नायब तहसीलदार रेपकांड में DM की रिपोर्ट को SP ने करदी खारिज
Basti News: उत्तर प्रदेश के बस्ती में नायाब तहसीलदार के साथ रेप और हत्या मामले में एक नया मोड़ आ गया है। डीएम के नेतृत्व में बनी विशाखा कमेटी की उस रिपोर्ट को एसपी ने सिरे से खारिज कर दिया है।
जिसमें आरोपी नायब तहसीलदार घनश्याम शुक्ला को क्लीन चिट देने की कोशिश की गई थी और पीड़ित महिला नायब तहसीलदार को बदचलन तक घोषित कर दिया गया था। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद पीड़ित लेडी अफसर ने मुख्यमंत्री और प्रमुख गृह सचिव तक अपनी बात पहुंचा कर न्याय की गुहार लगाई, जिसके बाद शासन ने इस पूरे प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए बस्ती जिला प्रशासन को कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए।
इस मामले में एफआईआर दर्ज हुए दस दिन बीत जाने के बाद भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया जा सका है. आरोपी मजिस्ट्रेट घनश्याम शुक्ला पर 25 हजार का इनाम घोषित है. पुलिस की 6 टीमें आरोपी की गिरफ्तारी के लिए बस्ती से दिल्ली तक खाक छान रही हैं. इसी बीच एसपी बस्ती की तरफ से मीडिया को बताया गया कि पुलिस की जांच में आरोपी मजिस्ट्रेट घनश्याम दोषी पाए गए हैं और उन्होंने विशाखा की जांच टीम को गलत बयान दिया था।
बस्ती पुलिस की तरफ से जारी इस बयान के बाद पूरा मामला और उलझ गया है. पुलिस के इस बयान से विशाखा टीम की जांच पर सवाल खड़े हो रहे हैं. आखिर डीएम के नेतृत्व में गठित कमेटी ने किस के प्रभाव में ऐसी रिपोर्ट बनाई और एक महिला अधिकारी के चरित्र पर सवाल खड़ा किया। जांच टीम ने क्या कहा? विशाखा टीम की जांच रिपोर्ट में पीड़ित महिला नायब तहसीलदार के आवास पर बलरामपुर के किसी युवक की मौजूदगी दर्शाई गई थी।
टीम ने जांच में पाया था कि महिला नायब तहसीलदार से उसके संबंध हैं और उस दिन आवास में युवक से महिला अधिकारी का झगड़ा हो रहा था. जिसे सुनकर वे बीचबचाव करने गए थे, लेकिन उनके आने से पहले ही वह भाग खड़ा हुआ. जिसे पकड़ने के लिए आरोपी नायाब तहसीलदार उसके पीछे भागे और इसी दौरान उनका चप्पल महिला नायब तहसीलदार के कमरे पर छूट गया. विशाखा टीम की ये थ्योरी जांच के बाद फर्जी साबित हुई है।
बताया जा रहा है कि महिला नायब तहसीलदार के साथ जबरन संबंध बनाने के मकसद से आरोपी नायब तहसीलदार घनश्याम शुक्ला जबरन वहां गए थे और इस कुकृत्य को अंजाम दिया था। डीएम ने पीड़िता से मिलने से किया था इंकार एसपी ने पूरे प्रकरण से पर्दा हटाते हुए घनश्याम शुक्ला को घटना में दोषी बताया है. इस पूरे प्रकरण में शुरू से जिले के एक बड़े अधिकारी की भूमिका संदिग्ध रही है।
घटना के बाद जब पुलिस ने एफआईआर लिखने में आनाकानी की, तो पीड़ित महिला अधिकारी डीएम से मिलने पहुंच गई. मगर डीएम ने उनसे मिलने से साफ मना कर दिया. इसके बाद बीजेपी एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने पूरे मामले शासन से बात कर मुकदमा दर्ज करवाया। इसके बाद डीएम अंद्रा वामसी ने तीन महिला अधिकारियों की टीम गठित की, जिसे विशाखा टीम नाम दिया गया. आरोप है कि इस टीम ने भी प्रभाव में आकर पीड़ित महिला अधिकारी की व्यथा सुनने के बजाए उसे दोषी साबित कर दिया और आरोपी मजिस्ट्रेट घनश्याम शुक्ला को निर्दोष बताया।
आईएएस रोशन जैकब करेंगी जांच दिवाली की रात घटी इस घटना में नायब तहसीलदार घनश्याम शुक्ला पर दर्ज एफआईआर को हल्के में लिया गया. मुकदमा दर्ज होने के बावजूद आरोपी मजिस्ट्रेट कई दिनों तक जिले में धड़ल्ले से घूमता रहा. शिकंजा कसता देख आरोपी मजिस्ट्रेट घनश्याम शुक्ला कथित गांजा माफिया के साथ बाइक पर बैठकर भागने में सफल रहा और पुलिस गिरफ्तार करने में नाकाम रही. पूरा मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में आने के बाद इस मामले कार्रवाई तेज हुई और आरोपी मजिस्ट्रेट घनश्याम शुक्ला को सस्पेंड कर उस पर इनाम घोषित किया गया।
पुलिस की 6 टीमें आरोपी की तलाश में जुटी हैं. इस मामले की जांच अब आईएएस रोशन जैकब को सौंपी गई है. रोशन जैकब जल्द ही बस्ती में जांच के लिए पहुंचने वाली हैं। जिम्मेदार अधिकारियों ने कार्रवाई से बचने के लिए देर रात आरोपी मजिस्ट्रेट के ससुर, साले और बहन को गिरफ्तार कर जेल भेजने का दावा किया है। आरोपी के रिश्तेदार गिरफ्तार एएसपी दीपेंद्र चौधरी ने बताया कि इस मामले में आरोपी मजिस्ट्रेट घनश्याम शुक्ला की गिरफ्तारी का प्रयास किया जा रहा है।
घनश्याम शुक्ला को पनाह देने वाले उनके रिश्तेदारों को गिरफ्तार किया गया है. बस्ती महिला अफसर कांड मामले में अब जिला प्रशासन खुद अपने जाल में फंसता नजर आ रहा है. सरकार की किरकिरी होने के बाद अब सवाल खड़े होने शुरू हो गए कि महिला सुरक्षा पर सवाल खड़े शुरू होने लगे हैं. जहां आम महिला की क्या बात करें जब एक महिला अफसर ही न्याय के लिए कई दिन तक पुलिस और प्रशासन के दरवाजे पर चक्कर काटती और उसे न्याय नहीं मिला।