भक्ति की शक्ति

Oct 6, 2023 - 19:34
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भक्ति की शक्ति
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भक्ति की शक्ति

 कहते है भक्ति कि शक्ति अन्नत होती है । इष्ट या भगवान मानने की चीज हैं ।इससे मन में आस्था गहरी होती है । यह भक्ति तभी पूर्ण होती हैं जब कभी कुछ विपरीत हमारे जीवन में होता है तो हमारा मन कहता है जो हो रहा है मेरे लिए अच्छे के लिए ही हो रहा है। पर धर्म कतई अंधविश्वास नहीं है ।

 अंधविश्वास कहीं भी नहीं है निस्स्वार्थ आस्था के आसपास। सदा भक्ति निष्काम होती है । रोम-रोम में भगवान रम जाते हैं।और निष्काम भक्ति से असीम शांति मिलती है। प्रभु रूपी आत्मा से लगन सच्ची लगाओ ।बाह्य सौंदर्य से नही सिर्फ अपने को लुभाओ । रूप यौवन तन सौंदर्य सब ढल जाएगा । काल विकराल सब गटका जाएगा । रंग रूप लावण्य को ग्रहण लग जाएगा ।

इस अस्थायी प्रेम से तू क्या पायेगा? जिसका आकार इच्छा हैं । इच्छा आकाश के समान अनंत होती हैं । पर आत्म रुचि ही इच्छा शक्ति जगाती हैं । चूँकि रुचि के अनुसार योग्यता अनंत होती नहीं हैं ।ये तो होती हरेक की अपनी-अपनी उसको जानने और जगाने की जरूरत होती है ।आत्म रुचि को इच्छा शक्ति बनाने की । भक्ति में इतनी ताकत होती है जो भक्त को भी भगवान बना देती हैं ।

 इसके लिए पूर्ण समर्पण जरुरी हैं ।ठीक ऐसे ही होती इच्छा शक्ति की भक्ति जो सफलता के मुकाम तक हमको पहुँचा देती। विवेक,समर्पण , और कार्य निष्ठा। जुनून और उत्साह के साथ दूरदर्शिता। इच्छा शक्ति की भक्ति मे चार चांद लगा देता हैं ।पंगु भी पहाड़ पर चढ जाता हैं । असम्भव काम भी सम्भव बन सकता हैं ।बस जरुरी है इच्छा को टटोलना। इच्छा शक्ति मे सन्देह न करना। मीरा बाई की थी जैसे कृष्ण के प्रति भक्ति। अपनी इच्छा शक्ति की भी करो ऐसी भक्ति। तभी तो कहा हैं कि भक्ति की शक्ति होती हैं । प्रदीप छाजेड़ ( बोरावड़)