स्कूल में दाखिला,कोर्स, ड्रेस सभी प्राइवेट स्कूल वालों ने किए महंगे – बच्चों के अभिभावक खासे परेशान
स्कूल में दाखिला,कोर्स, ड्रेस सभी प्राइवेट स्कूल वालों ने किए महंगे – बच्चों के अभिभावक खासे परेशान
निजी स्कूलों के मनमाने रवैए के विरोध में अधिवक्ताओं ने महामहिम राष्ट्रपति को पत्र भेज की समाधान की मांग
कायमगंज / फर्रुखाबाद नवीन सत्र प्रारम्भ होने पर निजी शिक्षण संस्थाओं / स्कूल व कालेजों में प्रवेश प्रारम्भ हो चुके हैं । किन्तु इन स्कूलों द्वारा हर कक्षा में दाखिला के लिए ली जाने वाली बहुत अधिक अच्छी खासी फीस और फिर मनमाने ढंग से वर्ष भर भी मासिक फीस । इसी के साथ महंगा कोर्स
– ड्रेस आदि अपने आप निर्धारित रेट पर चाहे स्कूल काउन्टर से या फिर तय शुदा दुकान के माध्यम से खरीद करने की अभिभावकों के सामने मजबूरी बना देना । यह सब कुछ बच्चों की शिक्षा के लिए व्यवस्था जुटाने में अभिभावक बेहद परेशान हो रहे हैं । ऐशी स्थिति में आखिर बेचारे अभिभावक अपने बच्चों को शिक्षा दिलाएं तो कैसे?
जैसी स्थिति को देखते हुए : – अधिवक्ताओं ने विरोध कर प्राइवेट स्कूलों द्वारा की जाने वाली अवैध वसूली रोकने की मांग की मुंसिंफ बार एसोशिएसन के अध्यक्ष राघव चंद्र शुक्ला, सुरजीत सिंह, वीरेंद्र प्रताप सिंह चैहान, सुखवीर सिंह, अनूप कुमार, विनोद कुमार, आर्येंद्र सिंह, राहुल सागर, देवेंद्र कुमार गंगवार, जब्बाद खां, शरद चंद्र, नवनीत कांत, स्नेकुमार दुबे, आकाश रस्तोगी, अनूप गुप्ता, ब्रजेश कुमार, उग्रसेन शाक्य सहित अन्य अधिवक्ताओं ने राष्ट्रपति को संबोधित एक पत्र भेजा।
जिसमें उन्होनें कहा है कि निजी विद्यालयों के द्वारा मनमाने ढंग से निजी प्रकाशन की किताबें व ड्रेस निश्चत दुकानों के माध्यम से खुलेआम बिक्री कराई जा रही है। इन दुकानों पर कक्षावार कोर्स की किताबों के पैकेट बना कर रखे गए हैं। प्रत्येक पैकेट का मूल्य अपने तरीके से प्रिंट रेट पर कीमतें निश्चित कर रखी है। कक्षा 1 की किताबें अनुमानित 5 हजार कीमत रखी गई है और उसके ऊपर की कक्षा की किताबें 5 हजार 5 सौ से लेकर 10 हजार तक निश्चित कर रखी है।
इसके अतिरिक्त बच्चे का उसी विद्यालय में पहले से ही एडमीशन होने के पश्चात भी एडमीशन फीस के नाम पर प्रतिवर्ष हजारों रुपये अवैध रुप से वसूले जाते हैं। जिससे अभिभावकों के ऊपर नायायज खर्च का भार आता है। निजी स्कूलों के द्वारा खुलेआम शिक्षा का व्यापार किया जा रहा है।
निजी स्कूलों के द्वारा की जा रही अवैध बसूली को रोका जाना अति आवश्यक है। उनका कहना है कि यदि इनकी मनमानी पर अंकुश नहीं लगाया गया तो बच्चों को शिक्षा उपलब्ध करना मुश्किल ही नहीं ज्यादातर लोगों के लिए असम्भव हो जायेगा । वकीलों का तर्क था कि इन सभी स्कूल कालेजों को संस्था संचालन की अनुमति निर्धारित नियमों के अनुसार शासन / संबंधित विभाग द्वारा ही दी जाती है तो फिर इनके मनमाने तौर तरीकों पर नियंत्रण रखना भी अनुमति प्रदान करने वाले की जिम्मेदारी बनती है।अतः उचित ढंग एवं सक्षम माध्यम से शीघ्र समय रहते शिक्षा व शिक्षण हित में निजी क्षेत्र के ऐशे कारनामों पर प्रभावी नियंत्रण किया जाए ।