पत्नी का चरित्रहीन पति को सबक (कहानी)
कțहानी =====÷
पत्नी का चरित्रहीन पति को सबक
====÷÷÷# शीत ऋतु का दिसंबर का महीना था ।शीतलहरका भयंकर प्रकोप चल रहा था । ठिठुरन भरी सर्दी से जीप में बैठे इंजीनियर बलवंत सिंह का शरीर कांप रहा था। तेज रफ्तार से चल रही जीप हवा को चीरते हुए जब बलवंत सिंह के घर के सामने आकर खड़ी हुई तो बलवंत सिंह की जान में जान आई ।
जीप से उतरकर बलवंत सिंह ने ड्राइवर से कहा - अंदर चल कर कॉफी पी लो उसके बाद जाना। ड्राइवर के बहुत मना करने के बाद भी बलवंत सिंह ड्राइवर को घर के अंदर ले गए और उसे कॉफी पिला कर सो का नोट देकर उसे विदा किया। कॉफी पीने के बाद बलवान सिंहनेअपनी पत्नी रामकली को एकांत में बुलाकर धीरे से कहा--आज तुम्हें एक बहुत खुशखबरी सुनाऊंगा। जो मेरी जगह पर 29 वर्षीय डॉ रामकुमार अधिशासी अधिकारी आया है ।
वह अपनी जात बिरादरी का है ।बातचीत स्वभाव से बड़ा नेक सुशील इंसान लगता है। जब हम अपने पेंशन के कागजों के लिए लोक निर्माण विभाग के कार्यालय में पहुंचे तो जैसे ही चपरासी ने मेरा परिचय देते हुए उन्हें बताया। उन्होंने फौरन मुझे कार्यालय के अंदर बुला लिया।
हीटर के सामने अपने पास मेरी कुर्सी डलवा कर मुझे बड़े सम्मान से बैठाया और मेरे सभी काम कर के मुझे चेक देकर बोला -बाबूजी आप कार्यालय में आते रहे और आपअपने अनुभव से मुझे लाभान्वित करते रहिए । मेरी पहली पोस्टिंग है ।बड़े साहब आपकी बहुत प्रशंसा कर रहे थे और मुझसे यही कहा था कि तुम जिस जगह जा रहे हो वहां का रिटायर हुआ अधिकारी बहुत अच्छा ईमानदा अधिकारी है।
तुम्हारी नई पोस्टिंग है ।वहां के ठेकेदार बहुत बाहुबली खतरनाक है। ईमानदारी से काम करना और उनसे बच के रहना।रिटायरअधिशासी अधिकारी इंजीनियर बलवंत सिंह ने कहा बेटा डरने की कोई बात नहीं। यहां का स्टाफ बहुत अच्छा है । मैं यहां बहुत दिनों से रह रहा हूं। मेरे यहां के काफी अच्छे लोगों से संबंध है ।
तुम्हारा कोई कुछ नहीं कर पाएगा ।जब लोग जानेंगे कि तुम मेरे जात बिरादरी रिश्तेदार हो तो कोई कुछ नहीं कहेगा। बस ईमानदारी से काम करो। किसी के साथ शराब वगैरह मत पीना। मैं इतनी नसीहत देकर चला आया हूं और कल उसे अपने घर पर भोजन के लिए बुलाया आया हूं । कल 5:00 बजे शाम को आएगा ।
चपरासी ने बताया है कि अभी इसकी शादी नहीं हुई है ।अगर तुम्हें लड़का पसंद आएगा तो अपनी बेटी कल्पना की उसके साथ शादी कर दूंगा। दूसरे दिन 5बजे शाम ऊनी सूट बूट ट्राई लगाए लगाए हुए सरकारी जीप चलाते हुए अधिशासी अधिकारी डा ,रामकुमार इंजीनियर बलवंत सिंह के दरवाजे पर आकर रुक गए।
जीप की आवाज सुनते ही रिटायर इंजीनियर बलवंत सिंह फौरन बाहर आ गए और अधिशासी अधिकारी रामकुमारने दोनों हाथ जोड़ कर बलवंत सिंह को नमस्कार किया ।बलवंत सिंह ने राम कुमार के हाथ पकड़ कर उन्हें घर के अंदर ले जाकर अपने ड्राइंग रूम के सोफा पर बैठा दिया और सर्दी से बचने के लिए सामने हीटर लगा दिया। थोड़ी देर बाद बलवंत सिंह की पत्नी सज धज के कमरे अंदर आ गई ।बलवंत सिंह ने उनका परिचय कराया ।
अधिशासी अधिकारी राम कुमार ने खड़े होकर हाथजोड़करनमस्कार किया और बलवंत सिंह की पत्नी के सोफा पर बैठते ही वह भी सोफा पर बैठ गए । बलवंत सिंह की पत्नी रामकली ने सोफा पर बैठे हुए अधिशासी अधिकारी को नीचे से ऊपर तक देखा - गोरा रंग गठीला हट्टा कट्टा बदन, चेहरे पर रौनक देखकर ,वह संतुष्ट हो गई और मन ही मन में सोचा दमाद बनाने लायक है ।
इसके बाद अधिशासी अधिकारी सिर्फ उनके परिवार के संबंध मे बातचीत करने लगी । तभी नाश्ते की प्लेट कॉफी लेकर इंजीनियर की लड़की कल्पना आ गई और उसने मेज पर नाश्ता लगा दिया। रामकुमार कल्पना दोनों आंख नीची कर एक दूसरे को देखने लगे और एक दूसरे के विषय में सोचने लगे।
कुमारी कल्पना उस समय रंग रूप और अपनी सुंदरता मे चांद का टुकड़ा जैसी दिखाई दे रही थी। एकहेरा बदन गुलाबी चेहरा ऊनी हरे रंग की साड़ी पहनकर जब वह कॉफी लेकर आई थी। अधिशासी अधिकारी उसे देखते ही रह गए थे और उसके सौंदर्य रूप पर मन ही मन उस पर मोहित हो गए थे ।इंजीनियर बलवंत सिंह ने अपनी बेटी के संबंध में बताया के यह हिंदी संस्कृत एमए. करके चित्रांश इंटर कॉलेज में लेक्चरर है।
अब इसको अच्छी तरह से देख ले अगर पसंद हो तो तुम्हारे पिता से शादी की बात करूं । रामकुमार बलवंत सिंह से बोले-तीन-चार दिन के बाद माता जी पिताजी दोनों यहां आ रहे हैं। आप उनसे तब बातकरलीजिए ।यह बात सुनकर बलवंत सिंह की पत्नी बोली हम लोग अंदर जा रहे हैं। आप दोनों बातचीत कर लीजिए । बलवंत सिंह और उनकी पत्नी के अंदर जाते ही रामकुमार कल्पना सेबोले- मैं केवल यही चाहता हूं कि मेरी पत्नी मेरे परिवार को लेकर चले।
मुझे धन दौलत कुछ नहीं चाहिए।कल्पना थोड़ी देर चुप रही फिर बोली - मैं भीकेवल यही चाहती हूं कि वह मुझे मेरा पति कुछ ना दें केवल प्रेम दें और किसी मादक पदार्थ का सेवन नहीं करें ना किसी पराई औरत पर निगाह रखे जिससे हम दोनों का दांपत्य जीवन सुखी से कट सकें।
जब रामकुमार ने ऐसा करने का वादा किया तो कल्पना ने भी कहा कि हम से तुम्हें कभी कोई शिकायत नहीं मिलेगी। इसके बाद वह अंदर चली गई । पूरे परिवार के साथ रामकुमार ने भोजन किया और 10 बजे रात को चुपचाप अपने बंगले चला गया। कुछ दिनों के बाद अधिशासी अधिकारी राम कुमार के माता पिता आएऔरबलवंत सिंह से बातचीत करने के बाद एक मैरिज होम लेकर कल्पना और राजकुमार की शादी बड़े धूमधाम से हो गई।
शादी के समय गांव से आई हुई बलवंत सिंह की चचेरे भाई की पत्नी सत्यवती ने घर पर आए हुए दमाद से कहा- बेटा मेरी बेटी रूप कली की शादी किसी अच्छे लड़के से करा दो। मैं तुम्हारा बहुत एहसान मानूंगी। यह बीए तक पढ़ी हुई है। जीजा रामकुमार ने साली को नीचे से ऊपर तक देखा उसके रंग रूप पर इतने मोहित हो गए । चचेरी सास से बोले ,-मेरे दफ्तर में जूनियर इंजीनियर सुरेश अपनी जात बिरादरी का है और बहुत सुंदर नेक चाल चलन का है।
अच्छा बेतन पा रहा है। कल उसे लाकर तुम्हें दिखा दूंगा। अगर पसंद आएगा तो शादी करा दूंगा। मुस्की छोड़ते हुए बड़ी बहन की ओर देखते हुए साली रूप कली जीजा से बोली -अगर उससे मेरी शादी नहीं हुई तो तुमसे शादी कर लूंगी । हम दोनों बहने साथ साथ रह लेगी। बलवंत सिंह की भाभी ने बलवंत सिंह के कहने पर जाने पहचाने लड़केसे अपनी लड़की की शादी एक मैरिज होम में बड़े धूमधाम से कर दी ।
बलवंत सिंह और उनके बड़े भाई अपनी अपनी लड़कियों की शादी करने के बाद दोनों बहुत खुश हुए और गंगा जी नहा ली। समय चक्र बड़ी तेजी से चल रहा था । अधिशासी अधिकारी डॉ राम कुमार अपनी पत्नी कल्पना के साथ लोक निर्माण की कोठी में रह रहे थे और उन के विभाग के जूनियर इंजीनियर सुरेश पीडब्ल्यूडी के क्वार्टरों में अपनी पत्नी रूप कली के साथ रह रहा था।
पति के कहने पर कल्पना ने अपनी नौकरी छोड़ दी और घर गृहस्ती सास ससुर की सेवा में में लगी रहती थी। शादी के बाद कल्पना ने जाना कि उसका पति रामकुमार बहुत बड़ा कामी प्रवृत्ति का व्यक्ति है ।लेकिन वह फिर भी अपनी इच्छा ना होने के बाद भीउस की काम बासना शांत करती रहती थी और पति को समझते भी रहती थी। कल्पना रामकुमार का दांपत्य जीवन बड़ी सुखी रूप से चल रहा था।
एकदिन ऐसा हुआ जूनियर इंजीनियरसुरेश सरकारी काम से लखनऊ गया हुआ था और उसकी अठाईस वर्षीय जवान पत्नी रूप कली अकेली अपने सरकारी क्वार्टर में रह रही थी। जूनियर इंजीनियर सुरेश के क्वार्टर के पास हेमचंद्र जूनियर इंजीनियर अपनी पत्नी और अपने बच्चों के साथ रह रहा था। रात के समय क्वार्टर के पीछे से कुछ बदमाश चढ़ाए और उन्होंने हेमचंद्र और उनकी पत्नी को धारदार हथियार से चोट करके उन्हें घायल कर दिया ।
उसके घर से एक लाख की नगदी जेवर सब लूट ले गए ।सुबह के समय बच्चों ने शोर मचाकर जब मोहल्ले वालों को बताया तो पुलिस आई घायलों को अस्पताल पहुंचा कर रिपोर्ट लिख कर अपराधियों को पकड़ने में पुलिस लग गई।डकैती घटना से पूरे मोहल्ले के क्वार्टरोंमें दहशत फैल गई। सुरेश की पत्नी ने पूरी घटना बताते हुए मोबाइल से अपने पति से कहा- मुझेडर लग रहा है। फौरन चले आओ। मोबाइल पर पति ने जवाब दिया डरोमतरातमेंचपरासीआजाएगा।रातके8बजरहेथे ।चौकीदार नहीं आया ।
जूनियर इंजीनियर की पत्नी घबरा रही थी तभी बाहर से कीबाड की कुंडी बजउठी ।आवाज पहचान कर सुरेश की पत्नी ने किबाड खोलें । जीजा राम कुमार को देखकर जूनियर इंजीनियर सुरेश की पत्नी खुश हो गई ।क्वार्टरकेअंदर पहुंचकर रामकुमार ने कहा- सालीसाहब डरो मत। मैं आ गया हं डरो मत ।सालीने जीजा जी के लिए खाना बनाया। दोनों ने खाया ।जीजा जी द्वारा लाई गई कोको कोला की बोतल को दोनों ने पीया ।जूनियरइंजीनियर सुरेश की पत्नी को नशाआ गया ।
जब वह गिरने लगी। तभी जीजा ने उसे गोदी में उठाकर उससे उसके पलंग पर लिटा दिया । कुछ देर बाद रामकुमार ने उसके माथे शरीर पर हाथ फेरा । जब देखा कि वो पूरी तरह बिहोश हो गई है तो रामकुमार ने अपनी साली के पूरे सभी कपड़े उतारे और अपनी काम वासना शांत करने में लग गया ।बिहोशी कीहालत मे हाथ पैर फड फडाती रही ।कामुक जीजा काम वासना शात करने में लगा रहा ।
सुबह हुई ।साली की बेहोशी खत्म हुई तो वह अपनी हालत देखकर रोने लगी। बेशर्म जीजा डॉ राम कुमार अधिशासी अधिकारी ने अपनी मान मर्यादा खोकर जो साली के साथ जो यह काम किया उस से बह तो खुश हो रहा था। लेकिन साली रो रही थी । दूसरे दिन जब जूनियर इंजीनियर सुरेश आया और उसको यह सब बात का पता चला तो उसने पत्नी को शांत करके दोनों जने अधिशासी अधिकारी के कोठी पर पहुंचे ।रूपकली ने अपनी बड़ी बहन कल्पना को रोते हुए पूरी घटना बताई तो कल्पना पति रामकुमार की करतूत पर बहुत दुखी हुई और अपनी बहन से बोली -उन्हें घर पर आने दो ।
उनकी ही पिस्तौल से उनकी हत्या कर दूंगी। विधवा रहकर भी ऐ कुकर्मी पति को मार कर भी खुश रहूंगी । रूप कली ले बहन कल्पना को समझाया । बहन ऐसा मत करो जो होना था वह हो गया और कल्पना के हाथ से पिस्तौल छीन ली.। शाम हो रही थी ।रामकुमार जैसे ही कोठी के अंदर आए । कल्पना ने बहन के हाथ से फिर पिस्तौल छीन ली और रामकुमार की ओर तानते हुए बोली -ऐसे कुकर्मी पति की हत्या करके मैं खुश हो जाऊंगी ।
क्रोधित कल्पना ने फायर करदिया ।गोलीरामकुमार के पैर मे जाकर लगी।घायल रामकुमार जमीन पर गिर पडे । जैसे ही कल्पना दोबारा फायर करना चाह जूनियर इंजीनियर सुरेश ने कल्पना के हाथ से पिस्तौल छीन ली। कल्पना को शांत करके सुरेश और उसकी पत्नी रामकुमार को प्राइवेट डॉक्टर के पास लेगये। इलाज चाला ठीक हो गयेऔर अपनी करतूत पर रामकुमार ने पश्चाताप किया ।जूनियर इंजीनियर तथा उसकी पत्नी से क्षमा याचना की।
कल्पना से भी क्षमा मांगी। रामकुमार के आंखों में आंसू देख कर कल्पना बोली- अगर पुरुष की तरह स्त्री भी अपनीकामवासनाकिसी पुरुष के साथ शांत करने लगेगी तो क्या पुरुष बर्दाश्त करेगा ? ऐसा करने पर स्त्री को क्यों फिर चरित्रहीन कहा जाता है? समाज के कुकर्मी लोगों को यह सोचना होगा। जिससे स्त्री-पुरुष के संबंधों में पवित्रता रहे । सदियों से चली आ रही भारतीय संस्कृति यही शिक्षा देती है। बृज किशोर सक्सेना किशोर इटावीकचहरी रोड मैनपुरी