बेटों की उपेक्षा से आहत बुजुर्ग दंपत्ति की दर्दनाक कहानी* *प्यार की अनोखी दास्तान

*बेटों की उपेक्षा से आहत बुजुर्ग दंपत्ति की दर्दनाक कहानी* *प्यार की अनोखी दास्तान: पति को बचाने 9 किलोमीटर तक मौत से लड़ी पत्नी, लेकिन हार गई*
मैनपुरी 23 अगस्त अजय किशोर- बेटों की उपेक्षा और बेरुखी से तंग आकर 75 वर्षीय एक बुजुर्ग ने जिंदगी का साथ छोड़ने का फैसला किया और नहर में छलांग लगा दी। अपने पति को बचाने के लिए उनकी 72 वर्षीय पत्नी भी उनके पीछे कूद गईं। उन्होंने 9 किलोमीटर तक बहाव में बहते हुए पति का हाथ थामे रखा, लेकिन आखिरकार वो उन्हें बचा नहीं पाईं। यह मार्मिक घटना रिश्तों की कड़वी सच्चाई को बयां करती है। फिरोजाबाद के रहने वाले रामलड़ते व उनकी पत्नी श्रीदेवी, अपने चार बेटों निर्वेश कुमार, सर्वेश कुमार, किशोरी और सीताराम की उपेक्षा से परेशान थे। तीन साल पहले रामलड़ते का कूल्हा टूट जाने के बाद वे काम करने में असमर्थ हो गए थे। पहले फेरी लगाकर और थोड़ी बहुत खेती करके वे अपना गुजारा करते थे, लेकिन अपाहिज होने के बाद बेटों ने उनसे मुंह मोड़ लिया। उनकी देखभाल करना तो दूर, उन्हें दवा तक के लिए पैसे नहीं दिए जाते थे। इसी मानसिक पीड़ा से तंग आकर शुक्रवार को रामलड़ते ने मैनपुरी आकर घिरोर पुल से नहर में छलांग लगा दी।
अपने पति को रोकने की कोशिश में पीछे आ रहीं श्रीदेवी ने जब उन्हें कूदते देखा तो बिना कुछ सोचे-समझे उनकी जान बचाने के लिए खुद भी नहर में कूद गईं। पानी का तेज बहाव था, लेकिन श्रीदेवी ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने पति का हाथ कसकर पकड़ा और उन्हें बचाने की कोशिश में 9 किलोमीटर तक तैरती रहीं। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था, तेज बहाव के कारण वो पति को किनारे नहीं ला पाईं और कुछ ही देर में रामलड़ते अचेत हो गए। दन्नाहार थाना क्षेत्र के जवापुर गांव के पास कुछ ग्रामीणों ने दोनों को नहर में बहते देखा और उन्हें बाहर निकाला। हालांकि, भाग्य ने उनका साथ नहीं दिया। उनका अथक प्रयास पति की जान तो नहीं बचा पाया, पर उनके इस साहस ने सच्चे प्यार की एक अविस्मरणीय गाथा लिख डाली। पति को खो देने के गम में डूबी श्रीदेवी का रो-रोकर बुरा हाल था, लेकिन कुछ समय बाद उनकी आंखें पथरा गईं, मानो अब उनमें कोई आंसू ही नहीं बचा हो। बेटों ने बताया कि उन्होंने अपने पिता को रोकने की बहुत कोशिश की थी, लेकिन वे गुस्से में थे और किसी की नहीं सुनी। हालांकि, इस घटना ने समाज के सामने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या हमारा समाज इतना असंवेदनशील हो गया है कि जवान बेटे अपने बूढ़े मां-बाप को बेसहारा छोड़ देते हैं? यह घटना केवल एक समाचार नहीं, बल्कि हमारे समाज के टूटे हुए रिश्तों का एक दर्दनाक आईना है।