चम्बल का पानी फतेहपुर सीकरी ले जाये जाने से बाह में खडा हो जायेगा भीषण जल संकट
 
                                चम्बल का पानी फतेहपुर सीकरी ले जाये जाने से बाह में खडा हो जायेगा भीषण जल संकट
★ रुड़की विश्वविद्यालय की योजना से चंबल डाल नहर संचालन हो जायेगा ठप-
आगरा। प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री राजा अरिदमन सिंह ने कहा है कि चम्बल नदी में पानी की उपलब्धता अत्यंत सीमित हो चुकी है, कोटा बैराज से उ प्र की सीमा (जनपद आगरा ) तक पहुंचने वाली इस जलराशि में से किसी भी प्रयोजन के लिये अगर और जल दोहन का कोई कोई भी नया प्रयास किया गया तो राजा महेंद्र रिपुदमन सिंह चम्बल लिफ्ट इरीगेशन सिस्टम की नहरों का संचालन मुश्किल हो जायेगा फलस्वरूप खेती किसानी आधारित बाह तहसील की माइक्रो इकोनॉमी पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पडेगा। राजा अरिदमन सिंह ने कहा कि बाह उनकी कर्मभूमि है,इस लिये वह इस मुद्दे पर खामोश होकर नहीं बैठ सकते। उन्होंने कहा कि कई बार यहां के विधायक के रूप में विधान सभा में रहे हैं और राज्य मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व किया है,वर्तमान में उनकी पत्नी रानी पक्षालिका सिंह यहां की विधायक हैं। उन्होंने कहा कि चम्बल पहले से ही अति दोहित नदी है,इस लिये अगर इसके दोहन की कोई नई कोशिश हुई तो वह शासन में इसका कड़ा विरोध जताएंगे ।
★ चंबल में पानी की बेहद कमी राजा अरिदमन सिंह जो कि भदावर हाउस स्थित अपने कार्यालय में सिविल सोसायटी आगरा के सेक्रेटरी अनिल शर्मा,सदस्य राजीव सक्सेना,असलम सलीमी आदि के साथ जनपद की जल समस्या पर चर्चा कर रहे थे, ने कहा कि चम्बल नदी के पानी का दस प्रतिशत आगरा से होकर गुजरने वाले टेल वाले भाग के लिये आवंटित है। इसी जलराशि में से 450 क्यूसेक बाह के लिये पानी की आपूर्ति होती है और इसी में से नेशनल चम्बल सेंचुरी प्रोजेक्ट के राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य, जिसे राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य भी कहा जाता है,के यू.पी. में विस्तृत 635 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र लिये जल उपलब्धता सुनिश्चित होनी है।उन्होंने कहा कि नदी में 111 मीटर से पानी कम होते ही सेंचुरी के जलचरों की स्वाभाविक बृत्तियां प्रभावित होने लगती हैं।
★अब नया संकट नेताओं के अपने अपने हित होते हैं किंतु तकनीकी संस्थाओं की अपनी एकेडमिक प्रोफेशनल भूमिका होती है। लेकिन रुड़की विश्वविद्यालय ( Indian Institute of Technology) के द्वारा चम्बल नदी में उपलब्ध सीमित जलराशि में से भी जल शून्य उटंगन नदी पर डैम बनाकर संचित करने की जो योजना बनाई है,वह पूरी तरह अव्यवहारिक है। उटंगन के प्रस्तावित डैम से इसे फतेहपुर सीकरी विकास खंड ले जाये जाने का कार्य होगा। इस योजना के बारे में जब से जानकारी मिली है,बाह तहसील के किसानों और चम्बल नेशनल सेंचुरी की बेहतरी के लिये सक्रिय रहने प्रबुद्धजन असमंजस में पड गये हैं। श्री अरिदमन सिंह ने कहा कि रुड़की विवि की यह योजना स्थानीय हितों को नजरअंदाज कर बनाई गई है,जिसके दूरगामी नकारात्मक परिणाम ही आयेंगे।एक जानकारी में उन्होंने कहा कि उन्हें तो केवल अखबारों के माध्यम से ही इसके बारे में जानकारी मिली है, कम से कम इससे जनप्रतिनिधियों को तो आधिकारिक रूप से अवगत करवाया ही जाना चाहिए था। लेकिन इसके बावजूद जो कुछ भी उनके संज्ञान में आया है वह अपने आप में गंभीर है,उसका अपने क्षेत्र के हित में विरोध करेंगे। यही नहीं क्षेत्र के लोग लगातार उनसे इस संबंध में मिल रहे हैं।
★ नहर संचालन हो जायेगा मुश्किल अगर इस जलराशि में से भी किसी भी प्रयोजन के लिये जल दोहन किया जाता है तो आगरा जनपद में सिंचाई विभाग के द्वारा प्रबंधित सबसे महत्वपूर्ण नहर ‘राजा महेंद्र रिपुदमन सिंह चम्बल डाल परियोजना’ (लिफ्ट सिंचाई परियोजना)के कमांड एरिया के किसान कभी भी जल संकट के दौर में फंस जायेंगे।चम्बल नदी के पानी से पोषित यह नहर बाह तहसील के पिनहाट विकास खंड से शुरू होती है और बाह तहसील के विकास खंडों के गांवों की जरूरत को पूरा कर इटावा तक जाती है।पाप्त जका चम्बल नदी के टेल वाले भाग में नदी में उपलब्ध जल का दस प्रतिशत पानी ही आवंटित है,इस जलराशि में से 450 क्यूसेक पानी बाह तहसील की सिंचाई और पेयजल संबधी जरूरतों के लिये निर्धारित व्यवस्थाओं के अनुरूप उपयोग किया जाता है।लेकिन मानसून काल के अलावा पिछले कई सालों से पानी की बेहद कमी रहने लगी है।केन्द्रीय जल आयोग के द्वारा 111 मीटर जलस्तर नहर संचालन के लिये अलार्मिंग है।
★ चंबल लिफ्ट कैनाल सिस्टम चम्बल डाल लिफ्ट इरीगेशन प्रोजेक्ट बाह के किसानों के लिए जीवनदायिनी है।इस प्रोजेक्ट के शुरू होने के साथ ही तहसील के बाह,पिनाहट,जैतपुर आदि तीनों विकास खंडों में कृषि कार्यों विरत हो रहे किसान एक बार पुन:खेती-किसानी के उन्मुख हो चुके हैं। वैसे भी खेती -किसानी बाह में परंपरागत जीविकोपार्जन का मध्यम रहा है,भले ही कितनी भी नकारात्मक स्थितियां रही हो । राजा अरिदमन सिंह ने कहा किसानों की पानी की समस्या का समाधान करवाने के लिये स्व.महाराज महेन्द्र रिपुदमन सिंह ने अपने राजनैतिक प्रभाव का उपयोग कर शासन से चम्बल डाल लिफ्ट इरीगेशन योजना स्वीकृत और क्रियान्वित करवायी। अब तो शासन के द्वारा इस लिफ्ट इरीगेशन योजना का नाम ही क्षेत्र की जनभावनाओं के अनुरूप ‘राजा महेन्द्र रिपुदमन सिंह चम्बल डाल परियोजना’ कर दिया है। उन्होंने कहा कि सरकारी ट्यूब बैल भी अपने कमांड एरियाओं के किसानों के लिये कभी उपयुक्त साबित नहीं हो सके थे।लेकिन चंबल लिफ्ट पंप नहर से पोषित सिंचाई तंत्र से किसानों की दुविधा दूर हो चुकी है। मुख्य नहर की लम्बाई 69.6 कि0मी0, रजवाहा की लम्बाई 67.1 कि0मी0 एवं अल्पिका की लम्बाई 20.1 कि0 कि0मी0 है। नहर के रजवाहा और अल्पिका तंत्र में रहने वाले जल प्रवाह से तहसील के तीनों विकास खंडों में भूजल की उपलब्धता और गुणवत्ता की स्थिति में सुधार हुआ है।फलस्वरूप पेयजल के रूप में इस्तेमाल को पानी की उपलब्धता सहज हो चुकी है।
★ सेंचुरी भी पानी की कमी से प्रभावित पानी की कमी का सबसे अधिक प्रतिकूल असर सूंस (डॉल्फिन)पर पडता है। साफ पानी में पनपने वाली डॉल्फिन और घडियालों के लिए प्रतिकूल स्थितियां उत्पन्न होने लगती है।जलचरों और वन्यजीवों की निगरानी करने वाली मोटर चालित निगरानी नौकओं का संचालन तक मुश्किल भरा हो जाता है।कई बार तो जलस्तर की कमी के कारण सेंचुरी प्रशासन की निगरानी नौकाये तक दलदल में फंसकर रह जाती है।जिसका फायदा अवैध शिकार करने वाले और चम्बल सैंट का खनन करने वाले उठाया करते हैं। पूर्व मंत्री ने कहा कि सामान्यत:मार्च या अप्रैल के पहले सप्ताह तक नदी में जलस्तर 111 मीटर तक बना रहता था,लेकिन अब फरवरी का दूसरा सप्ताह गुजरते ही नदी में पानी की बेहद कमी हो गई है।लोग पैदल या साइकिलों के साथ नदी पार करते देखे जा सकते हैं।
★ कोटा बैराज के डिस्चार्ज का दस प्रतिशत कोटा बैराज का कुल जलग्रहण क्षेत्र 27,332 किमी का है, जिसमें से जवाहर सागर बांध के नीचे मुक्त जलग्रहण क्षेत्र सिर्फ 137 किमी 2 है। लाइव स्टोरेज 99,000,000 है; घन मीटर ((3.5×109 घन फीट))। यह कंक्रीट स्पिलवे के साथ एक अर्थ फिल बांध है। दाएं और बाएं मुख्य नहरों में क्रमशः 188 और 42 एम 3 / एस की हेडवर्क्स निर्वहन क्षमता है। मुख्य नहरों, शाखाओं और वितरण प्रणाली की कुल लंबाई लगभग 2,342 किमी है, जो सीसीए के 2,290 किमी 2 के क्षेत्र में सेवा प्रदान करती है।कोटा बैराज में रोके गए जल के 50% को सिंचाई के लिए मध्य प्रदेश की ओर मोड़ने पर सहमति है। बैराज प्रशासन बाढ़ और नहर के पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए 19 गेट संचालित करता है। चंबल नदी में उपलब्ध जलराशि का नदी जल बटवारा व्यवस्था के तहत 10 प्रतिशत भाग है। पहले तो यह जलराशि कोटा बैराज के डाउन में मार्च से जून महीनों में उपलब्ध ही नहीं हो पाती और जो उ प्र की सीमा में पहुंच पाती भी है,उसमें से बडी मात्र कोटा बैराज के डाउन में मप्र और राजस्थान के सीमांत जनपदों में लिफ्ट कर ली जाती है।ये सभी वे योजनायें है,जो कि उ प्र का हित नजर अंदाज कर और बिना राज्य के सिंचाई विभाग की सहमति के शुरू की हुई हैं।
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 







 
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                                                                                                                                     
                                             
                                             
                                             
                                             
                                            