विश्व विभूति
विश्व विभूति
विभूति का मतलब महान व्यक्तित्व होता है। विश्व विभूति का अर्थ मेरे शब्दों में हुआ कि विश्व के महान व्यक्तित्व ।
जैसे - कवींद्र रवींद्रनाथ टैगोर , महात्मा गाँधी आदि । किसी ने बड़ा पद प्राप्त किया हो या क़िस्मत से कोई धनाढ़्य व्यक्ति बन गया हो या कोई बल से शक्तिशाली बन गया हो ऐसे व्यक्ति जीवन में महान नहीं बन सकते। नारियल और खजूर के पेड़ बहुत बड़े होते हैं पर वो किसी पथिक को छाया प्रदान नहीं करते , वो केवल ऊँचाई में बड़े हैं पर धूप में किसी को छाँव नहीं देते हैं ।
अमीर की चौखट से भिखारी ख़ाली हाथ लौटे वो कभी बड़ा इंसान नहीं होता और गलत काम करने वाले बहुत बलशाली होते हैं पर उनको कोई अच्छी नज़रों से नहीं देखता। दुनियाँ में बड़ा वो है जिसके हृदय में करुणा हो जैसे मदर टेरेसा ।बड़ा वो है जिसके दिल और मन में विनम्रता हो जैसे राम और युधिष्ठिर । कहते है जीवन में हमें कहीं नाराजगियों का बहाव मिलेगा ।
कहीं मिलेगी सच्चे मन से दुआ तो कहीं भावनाओं में दुर्भाव मिलेगा ।तू आगे चलाचल राही अपने कर्मपथ पे जैसा तेरा भाव वैसा प्रभाव मिलेगा ।सच है कि जीवन में प्रशंसा वो मास्टर चाबी हैं जो हमारे भाग्यरूपी महल के स्वर्णद्वारों को खोलने की राह प्रशस्त करती हैं ।
जीवन रण में प्रशंसा महान शस्त्र के समान हैं बशर्ते सही इस्तेमाल हो ।सिक्के के दो पहलूँ की भाँति इंसान को भी प्रशंसा सुन फ़ुल के कुप्पा नही होना चाहिए और निंदा सुन प्रतिक्रिया नही करनी चाहिए। क्योंकि बादल की छांव कितनी देर तक बालू की दीवार पानी को कैसे रोकेगी । धुएँ का कोट रक्षा कैसे करेगा ।
वैसे ही प्रशंसा के पाँव कहाँ तक ।मत फूलो प्रशंसा के,तारीफ के ,आत्म मुग्धता के ग़ुब्बारे में कब अभिमान रूपी पिन चुभी और जीवन धमाका। बड़ा वो है जो किसी भी इंसान की मुसीबत में आशा की किरण बनता हो ।बड़ा इंसान वो ही है जिसके अंदर करुणा हो, विनम्रता हो और किसी इंसान के मुसीबत में आशा की किरण हो। सम रहों जो सम्मान से कभी गर्वित नहीं होते, अपमान से क्रोधित नहीं होते । और क्रोधित होकर भी जो कभी कठोर नहीं बोलते वास्तव में वे ही श्रेष्ठ होते हैं । प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड़)