प्रियंका गांधी ने बनारस से चुनाव लड़ा होता तो नरेंद्र मोदी कम से कम 2 से 3 लाख वोट से चुनाव हार जाते
राहुल गांधी ने रायबरेली में कहा कि अगर प्रियंका गांधी ने बनारस से चुनाव लड़ा होता तो पीएम नरेंद्र मोदी कम से कम 2 से 3 लाख वोट से चुनाव हार जाते. राहुल गांधी अब ऐसा क्यों कह रहे हैं। जब मौका था तो प्रियंका गांधी को आगे बढ़ने ही नहीं दिया गया।
वास्तव में प्रियंका गांधी को तो चुनाव ही लड़ने नहीं दिया गया. काशी से नहीं तो रायबरेली या अमेठी से लड़ा सकते थे. प्रियंका अगर काशी से चुनाव जीत सकतीं थी तो कहीं से भी चुनाव जीत जातीं. अगर अब तक प्रियंका गांधी की राजनीतिक यात्रा का विश्लेषण करें तो यही लगता है कि प्रियंका गांधी को जानबूझकर कांग्रेस में मुख्य भूमिका में आने नहीं दिया गया।
प्रियंका आज से 25 साल पहले भी अपनी मां और भाई की संसदीय सीटों का प्रचार प्रसार संभालती रही हैं और आज भी उन्हें उस जिम्मेदारी से ऊपर नहीं उठने दिया गया. प्रियंका की स्थिति तो वैसी ही है जैसी किशोरी लाल शर्मा की है. प्रियंका ने चुनाव प्रचार के दौरान कई बार कहा कि उनकी उम्र 53 की हो रही है. आम तौर पर महिलाएं अपनी उम्र नहीं बताती हैं पर प्रियंका को क्यों बार-बार अपनी उम्र बतानी पड़ती है? यह उसी बात का दर्द है कि आज तक उन्हें लोकसभा लड़ने या राज्यसभा में जाने के लायक नहीं समझा गया।
अगले चुनावों तक उनकी उम्र 58 साल हो जाएगी. हो सकता है कि किशोरी लाल शर्मा की तरह उन्हें भी कहीं से टिकट दे दिया जाए पर रिटायरमेंट की आयु में उन्हें संसद में भेजकर कांग्रेस उनकी राजनीतिक भविष्य की हत्या की जरूर दोषी कही जाएगी. कहा तो यहां तक जाता है कि राहुल गांधी के रहते प्रियंका गांधी का राजनीतिक उत्थान संभव नहीं है. उन्हें गांधी परिवार का शैडो बनकर ही राजनीति करनी होगी। 2019 से ही प्रियंका गांधी के प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने की काफी चर्चा रही है।
चर्चा को हवा भी प्रियंका गांधी ने ही दी थी. कांग्रेस की एक मीटिंग में जब कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रियंका को चुनाव लड़ने की अपील की, और सीटों को लेकर सुझाव देने लगे तो प्रियंका ने बोल दिया कि बनारस से क्यों नहीं? बस चर्चा चल पड़ी. इंटरव्यू में प्रियंका गांधी से ये सवाल पूछा जाने लगा. यह सही हो सकता है कि प्रियंका गांधी अगर बनारस से चुनाव लड़तीं तो हो सकता है कि वो चुनाव जीत जातीं. पर उन्हें मौका क्यों नहीं दिया गया. राहुल गांधी को जरूर यह बात पब्लिक को बतानी चाहिए। जिन परिस्थितियों में राहुल गांधी 4 लाख वोट से रायबरेली चुनाव जीत गए तो प्रियंका गांधी भी कुछ कमाल दिखा सकती थीं।
पर सवाल यह उठता है कि अगर इतना पता था तो राहुल गांधी ने अपनी बहन को बनारस से टिकट क्यों नहीं दिया. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तो पब्लिकली कहा था कि बनारस से प्रियंका गांधी को चुनाव लड़ना चाहिए. पर कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी के सिर पर जूं तक नहीं रेंगी. उत्तर प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय भी लगातार चाहते थे कि बनारस से प्रियंका गांधी को चुनाव लड़ाया जाए. और सबसे बड़ी बात खुद प्रियंका गांधी चाहती थीं कि वो बनारस से चुनाव लड़ें. सक्रिय राजनीति करने वाला हर शख्स संसद में पहुंचना चाहता है. विशेषकर राजनीतिक परिवारों के लोग या तो राजनीति से बहुत दूर होते हैं और अगर होते हैं तो मुख्य भूमिका में होते हैं।
राहुल गांधी को बताना चाहिए कि आखिर वो कौन से कारण हैं जिसके चलते प्रियंका जैसी एक्टिव लेडी, जिस पर उन्हें खुद भरोसा है कि वो मोदी के खिलाफ चुनाव जीत जातीं, उन्हें वो अब तक चुनाव लड़ने से दूर क्यों रखा गया? अगर बनारस से प्रियंका चुनाव लड़ती और जीत जातीं तो हो सकता है कि राहुल गांधी की कहानी कांग्रेस में उसी दिन खत्म हो जाती. प्रियंका का कद राहुल से बड़ा हो जाता. प्रियंका मास अपील रखती हैं, प्रियंका राहुल गांधी से बेहतर भाषण देती हैं, प्रियंका राहुल से बेहतर ट्रबल शूटर हैं , प्रियंका कभी बोलते हुए राहुल गांधी की तरह ब्लंडर नहीं करती हैं. फिर भी प्रियंका को चुनाव लड़ने के अवसर नहीं मिले हैं। प्रियंका को चुनाव न लड़ाना कांग्रेस की रणनीति है या रणनीतिक भूल?