★★ पत्रकारिता का चोला ★★
★★ पत्रकारिता का चोला ★★
**“पत्रकारिता का चोला”**
फेसबुक पर झूठ का मेला,
सबको चाहिए बस हवेला,
ना खोजबीन, ना सच्चाई,
बस लाइक-कमेंट की दुहाई।
कल तलक जो थे बेरोज़गार,
आज बन बैठे ‘वरिष्ठ पत्रकार’!
रोब गाँठ के घूम रहे ऐसे,
जैसे लोकतंत्र की मूरत ही ये से।
चाटुकारिता जिनका धर्म हुआ,
प्रशासन जिनका परमेश्वर हुआ,
सत्ता की थाली में परोसी खबर,
सच की आवाज़ हो गई बेअसर।
सट्टा, जुआ, दलाली करते,
पुलिस की जेबें भी ये भरते,
गिरफ्त में हो जो असली कलमकार,
वो इनकी नज़र में गुनहगार!
सोशल मीडिया की इस भीड़ में,
चोर उचक्के घुस आए पीढ़ में,
माइक उठाया, पहचान छापी,
अब हर खबर पर इनकी मोहर छापी।
जिसे बोलना था सत्ता से सवाल,
वो अब करने लगा ‘सरकार कमाल!’
पत्रकारिता नहीं रही अब मिशन,
ये बन गई बस ‘पेड प्रोमोशन’!
सच लिखना अब जुर्म बन गया,
सत्ता से लड़ना कर्म बन गया,
पर एक बात याद रखो रे दलालों,
अंधेरा चाहे जितना गहरा हो,
सवेरा पूछे नहीं दलालों!
● राम प्रसाद माथुर
सीनियर चीफ रिपोर्टर (सुराग ब्यूरो)





