एटा दोषी एआरएम का कंडक्टर भाई लगा रहा रोडवेज को लाखों का चूना
एटा दोषी एआरएम का कंडक्टर भाई लगा रहा रोडवेज को लाखों का चूना
एटा दोषी एआरएम का कंडक्टर भाई लगा रहा रोडवेज को लाखों का चूना
UP Etah Roadways : जब सैया भये कोतवाल डर काहे का, पुलिस में ससुराल जेल में घर है हमे काहे का डर है! ऐसी कई कहावते यहाँ लागू होती है। ऐसे ही चर्चित मामले एटा में समय समय पर देखने को मिलते रहते हैं। आपको बताते चले कि एटा में एआरएम का चचेरा भाई संदीप यादव कंडक्टर है और वह अलीगढ़ से एटा के लिए आ रही रोडवेज की बस में टिकट काट रहा है जो फर्जी है।
जिसकी शिकायत जिलाधिकारी एटा से की गई। जिसका संज्ञान लेते हुए DM ने अपर उप जिलाधिकारी राजकुमार मौर्य को निर्देशित किया कि आवश्यक कार्यवाही की जाय। रोडवेज की एटा डिपो बस संख्या यूपी 81 बीटी 6057 अलीगढ़ से चलकर एटा के पास शहीद स्मारक चौराहे के पास गाड़ी रुकवा ली गई और सवारियों की टिकट की तलाशी की गई जिसमें 20 सवारियों के पास टिकट उपलब्ध थी। बाकी साढ़े 21 सवारियां वे टिकट थी।
यानी एआरएम राजेश यादव का भाई संदीप यादव परिवहन विभाग को दिन दहाड़े खुलेआम राजस्व को चूना लगा रहा है। सवारियों से पूछताछ में बताया कि सिकंदराराऊ से एटा तक कोई टिकट नहीं दी गई है जो गम्भीर मामला है। आपको बता दे कि संदीप यादव कुछ समय पहले भी हेराफेरी के चक्कर मे निलंबित रह चुका है। बहाल कैसे हुआ यह बताने की जरूरत नहीं। भाई एआरएम है? आपको भी जानकर हैरानी होगी कि एआरएम राजेश कुमार यादव कितने दोषी है उसके बाबजूद भी विभाग मेहरबान है।
टी एस राजेश कुमार यादव के खिलाफ कई शिकायते शासन स्तर पर जांच के लिए लंबित पड़ी हुई है। कई मामलों में दोषी पाए गए हैं। एटा सदर विधायक विपिन वर्मा डेविड की शिकायत के बाबजूद भी एआरएम के प्रभारी टी एस राजेश कुमार यादव को एआरएम पद पर मार्च 2024 में प्रमोशन कर दिया। एटा एआरएम पर सरकारी गाड़ी का 30 हजार रुपया महीना कागजों में गाड़ी दिखकर निकाले जा रहे हैं। जबकि वह गाड़ी स्वास्थ्य विभाग में संचालित है। जिसकी शिकायत की फाइल दबा रखी है।
रोडवेज के रंग में खूब चलवाई रोडवेज बस कमाई दौलत, जांच दबी हुई है। नई बसे जो शासन से मिली है 10 और 15 हजार में कंडक्टरों को बेची गई। एटा डिपो की बस साल में एक दो बार एआरएम की शह पर कंडक्टर आधी से ज्यादा सवारियां वे टिकट ले जाना आये दिन का काम है। पकड़े जाते हैं निलंबित हो गए या संविदा पर है तो संविदा समाप्त कर दी। महीने 6 महीने बाद उसी काम पर देखे जा सकते हैं। अगर बहाल नहीं है फिर भी एआरएम की मेहरबानी से वह दूसरे चालक या परिचालक की जगह काम करता देखा जा सकता है।
एटा डिपो में केवल यादव ही एआरएम चला सकता है अन्य तो यहाँ कुछ ही दिनों में चालक परिचालक या इनके छुटभैया कर्मचारी नेताओं का शिकार हो जाते हैं। जहाँ पर एक कहावत चरितार्थ होती है भृष्ट हमारे हम भृष्टन के? पिछले वर्ष फर्रुखाबाद रूट पर भी एक बस सवारियों से खचाखच भरी हुई थी जिसमे चेकिंग के दौरान दर्जनों सवारी बिना टिकट पकड़ी गई थी। जिसमे चालक परिचालक, टीआई सहित एआरएम एटा मदनलाल भी निलंबित हुए थे। एआरएम का भाई खुलेआम परिवहन विभाग को चूना लगा रहा है क्या एआरएम एटा पर विभागीय कार्यवाही होगी जो पहले से कई मामलों में दोषी हैं।