बीजेपी बस टिकिट देदे, RSS वाले झक मारके जिता देंगे?
बीजेपी बस टिकिट देदे, RSS झक मारके जिता देंगे?
 
                                लोकसभा चुनाव में बीजेपी के द्वारा उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं करने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की ओर से इस संबंध में लगातार बयान आ रहे हैं।
संघ से जुड़े विचारक रतन शारदा ने कहा है कि आरएसएस के कैडर को अहमियत नहीं दी गई और इसे हल्के में लिया गया। रतन शारदा ने कुछ दिन पहले भाजपा में पुराने कार्यकर्ताओं की अनदेखी और बाहर से आए नेताओं को टिकट या पद देने पर सवाल उठाया था। उन्होंने फिर से यही कहा है कि बीजेपी की हार के पीछे बड़ी वजह दलबदलुओं को टिकट देना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लिए अकेले दम पर 370 सीटें जीतने और एनडीए के लिए 400 पार का लक्ष्य रखा था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित भाजपा के तमाम स्टार प्रचारकों ने चुनाव प्रचार के दौरान 400 पार के नारे को कई बार दोहराया। लेकिन चुनाव नतीजे आने के बाद भाजपा को सिर्फ 240 सीटें ही मिल सकी और एनडीए बहुमत से 20 सीटें ज्यादा 292 पर आकर रुक गया। रतन शारदा ने NEWS9 Live को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का यह बयान कि बीजेपी अब आगे बढ़ चुकी है और अकेले चलने में सक्षम है, लोकसभा चुनाव के दौरान नहीं आना चाहिए था।
रतन शारदा ने कहा कि जो जेपी नड्डा ने कहा, ऐसा बयान वह भी दे चुके हैं लेकिन चुनाव के दौरान नहीं। कोई भी संगठन जो आरएसएस से प्रेरित हो, उसके पास अपना कैडर होता है लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कई बार आरएसएस के कैडर को बहुत हल्के में ले लिया जाता है। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा था, 'शुरू में हम थोड़ा कम थे, हमें संघ की जरूरत पड़ती थी, आज हम बढ़ गए हैं, सक्षम हैं तो भाजपा अपने आप को चलाती है।' रतन शारदा ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि जब वह मध्य प्रदेश गए थे तो संघ से जुड़े एक व्यक्ति ने उनसे कहा कि उनकी बात नहीं सुनी जाती है।
भाजपा अपनी पसंद के उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारती है क्योंकि बीजेपी को लगता है कि झक मार के जिता ही देंगे और आरएसएस इस तरह के बर्ताव को पसंद नहीं करता है। उन्होंने इस बात को खारिज किया कि आरएसएस ने चुनाव में बीजेपी की मदद नहीं की। शारदा ने कहा कि बीजेपी ने इस चुनाव में 25% दल-बदलुओं को टिकट दिया। कृपाशंकर सिंह जिन्होंने मुंबई में हुए आतंकवादी हमले को संघ की साजिश बताया था और इसके लिए कभी माफी नहीं मांगी, उन्हें भाजपा ने जौनपुर से टिकट दे दिया।
आरके सिंह जब गृह सचिव थे तो उन्होंने संघ को आतंकवादी संगठन कहा था, उन्हें भी उम्मीदवार बनाया गया और मंत्री भी बनाया गया। रतन शारदा ने कहा कि कई जगहों पर बीजेपी के उम्मीदवार चुनाव हारे हैं और इन जगहों पर पार्टी के कार्यकर्ताओं ने कहा था कि इस नेता को उम्मीदवार नहीं बनाया जाना चाहिए लेकिन कुछ दल-बदलुओं को चुनाव में प्रत्याशी बना दिया। ऐसे में बीजेपी का कार्यकर्ता क्या करेगा। उन्होंने कहा कि इससे संघ के कार्यकर्ताओं को दुख होता है और बीजेपी और संघ के कार्यकर्ताओं को लगता है कि दलबदलुओं को ज्यादा अहमियत दी जा रही है।
लोकसभा चुनाव से पहले दल बदलने वाले नेता नेता पार्टी (छोड़ी) पार्टी (शामिल) मलूक नागर बसपा आरएलडी नवीन जिंदल कांग्रेस बीजेपी राजाराम त्रिपाठी कांग्रेस बीजेपी विजेंदर सिंह कांग्रेस बीजेपी सीता सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा बीजेपी मिलिंद देवड़ा कांग्रेस शिवसेना (शिंदे गुट) गीता कोड़ा कांग्रेस बीजेपी बृजेंद्र सिंह भाजपा कांग्रेस राहुल कस्वां भाजपा कांग्रेस रितेश पांडे बसपा भाजपा अफजाल अंसारी बसपा समाजवादी पार्टी बीबी पाटिल बीआरएस भाजपा संगीता आजाद बसपा भाजपा अशोक चव्हाण कांग्रेस भाजपा कौन हैं रतन शारदा? रतन शारदा बचपन से ही संघ से जुड़े हुए हैं।
वह मुंबई में संघ में रहकर कई जिम्मेदारियां निभा चुके हैं। उन्होंने चार किताबें भी लिखी हैं। इन किताबों के नाम- आरएसएस 360 डिग्री, संघ और स्वराज (स्वतंत्रता संग्राम में आरएसएस की भूमिका के बारे में), एक वैश्विक हिंदू के संस्मरण (एचएसएस के संस्थापक सदस्य) और आरएसएस सर संघचालक की जीवनी – प्रो. राजेंद्र सिंह हैं। रतन शारदा ने गुरुजी यानी संघ के द्वितीय सर संघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर के बारे में प्रख्यात विचारक श्री रंगा हरि द्वारा लिखित दो पुस्तकों का हिंदी से अंग्रेजी में अनुवाद भी किया है।
रतन शारदा वर्तमान में आरएसएस की राष्ट्रीय मीडिया टीम के सदस्य हैं। रतन शारदा ने आरएसएस की पत्रिका ऑर्गनाइजर में कुछ दिन पहले लेख लिखकर बताया था कि लोकसभा चुनाव के नतीजों ने अति आत्मविश्वासी भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को आईना दिखा दिया है। आरएसएस छह विभागों के जरिये काम करता है। शारीरिक (फिजिकल), संपर्क (आउटरीच), प्रचार (पब्लिसिटी), बौद्धिक (इंटलेक्चुअल), व्यवस्था (एडमिनिस्ट्रेटिव) और सेवा (सर्विस)। आरएसएस की स्थापना 1925 में केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी और वह 1925 से 1930 तक और 1931 से 1940 तक सर संघचालक के पद पर रहे। संघ में सरसंघचालक के बाद सरकार्यवाह की भूमिका बेहद अहम होती है।
सरकार्यवाह संघ हर दिन किस तरह काम करता है इस पर नजर बनाए रखते हैं। आरएसएस के प्रमुख को सरसंघचालक कहा जाता है। मौजूदा वक्त में मोहन भागवत इस पद को संभाल रहे हैं। आरएसएस का मुख्यालय नागपुर में है। सरसंघचालक के नीचे सरकार्यवाह या महासचिव होते हैं। सरकार्यवाह के नीचे सह सरकार्यवाह यानी संयुक्त महासचिव काम करते हैं। सह सरकार्यवाह के नीचे सेवा प्रमुख, भौतिक प्रमुख, प्रचारक प्रमुख, सह सेवा प्रमुख, सह बौद्धिक प्रमुख, सह प्रचार प्रमुख काम करते हैं।
उनके नीचे संपर्क प्रमुख, शारीरिक प्रमुख, सह संपर्क प्रमुख, सह शारीरिक प्रमुख, प्रचार प्रमुख, व्यवस्था प्रमुख, सह प्रचार प्रमुख और सह व्यवस्था प्रमुख अपनी-अपनी जिम्मेदारियां को निभाते हैं। संघ की सबसे छोटी इकाई शाखा है। शाखा के प्रभारी को मुख्य शिक्षक कहा जाता है जबकि शाखा के कार्यकारी प्रमुख को कार्यवाह कहा जाता है। संघ की शाखाओं में प्रार्थना भी होती है और सभी स्वयंसेवक भगवा ध्वज को प्रणाम करते हैं। संघ अपनी शाखाओं में कई तरह के वैचारिक और शारीरिक प्रशिक्षण के शिविर भी आयोजित करता है।
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 







 
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                             
                                             
                                             
                                             
                                            