रामपाल की सजा हाईकोर्ट ने की निलंबित, भीड़ जुटाने से दूर रहने की शर्त
रामपाल की सजा हाईकोर्ट ने की निलंबित, भीड़ जुटाने से दूर रहने की शर्त
बरवाला स्थित सतलोक आश्रम के संत रहे रामपाल को एक बड़ी राहत मिली है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हत्या के एक मामले में उनकी उम्रकैद की सजा को निलंबित कर दिया है। हालांकि, कोर्ट ने आदेश में यह स्पष्ट किया है कि सजा निलंबित रहने की अवधि में रामपाल किसी भी तरह से भीड़ जुटाने या कानून व्यवस्था को प्रभावित करने वाले आयोजनों से दूर रहेंगे। रामपाल पिछले 10 साल से अधिक समय से जेल में बंद थे। वर्ष 2014 में सतलोक आश्रम में हुई हिंसा के दौरान पांच महिला अनुयायियों की मौत के मामले में उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। कोर्ट में यह साबित हुआ था कि रामपाल ने महिलाओं समेत कई अनुयायियों को एक कमरे में बंद कर रखा था, जिससे दम घुटने के कारण उनकी जान गई।
हालांकि, हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि इस मामले में कई अहम और विवादित पहलू हैं। अदालत ने माना है कि कई गवाहों ने यह बयान दिया है कि मौतें दम घुटने से नहीं, बल्कि पुलिस द्वारा छोड़े गए आंसू गैस के कारण उत्पन्न हालात से हुई थीं। कोर्ट ने यह भी ध्यान में रखा कि रामपाल की उम्र अब 74 वर्ष हो चुकी है और वह अब तक जेल में 10 साल 8 महीने और 21 दिन बिता चुके हैं। इन परिस्थितियों को देखते हुए अदालत ने अपील लंबित रहने तक सजा को निलंबित करने का फैसला लिया। गौरतलब है कि हाल ही में हाईकोर्ट ने एक अन्य हत्या के मामले में भी रामपाल को राहत दी थी, जिसमें उन्हें बिना किसी रियायत के उम्रकैद की सजा मिली थी।
इसके अलावा 2014 में दर्ज एक और मामले में उन पर अभी भी मुकदमा चल रहा है। इसमें उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने अनुयायियों को इकट्ठा कर पुलिस के खिलाफ विरोध किया, जिससे हिंसा भड़क गई थी।





