मैं अमित शाह बोल रहा हूँ, ठग ने BJP के पूर्व विधायक को टिकट दिलाने को बनाया शिकार

Feb 16, 2024 - 11:44
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मैं अमित शाह बोल रहा हूँ, ठग ने BJP के  पूर्व विधायक को टिकट दिलाने को बनाया शिकार
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यूपी के बरेली में बीजेपी के पूर्व विधायक के साथ ठगी की कोशिश का मामला सामने आया है।

आरोप है कि फोन करने वाले ने खुद को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बताया और उसे चुनाव में टिकट देने के नाम पर पैसे ऐंठने का प्रयास किया। शक होने पर पुलिस से शिकायत की गई. जिसके बाद पूरे गिरोह का पर्दाफाश हुआ है।

पुलिस ने आरोपी रवींद्र मौर्य को गिरफ्तार कर लिया है. जबकि उसके साथी शाहिद की तलाश की जा रही है. पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण क्षेत्र) मुकेश मिश्रा ने बताया कि शाहिद और रवींद्र मौर्य पर डकैती, धोखाधड़ी और छद्म पहचान बनाने के आरोप के साथ-साथ आईटी अधिनियम की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की है. 'ट्रूकॉलर ऐप पर लिखा- गृह मंत्रालय दिल्ली...!

एसपी ग्रामीण मिश्रा ने बताया कि जांच के दौरान सामने आया कि जिस फोन नंबर से कॉल आया था, उसकी गलत पहचान विकसित की गई. ट्रूकॉलर ऐप पर देखा तो देवनागरी में लिखा था- 'गृह मंत्रालय दिल्ली, केंद्र सरकार' (अंकित). यह कारनामा शाहिद और रवींद्र मौर्य ने किया था। घटना के बाद शाहिद फरार है। जबकि रवींद्र मौर्य को गिरफ्तार कर लिया है. शाहिद पहले भी धोखाधड़ी के ऐसे ही कृत्यों में लिप्त रहा है. बच्चों की आवाज का क्लोन कर ठगी! 

साइबर अपराधियों के नए खेल से हो जाइए अलर्ट 'पहले परिचय देते, फिर टिकट के नाम पर मांगते थे पैसे' यह FIR नवाबगंज थाने के इंस्पेक्टर विनोद कुमार की शिकायत पर दर्ज किया गया है. मिश्रा ने बताया कि ये शातिर गिरोह है और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बनकर ज्यादातर राजनीतिक नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं को टारगेट बनाता था. गिरोह के सदस्य पहले फोन करते थे और उन्हें चुनाव में टिकट दिलाने का वादा करते थे. उसके बाद पैसे ऐंठने की कोशिश करते थे. 'पूर्व विधायक को 16 दिन में 9 बार कॉल किया' पुलिस के मुताबिक, रवींद्र मौर्य ने सबसे पहले 4 जनवरी को बीजेपी के पूर्व विधायक किशनलाल राजपूत को फोन किया. वो 4 जनवरी से 20 जनवरी तक कुल 9 बार राजपूत को फोन कर चुका था. किशनलाल राजपूत पीलीभीत जिले की बरखेरा विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं। पुलिस से बचने के लिए तोड़ दिया सिम' मिश्रा ने बताया कि जांच के दौरान पुलिस को महत्वपूर्ण जानकारी मिली और बरेली के नवाबगंज पुलिस स्टेशन के अंतर्गत समुहा गांव के निवासी रवींद्र मौर्य की गतिविधि संदिग्ध पाई गई. उसे पूछताछ के लिए पुलिस स्टेशन बुलाया गया. मिश्रा ने कहा, जब रवींद्र को पता चला कि वो पुलिस जांच के दायरे में आ गया है और फंस सकता है. ऐसे में उसने बचने के लिए सिम को तोड़ दिया। जोगी के भेष में 22 साल बाद घर पहुंचा बेटा निकला ठग, पुलिस ने किया नफीस का खुलासा 'कैसे आरोपियों तक पहुंची पुलिस?' पुलिस का कहना था कि चूंकि जिस सिम से आरोपी फोन कर रहे थे, वो उसी गांव के हरीश के नाम पर रजिस्टर्ड थी. पुलिस ने पहले हरीश को तलब किया और सिम के बारे में जानकारी ली तो उसने बताया कि ये सिम उसने पिछले साल 29 दिसंबर को खरीदी थी. लेकिन कुछ देर बाद गांव के ही रवींद्र मौर्य और शाहिद ने उसे धमकाया और उससे सिम छीन लिया था. यही लोग सिम को यूज कर रहे थे।