भारत मे डिजिटल भुगतान की रीढ़ बन गया है यूपीआई, RBI गवर्नर का बयान
किसी शायद ही सोचा होगा एक छोटी दुकान वाला भी ऑनलाइन पेमेंट पर निर्भर हो जाएगा।
वहीं, आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को कहा कि यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) भारत की रीढ़ की हड्डी बन गया है। आगे बोले कि देश में डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र में क्रांति ला दी है और लाखों बैंक रहित व्यक्तियों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में लाकर वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास आरबीआई और बैंक फॉर इंटरनैशनल सेटलमेंट्स (बीआईएस) द्वारा आयोजित जी20 टेकस्प्रिंट फिनाले को संबोधित कर रहे थे। भारत की जी20 अध्यक्षता के तहत चौथे जी20 टेकस्प्रिंट की शुरुआत 4 मई, 2023 को की गई थी। इसका विषय था: सीमा पार भुगतान के लिए तकनीकी समाधान। शक्तिकांत दास ने कहा कि नवाचार के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का एक ऐतिहासिक उदाहरण यूपीआई है, जो भारत के डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र के लिए गेम चेंजर रहा है।
इसने लाखों बैंक रहित व्यक्तियों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में लाकर वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में मदद की है। गवर्नर शक्तिकांत दास ने साझा किया कि यूपीआई के जरिये हर महीने 10 अरब से अधिक लेनदेन होते हैं। इसके साथ ही यूपीआई अब भारत में डिजिटल भुगतान की बुनियाद बन चुका है और यह फिनटेक क्षेत्र में नवाचार की लहर को बढ़ावा देने में भी मदद कर रहा है।' उन्होंने कहा कि 70 से अधिक मोबाइल एप और पांच करोड़ से अधिक व्यापारी यूपीआई भुगतान को स्वीकार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भारत में डिजिटल भुगतान के लिए एक परिवेश तैयार करने में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) काफी महत्त्वपूर्ण साबित हुआ है। इससे वित्तीय समावेशन को रफ्तार देने में मदद मिली। यूपीआई के जरिये उन लाखों लोगों को औपचारिक वित्तीय प्रणाली से जोड़ा गया जिनके पास बैंकिंग सुविधा नहीं थी। गवर्नर दास ने देश की वित्तीय प्रणाली पर उनके परिवर्तनकारी प्रभाव का हवाला देते हुए हाल के वर्षों में भारत में डिजिटल प्रौद्योगिकियों के तेजी से विस्तार पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि आधार, किफायती इंटरनेट पहुंच और व्यापक मोबाइल फोन सेवाओं सहित भारत के मजबूत डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे ने अधिक लोगों को, उनके स्थान या सामाजिक स्थिति की परवाह किए बिना, वित्तीय सेवाओं तक पहुंचने में सक्षम बनाया है। साथ ही बोले कि पिछले कुछ वर्षों में भारत में डिजिटल प्रौद्योगिकियों का तेजी से विस्तार हुआ है, जिसका हमारी वित्तीय प्रणाली पर परिवर्तनकारी प्रभाव पड़ा है। आज अधिक से अधिक लोगों की वित्तीय सेवाओं तक पहुंच है, चाहे उनका स्थान या सामाजिक स्थिति कुछ भी हो, आधार, किफायती इंटरनेट और मोबाइल फोन सेवाओं जैसे मजबूत डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे पर निर्भर है।
यूपीआई में पूर्व स्वीकृत कर्ज सुविधा जोड़ने को आरबीआई की मंजूरी आरबीआई ने लेनदेन के लिए बैंकों की ओर से जारी पूर्व स्वीकृत कर्ज सुविधा को भी यूपीआई प्रणाली में शामिल करने की सोमवार को घोषणा की। अभी तक यूपीआई के जरिये सिर्फ जमा रकम का ही लेनदेन किया जा सकता था। केंद्रीय बैंक ने एक परिपत्र में कहा कि इस सुविधा के तहत व्यक्तिगत ग्राहक की पूर्व सहमति से अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक की ओर से व्यक्तियों को जारी पूर्व स्वीकृत कर्ज सुविधा के माध्यम से भुगतान किया जा सकेगा।
ऐसा होने से लागत कम हो सकती है और भारतीय बाजारों के लिए अनूठे उत्पादों के विकास में मदद मिल सकती है। आरबीआई ने अप्रैल में यूपीआई का दायरा बढ़ाने का प्रस्ताव रखा था। इसके तहत बैंकों में पहले से मंजूर कर्ज सुविधा से स्थानांतरण/को स्थानांतरण की मंजूरी देने की बात कही गई थी। फिलहाल बचत खाते, ओवरड्रॉफ्ट खाते, प्रीपेड वॉलेट और क्रेडिट कार्ड को यूपीआई से जोड़ा जा सकता है। यूपीआई से अगस्त, 2023 में 10 अरब से अधिक लेनदेन हुए। जुलाई में यह आंकड़ा 9.96 अरब था।