अहंकार में आकर उसका दुरुपयोग।
क्योंकि बुद्धिमान तो बहुत मिलेंगे लेकिन संवेगों पर नियंत्रण करके अपना शांतिमय जीवन जीने वाले बहुत बिरले होते है । जब हम अपने संवेगों पर नियंत्रण करना सीख जाएं तो कोई भी परिस्थिति हमे कभी भी विचलित नहीं कर सकती हैं ।इसलिये आओ हम भी पक्षी से कुछ सीखें क्योंकि उनकी दिनचर्या सचमुच अनुकरणीय है। प्रदीप छाजेड़